Masik Shivratri 2025: हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, प्रत्येक माह की आखिरी तारीख को पूर्णिमा मनाई जाती है, जिसके साथ ही एक नए महीने का आरंभ हो जाता है। इस समय चौथा महीना आषाढ़ चल रहा है। आषाढ़ माह भगवान विष्णु को समर्पित है, जिस दौरान उनकी पूजा करने से साधक को विशेष लाभ होता है। आषाढ़ माह में कई महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार भी आते हैं, जिस दिन का अपने आप में खास महत्व है। आषाढ़ माह में मासिक शिवरात्रि का भी व्रत रखा जाएगा।
द्रिक पंचांग के अनुसार, हर साल मासिक शिवरात्रि का व्रत प्रत्येक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को रखा जाता है। चलिए जानते हैं आषाढ़ माह यानी जून में किस दिन देवों के देव महादेव को समर्पित मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाएगा।
मासिक शिवरात्रि का महत्व
मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव यानी देवों के देव महादेव की पूजा की जाती है। साथ ही व्रत रखना शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शिव जी की कृपा से किसी भी प्रकार के कठिन एवं असम्भव कार्य पूर्ण किए जा सकते हैं। बता दें कि अविवाहित कन्याएं विवाह की कामना हेतु मासिक शिवरात्रि का व्रत रखती हैं।
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जून में कब है मासिक शिवरात्रि?
द्रिक पंचांग के अनुसार, इस बार आषाढ़ माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 23 जून 2025 को देर रात 10 बजकर 09 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन अगले दिन 24 जून 2025 को शाम 6 बजकर 59 मिनट पर होगा। उदयातिथि के आधार पर, साल 2025 में 23 जून को आषाढ़ मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाएगा।
शिव जी की पूजा का शुभ मुहूर्त
- सूर्योदय- प्रात: काल 5:46
- चन्द्रोदय- प्रात: काल 3:11
- ब्रह्म मुहूर्त- प्रात: काल में 04:10 से लेकर 04:58 मिनट तक
- राहुकाल- प्रात: काल 7:27 से लेकर सुबह 9:07 मिनट तक
- अभिजीत मुहूर्त- दोपहर में 12:02 से लेकर 12:55 मिनट तक
- अमृत काल- दोपहर 01:06 से लेकर 02:33 मिनट तक
मासिक शिवरात्रि की पूजा विधि
व्रत वाले दिन व्रती ब्रह्म मुहूर्त में उठें। पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें। हरे या नीले रंग के शुद्ध कपड़े धारण करें। घर के मंदिर में एक चौकी पर शिव-पार्वती की मूर्ति या तस्वीर और शिवलिंग स्थापित करें। शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद और बेलपत्र चढ़ाएं। शिव जी और माता पार्वती को पीले फूलों की माला अर्पित करें। देसी घी का दीपक जलाएं और देवी-देवताओं को मिठाई का भोग लगाएं। हाथ जोड़कर व्रत का संकल्प लें। मासिक शिवरात्रि के व्रत की कथा पढ़ें या सुनें। आरती करें और अपनी गलतियों के लिए माफी मांगें।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओ पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है।News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।