Kanya Pujan 2024: 3 अक्टूबर 2024 को शुरू हुआ मातृ पूजा और शक्ति साधना का महापर्व नवरात्रि आज अपने समापन पड़ाव की ओर आ चुका है। आज अष्टमी और नवमी दोनों तिथियां का संयोग हो रहा है। इस संधि काल में आज कन्या पूजन भी किया जाएगा। नवरात्रि पर्व की अष्टमी तिथि को जहां मां महागौरी की पूजा का विधान है, वहीं नवमी तिथि को मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। आज अष्टमी-नवमी तिथियों के संधि काल में कन्या पूजन बेहद फलदायी है। आइए जानते हैं, देवी दुर्गा के नवम रूप मां सिद्धिदात्री की कथा क्या है? साथ ही जानते हैं, उनकी पूजा विधि, मंत्र, आरती और प्रिय भोग…
मां सिद्धिदात्री का स्वरूप
मां सिद्धिदात्री कमल फूल पर विराजमान हैं और मां चार भुजाओं से युक्त हैं। माता के दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में कमल पुष्प और ऊपर वाले हाथ में शंख सुशोभित है। वहीं बाएं तरफ के नीचे वाले हाथ में गदा और ऊपर वाले हाथ में चक्र सुशोभित है। मां दुर्गा इस रूप में लाल वस्त्र धारण की हुई हैं। मां के इस रूप के आगे ऋषि-मुनि, योग-योगिनियां और देवी-देवता नत-मस्तक हैं।
सिद्धिदात्री माता की कथा
जब महिषासुर दैत्य के अत्याचारों से तीनों लोकों में आतंक का राज हो गया। हर तरफ अराजकता और निराशा फैल गई थी। स्वर्ग में देवता और धरती पर ऋषि-मुनि और मानव त्राहिमाम कर उठे थे। तब एक समय काफी दुखी और परेशान होकर देवतागण, सप्तर्षि और ऋषि-मुनि भगवान शिव और भगवान विष्णु के पास पहुंचे। सभी ने अपनी व्यथा उन्हें सुनाई। भगवान शिव और भगवान विष्णु ने सभी देवों और ऋषियों से देवी आदिशक्ति का आह्वान करने के लिए कहा। तब वहां मौजूद सभी देवतागण और सप्तर्षियों से एक महातेज उत्पन्न हुआ।
फिर उसी तेज से एक दिव्य शक्ति का निर्माण हुआ, जिसे मां सिद्धिदात्री कहा जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने भी सभी आठों सिद्धियों को प्राप्त करने लिए मां सिद्धिदात्री की कठोर तपस्या थी। मां सिद्धिदात्री की कृपा से भगवान शिव को न केवल वे आठों सिद्धियां मिली बल्कि उनका आधा शरीर देवी का हो गया था। इस रूप में महादेव अर्धनारीश्वर कहलाए। मां दुर्गा के नौ रूपों में यह रूप परम शक्तिशाली माना गया है।
ये भी पढ़ें: Navratri 2024: नवरात्रि कन्या पूजन में भूल से भी न करें ये 7 गलतियां, बिगड़ जाएगी बनी हुई बात!
पूजा विधि
- नवरात्रि की नवमी तिथि की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ-स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- मां की प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं। मां को सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां को सफेद रंग पसंद है। मां सिद्धिदात्री को सफेद कमल का फूल अर्पित करना सबसे शुभ माना जाता है।
- मां को स्नान कराने के बाद सफेद पुष्प अर्पित करें। मां को रोली कुमकुम लगाएं।
- मां को मिष्ठान, पंच मेवा, फल अर्पित करें। माता सिद्धिदात्री को प्रसाद, नवरस युक्त भोजन, नौ प्रकार के पुष्प और नौ प्रकार के ही फल अर्पित करने चाहिए।
- मां सिद्धिदात्री को मौसमी फल, चना, पूड़ी, खीर, नारियल और हलवा बहुत प्रिय है। मान्यता है कि मां को इन चीजों का भोग लगाने से वह बहुत प्रसन्न होती हैं।
- माता सिद्धिदात्री का अधिक से अधिक ध्यान करें। फिर अंत में माता रानी की आरती करें।
- यदि आपने नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन की मनौती रखा है, देवी माता की पूजा के बाद विधि-विधान से औ निष्ठापूर्वक कन्या पूजन करें, तभी पूजा संपन्न मानी जाएगी।
मां सिद्धिदात्री का उपासना मंत्र
मां सिद्धिदात्री स्तुति: या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
पूजा मंत्र: सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि, सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
स्वयं सिद्ध बीज मंत्र: ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।
ये भी पढ़ें: Dussehra 2024: क्यों शुभ है दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी दर्शन? ये 5 कारण जानकर रह जाएंगे हैरान!
मां सिद्धिदात्री आरती
जय सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता। तू भक्तों की रक्षक, तू दासों की माता।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि। तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम। जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है। तू जगदम्बे दाती तू सर्व सिद्धि है।
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो। तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।
तू सब काज उसके करती है पूरे। कभी काम उसके रहे ना अधूरे।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया। रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली। जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा। महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता। भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।
मां सिद्धिदात्री का प्रिय भोग
मां दुर्गा का नौवां स्वरूप मां सिद्धिदात्री है। नवे दिन की पूजा में माता सिद्धिदात्री को पुरी, चने और हलवे का भोग लगाया जाता है और यह भोग कन्याओं को भी दिया जाता है। इस दिन कन्या पूजन किया जाता है, इसे करने से ही मां के नौ दिनों की पूजा पूरी होती है।
इसके साथ ही आप चाहें तो माता रानी को सूजी या गेहूं के हलवा का भोग लगा सकते हैं। इसके अलावा, चावल, दूध, चीनी एवं केसर युक्त खीर का भोग लगाना भी शुभ माना जाता है। मां सिद्धिदात्री को मीठे पुलाव और लाप्सी का भोग लगाने से घर-परिवार के रिश्तों में भी मिठास जन्म लेती है और रिश्ते मजबूत होते हैं।
ये भी पढ़ें: Chhath Puja 2024: इन 9 चीजों के बिना अधूरी रहती है छठ पूजा, 5वां आइटम है बेहद महत्वपूर्ण!
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।