Nari Semari Devi Temple, Mathura: उत्तर प्रदेश के मथुरा को भगवान कृष्ण की नगरी माना जाता है। जहां के कोने-कोने में कृष्ण जी और राधा रानी का वास है। मथुरा में भगवान कृष्ण को समर्पित कई मंदिर स्थित हैं, जहां हर त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। मथुरा में मौजूद हर एक मंदिर की अपनी परंपरा और रहस्य है, जो लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती है। आमतौर पर मंदिर में देवी-देवताओं की पूजा व आरती ढोल-नगाड़े की धुन पर होती है, लेकिन आज हम आपको मथुरा के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां ढोल-नगाड़े की जगह लाठी-डंडों के साथ नरी सेमरी देवी की पूजा की जाती है। यहां तक कि आरती भी लाठी-डंडों को बजाकर होती है। चलिए जानते हैं मथुरा के इस अनोखे मंदिर के बारे में।
750 साल पुराना है इतिहास
उत्तर प्रदेश के मथुरा से लगभग 30 किलोमीटर दूर छाता गांव है। जहां नरी सेमरी नामक मंदिर स्थित है, जिसकी स्थापना आज से करीब 750 साल पहले की गई थी। हर साल राम नवमी के दिन नरी सेमरी मंदिर में एक अनोखी परंपरा का पालन किया जाता है। इस शुभ दिन नरी सेमरी देवी की पूजा लाठी-डंडों के साथ होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, लाठी-डंडों के साथ पूजा करने से देवी प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि मंदिर में ये परंपरा सैकड़ों वर्षों से चलती आ रही है।
इस वजह से लाठी-डंडों के साथ होती है पूजा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नरी सेमरी मंदिर में मौजूद देवी मां की प्रतिमा को लेकर यदुवंशी ठाकुर और सिसोदिया समाज के बीच विवाद हुआ था। इस दौरान दोनों पक्षों के बीच लाठी-डंडों से भी युद्ध हुआ था, जिसमें यदुवंशी ठाकुरों को जीत हासिल हुई थी। तभी के बाद से यदुवंशी समाज के लोग इस मंदिर में मां की पूजा लाठी-डंडों के साथ करते हैं। पूजा के दौरान मंदिर की दीवारों, चौखट और घंटी पर लाठियां बजाई जाती हैं।
राम नवमी पर ही क्यों होती है पूजा?
धार्मिक मान्यता के अनुसार, नरी सेमरी मंदिर में जो माता की मूर्ति है, वो पूरे साल टेढ़ी मुद्रा में खड़ी रहती है। लेकिन राम नवमी के दिन माता की प्रतिमा सीधी हो जाती है। इसी वजह से केवल राम नवमी के खास दिन मंदिर में लाठी-डंडों के साथ पूजा व आरती होती है। राम नवमी और नवरात्रि के दौरान बड़ी संख्या में भक्तजन माता के दर्शन करने के लिए आते हैं।
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