---विज्ञापन---

Religion

देश का ऐसा मंदिर, जहां गैर-हिंदुओं की एंट्री बैन, फल-मिठाई की जगह चढ़ता है जैम का प्रसाद

Temples of India: दक्षिण भारत का एक लोकप्रिय धनदायुथापानी स्वामी मंदिर पलानी शहर में पलानी पहाड़ियों के बीच एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। भगवान मुरुगन को समर्पित यह मंदिर अपने विशेष प्रसाद 'पंचामृतम' के लिए बहुत प्रसिद्ध है, जिसे GI टैग भी मिल चुका है। आइए जानते है, इस मंदिर का महत्व और इस प्रसाद की विशेषताएं।

Author Edited By : Shyamnandan Updated: Jun 11, 2024 10:15
Dhanadayuthapani-Swami-Temple

Temples of India: आज स्कंद षष्ठी है, जो दक्षिण भारत का एक लोकप्रिय पर्व है। स्कंद भगवान कार्तिकेय का एक प्रसिद्ध नाम है और प्रत्येक हिन्दू महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि भगवान स्कंद को समर्पित है। आइए इस मौके पर जानते हैं, तमिलनाडु के धनदायुथापानी स्वामी मंदिर के बारे में, जो भगवान मुरुगन का एक प्रसिद्ध मंदिर है। बता दें, भगवान मुरुगन को स्कंद भी कहते हैं। इस मंदिर की प्रसिद्धि पूरी दुनिया में है।

कहां है धनदायुथापानी स्वामी मंदिर

यह मंदिर तमिलनाडु के डिंडीगुल जिले के पलानी शहर में पलानी पहाड़ियों के बीच एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। इस मंदिर को भगवान मुरुगन के छह पवित्र निवासों में से एक माना जाता है। इसकी ख्याति की एक और वजह है, वह है यहां भगवान मुरुगन को अर्पित किया जाने विशेष प्रसाद, जिसे ‘अभिषेक प्रसादम’ कहते हैं। इस प्रसाद की विशेषता के कारण भारत सरकार की ओर से जीआई टैग (GI Tag) भी मिल चुका है।

---विज्ञापन---

कैसे बनता है यह प्रसाद

भगवान मुरुगन को भक्त और श्रद्धालु इस मंदिर में जो अभिषेक प्रसादम अर्पित करते हैं, वह एक प्रकार विशेष जैम है। इसे पंचामृतम भी कहते हैं। यह जैम या पंचामृतम पारंपरिक रूप से, पांच प्राकृतिक सामग्रियों के उचित अनुपात के मिश्रण से बनता है। ये सामग्रियां हैं: केला, गुड़, गाय का घी, शहद और इलायची। शत-प्रतिशत प्राकृतिक तरीके के बने इस प्रसाद के बारे में मान्यता है कि जो व्यक्ति पूर्ण समर्पण और विश्वास से यह प्रसाद ग्रहण करते हैं, उनकी बीमारियां ठीक हो जाती हैं।

गैर-हिन्दुओं का प्रवेश है वर्जित

धनदायुथापानी स्वामी मंदिर में केवल हिन्दू धर्म के अनुयायी ही भगवान मुरुगन के दर्शन कर सकते हैं। अन्य धर्मों को मानने वाले यानी गैर-हिन्दुओं का इस मंदिर में वर्जित प्रवेश है। यहां तक कि कोई विदेशी भी मंदिर परिसर में प्रवेश नहीं कर सकते हैं। हाल ही में, इसी साल जनवरी मद्रास हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था कि मंदिर के एंट्री गेट पर ध्वजस्तंभ के पास और मंदिर के प्रमुख स्थानों पर ‘गैर-हिंदुओं को मंदिर के अंदर जाने की अनुमति नहीं है’ वाला बोर्ड लगाया जाए।

---विज्ञापन---

यहां कैसे पहुंचे?

पलानी सिटी आसपास के सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यहां आने के लिए हमेशा उपलब्ध बस उपलब्ध हैं। बस स्टैंड पलानी पहाड़ी और मंदिर के पास ही है। आप यहां ट्रेन से भी पहुंच सकते हैं। यहां आने के लिए चेन्नई जंक्शन से कई एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेन चलती हैं। यहां कोई एयरपोर्ट नहीं है। इसलिए फ्लाइट से आने के लिए आपको पहले मदुरै, कोयंबटूर या चेन्नई आना होगा, फिर आप वहां से टैक्सी या बस से यहां पहुंच सकते हैं।

ये भी पढ़ें; निर्जला एकादशी के पारण में न करें ये गलतियां, अन्यथा नहीं मिलेगा व्रत का फल

ये भी पढ़ें; हाथ से पैसा छूटना, घर से निकलते ही बारिश में भीग जाना शुभ या अशुभ, जानें

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित हैं और केवल जानकारी के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: Jun 11, 2024 10:15 AM

संबंधित खबरें