---विज्ञापन---

Religion

Makar Sankranti 2026: 14 या 15 जनवरी, 2026 में मकर संक्रांति कब है? दूर करें कन्फ्यूजन; जानें सही तारीख और महत्व

Makar Sankranti 2026: पिछले कुछ सालों में मकर संक्रांति कभी 14, कभी 15 और कुछ सालों में 13 जनवरी को भी मनाया गया है. ऐसे में सवाल उठता है कि 2026 में मकर संक्रांति किस तारीख को पड़ेगी? यह परिवर्तन क्यों होता है और इस पर्व का इतना धार्मिक महत्व क्यों माना गया है? आइए जानते हैं, सही जवाब.

Author Written By: Shyamnandan Updated: Nov 27, 2025 14:57
makar-sankranti-2026

Makar Sankranti 2026: हर साल मकर संक्रांति की तारीख को लेकर लोगों के मन में थोड़ा कन्फ्यूजन बना ही रहता है. क्योंकि, इधर कई सालों मकर संक्रांति कभी कभी 14 जनवरी, तो कभी 15 जनवरी को पड़ती आ रही है. पिछले कुछ वर्षों में 13 जनवरी को भी इसे मनाए जाने के उदाहरण देखने को मिले हैं. ऐसे में यह स्वाभाविक है कि वर्ष 2026 के लिए भी मन में सवाल उठता है कि आखिर आने वाले वर्ष में मकर संक्रांति कब मनाई जाएगी? आइए इसी कन्फ्यूजन को आसान भाषा में समझते हैं और जानते हैं कि 2026 में यह पवित्र त्योहार किस दिन मनाया जाएगा और हिन्दू धर्म में इसका इतना महत्व क्यों है?

सूर्य के राशि परिवर्तन का पर्व

मकर संक्रांति कोई सामान्य तिथि नहीं, बल्कि एक विशेष खगोलीय घटना है. जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करता है, तो उसी क्षण को ‘मकर संक्रांति’ कहा जाता है. ज्योतिष में ‘संक्रांति’ का अर्थ ही है, सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना.

---विज्ञापन---

प्रायः यह त्योहार अधिकांश वर्षों में 14 जनवरी के आसपास आता है, लेकिन सूर्य की वास्तविक गति में होने वाले सूक्ष्म बदलावों के कारण तारीख में थोड़ा आगे-पीछे होना स्वाभाविक है. यही कारण है कि कभी 14, कभी 15 और छुटपुट वर्षों में 13 जनवरी को भी यह पर्व मनाया गया है.

हिन्दू धर्म में मकर संक्रांति का महत्व

हिन्दू धर्म और संस्कृति में मकर संक्रांति केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा और शुभता की नई शुरुआत का संकेत है.

---विज्ञापन---

उत्तरायण का शुभ आरंभ: इस दिन सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं. धार्मिक मान्यता है कि देवताओं का दिन इसी समय से शुरू होता है. इस अवधि में किए गए दान, स्नान और पूजा अत्यंत फलप्रद माने जाते हैं.

स्नान और दान की परंपरा: मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान बहुत शुभ माना जाता है. इसके बाद तिल, गुड़, खिचड़ी, कंबल या वस्त्र दान करने की परंपरा है. तिल का सेवन और तिल-दान इस पर्व की प्रमुख पहचान है.

पतंग उत्सव का प्रतीक: देश के कई हिस्सों में यह त्योहार पतंग उड़ाने के रूप में मनाया जाता है, जो ऊँचाइयों को छूने और उत्साह से आगे बढ़ने का संदेश देता है.

उत्तरायण का है विशेष महत्व

मकर संक्रांति से छह माह तक सूर्य उत्तरायण रहता है. यह अवधि आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत पवित्र मानी जाती है. माना जाता है कि इस काल में पृथ्वी पर सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ जाता है. यही कारण है कि भीष्म पितामह ने भी अपने प्राण त्यागने के लिए इसी उत्तरायण काल की प्रतीक्षा की थी, ताकि उन्हें मोक्ष मिल सके. इसके साथ ही, सूर्य की सीधी किरणें पृथ्वी पर पड़ने लगती हैं, जिससे दिन बड़े होते हैं और ठंड धीरे-धीरे कम होने लगती है.

2026 में मकर संक्रांति कब है?

द्रिक पंचांग के अनुसार वर्ष 2026 में मकर संक्रांति 14 जनवरी 2026, बुधवार को पड़ेगी. इस दिन सूर्य मकर राशि में दोपहर बाद प्रवेश करेंगे, इसलिए पुण्यकाल भी शाम के समय रहेगा.

मकर संक्रांति का क्षण: 14 जनवरी 2026, दोपहर 3:13 बजे
पुण्य काल: 3:13 PM से 5:45 PM (कुल 2 घंटे 32 मिनट)
महा पुण्य काल: 3:13 PM से 4:58 PM (कुल 1 घंटा 45 मिनट)

आपको बता दें कि दान, स्नान और पूजा जैसे शुभ कार्य हमेशा पुण्यकाल में ही करना श्रेष्ठ माना जाता है. इसलिए 14 जनवरी को दोपहर 3:13 बजे के बाद गंगा स्नान, तिल-दान और अन्य धार्मिक कार्य करना विशेष रूप से फलदायी होगा.

ये भी पढ़ें: Tadka Vadh Katha: सुंदर यक्षिणी से ताड़का कैसे बनी क्रूर राक्षसी? भगवान राम ने क्यों किया ताड़का वध; जानें पूरी कथा

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: Nov 27, 2025 02:57 PM

संबंधित खबरें

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.