Mahadev Ki Katha: बिहार के मधुबनी जिले में भगवान शिव का एक प्रसिद्ध मंदिर है जिसे उगना महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यहां भगवान शिव ने नौकरी की थी। इतना ही नहीं जिस भक्त के घर वो नौकरी करते थे वहां उन्होंने भक्त की पत्नी के हाथों से मार भी खाई थी।
विद्यापति की कथा
बहुत समय पहले की बात है बिहार के मधुबनी जिला में भगवान शिव के एक बहुत बड़ा भक्त हुआ करते थे। उनका नाम विद्यापति था। एक दिन की बात है भगवान शिव विद्यापति के भक्ति से प्रसन्न होकर उसके घर पहुंचे। उस समय भगवान शिव ने एक गरीब व्यक्ति का रूप धारण कर रखा था। उसने विद्यापति से कहा मालिक मुझे काम की आवश्यकता है कृपया कर मुझे अपने यहां काम पर रख लीजिए। शिव रूपी उस गरीब व्यक्ति से विद्यापति ने पूछा तुम्हारा नाम क्या है? तब भगवान शिव ने कहा मेरा नाम उगना है और मैं काम की तलाश में यहां-वहां काफी दिनों से भटक रहा हूं। उगना की बातें सुनकर विद्यापति ने कहा मैं तुम्हें काम पर नहीं रख सकता। मेरी आर्थिक स्थिति सही नहीं है। मैं तुम्हें महीने का वेतन नहीं दे सकता। उसके बाद उगना के रूप में शिव जी ने कहा मुझे वेतन नहीं चाहिए, मालिक आप मुझे बस दो वक्त का खाना ही दे दीजिएगा। उगना की बातें सुनकर विद्यापति ने उन्हें काम पर रख लिया।
शिवजी बने नौकर
एक दिन की बात है विद्यापति राजा के दरबार जाने लगे तो उन्होंने उगना को भी अपने साथ चलने को कहा। रास्ते में जाते समय विद्यापति का गला गर्मी के कारण सूखने लगा। मगर विद्यापति को आस-पास कहीं भी जल दिखाई नहीं दे रहा था। फिर उसने उगना से कहा मुझे प्यास लगी है कहीं से जल लाकर दो। मालिक के कहने पर उगना रूपी शिवजी कुछ दूर स्थित एक पेड़ के पीछे चले गए और अपनी जटाओं को खोलकर लोटे में जल भरा। वही जल लेकर विद्यापति को दिया। विद्यापति ने जैसे ही जल को पिया उन्हें पता चल गया कि यह गंगाजल है। वह हैरान हो गए। वह मन ही मन सोचने लगे इस जंगल में गंगाजल कहां से आया? फिर उन्हें आभास हो गया कि उगना भगवान शिव के ही रूप में हमारे साथ रह रहे हैं। उसके बाद विद्यापति के उगना के चरण पकड़ लिए। फिर भगवान शिव भी अपने असली रूप में आ गए।
पत्नी से खाई मार
शिवजी ने विद्यापति से कहा मैं तुम्हारे साथ उगना के रूप में रहना चाहता हूं। लेकिन मेरी एक शर्त है कि तुम मेरे वास्तविक रूप के बारे में किसी को नहीं बताओगे। अगर किसी को बताया तो मैं उसी समय कैलाश वापस चला जाऊंगा। विद्यापति ने भगवान शिव की सारी शर्तें मान ली। उसके बाद उगना और विद्यापति राजा के पास गए और वहां काम खत्म होने के बाद वापस आ गए। उस दिन के बाद से विद्यापति उगना से कोई भी काम करने को नहीं कहते। वह अपना सारा काम स्वयं कर लेते। एक दिन की बात है विद्यापति किसी काम से घर से बाहर गए हुए थे। विद्यापति की पत्नी ने उगना से कोई काम करने को कहा। काम करते समय उगना से गलती हो गई। यह देख विद्यापति की पत्नी को गुस्सा आ गया और वह उगना को जलपत्नी ते हुए लकड़ी से मारने लगी। उसी समय विद्यापति घर आ गए।
उगना महादेव की कथा
उगना को पीटता हुआ देख विद्यापति ने अपनी पत्नी से कहा हे भाग्यवान ये तुमने क्या किया? ये साक्षात् भगवान शिव हैं और तुम इन्हें मार रही हो। विद्यापति के मुख से इतना सुनते ही भगवान शिव वहां से अंतर्ध्यान हो गए। उसके बाद विद्यापति को जब अपनी भूल का एहसास हुआ तो वह जंगल-जंगल भगवान शिव को जंगलों में खोजने लगे। उसके बाद एक दिन भगवान शिव विद्यापति के सामने प्रकट हुए और बोले मैं उगना के रूप में अब तुम्हारे साथ नहीं रह सकता। फिर वहां एक शिवलिंग प्रकट हुआ और उसी शिवलिंग को आज उगना महादेव के रूप में जाना जाता है।
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