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Radha Kund Snan 2025: राधा कुंड स्नान पर्व कब है, क्यों करते हैं निस्संतान यह स्नान, जानें विस्तार से

Radha Kund Snan 2025: क्या आप जानते हैं, राधा कुंड स्नान पर्व क्या है? यह कुंड कहां स्थित है, यह स्नान कब और क्यों किया जाता है? इस स्नान पर्व को विशेष रूप से निस्संतान ही क्यों करते है। आइए जातने हैं, ये सभी बातें और विशेष जानकारियां विस्तार से।

Author Written By: Shyamnandan Author Published By : Shyamnandan Updated: Oct 11, 2025 15:28
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Radha Kund Snan 2025: राधा कुंड भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी के दिव्य प्रेम की अमर निशानी है। यह न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से पवित्र माना जाता है, बल्कि यह संतान सुख की प्राप्ति के लिए भी एक चमत्कारी तीर्थ स्थल है। यह उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा जिले में गोवर्धन पर्वत के पास स्थित है। यह कुंड भगवती राधारानी की भक्ति का सबसे पावन स्थल माना जाता है। कहा जाता है कि स्वयं राधा रानी ने इस कुंड की स्थापना की थी। यहां हर वर्ष अहोई अष्टमी के दिन हजारों दंपत्ति एक विशेष स्नान पर्व में भाग लेते हैं, जो गर्भधारण की कामना से जुड़ा होता है।

राधा कुंड स्नान कब होता है?

यह स्नान पर्व कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि यानी अहोई अष्टमी पर्व के दिन को मनाया जाता है। यह पर्व इस साल 13 अक्टूबर, 2025 को पड़ रहा है। इस दिन महिलाएं और विशेष रूप से निसंतान दंपत्ति निशिता काल यानी आधी रात में राधा कुंड में स्नान करते हैं।

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क्यों है राधा कुंड स्नान का विशेष महत्व?

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, राधा कुंड में स्नान करने से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। यह दिन विशेष रूप से उन स्त्रियों के लिए बहुत शुभ माना जाता है, जिन्हें गर्भधारण में कठिनाई हो रही हो।

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ऐसे की जाती है पूजा

स्नान के साथ विशेष पूजा विधि भी अपनाई जाती है। दंपत्ति राधा कुंड में खड़े होकर कुष्मांडा यानी पेठा का फल अर्पित करते हैं। इस फल को लाल वस्त्र में लपेटकर राधा रानी के चरणों में समर्पित किया जाता है। जल में खड़े होकर प्रार्थना की जाती है: ‘हे राधे, हमें मातृत्व-पितृत्व का वरदान दो।’

पूरी रात चलता है पुण्यस्नान

रात्रि के समय, विशेषकर मध्यरात्रि (निशिता काल) से स्नान आरंभ होता है और पूरी रात श्रद्धालु डुबकी लगाते हैं। इस पर्व का माहौल अत्यंत दिव्य, भक्तिमय और भावनाओं से भरा होता है।

मन्नत पूरी होने पर दोबारा दर्शन

जिन भक्तों की मनोकामना पूर्ण हो जाती है, वे संतान प्राप्ति के बाद दोबारा राधा कुंड आकर स्नान करते हैं और आभार प्रकट करते हैं। वे राधा रानी का धन्यवाद करते हैं और फल, मिठाई व वस्त्र चढ़ाते हैं।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है और केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: Oct 11, 2025 03:25 PM

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