Kaalchakra Today 14 September 2025: प्रत्येक व्यक्ति कर्ज से दूर भागता है. वह चाहता है कि उसके ऊपर कभी भी कर्ज न चढ़े लेकिन कुछ कर्ज यानी ऋण ऐसे होते हैं, जो जन्म के साथ ही हर एक व्यक्ति पर चढ़ जाते हैं. शास्त्रों में बताया गया है कि पितृ ऋण, मातृ ऋण, ऋषि ऋण और देव ऋण जन्म लेते ही व्यक्ति पर चढ़ जाते हैं. यदि सही समय पर इन चारों ऋण को चुकाया नहीं जाता है तो व्यक्ति की परेशानियां बढ़ने लगती हैं. जहां कुछ लोग आर्थिक समस्याओं का सामना करते हैं, वहीं कई जातक गृह क्लेश, खराब सेहत और मानसिक आदि समस्याओं का सामना करते हैं. हालांकि, कुंडली में ग्रहों की स्थिति को देखकर ये पता चल सकता है कि किस व्यक्ति पर कौन-सा ऋण ज्यादा चढ़ा हुआ है. साथ ही शास्त्रों में इन्हें चुकाने के कई उपाय भी बताए गए हैं.
आज के कालचक्र में प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ पंडित सुरेश पांडेय आपको पितृ ऋण, मातृ ऋण, ऋषि ऋण और देव ऋण के संकेत, उपाय और कारण आदि के बारे में विस्तार से बताएंगे.
पितृ ऋण
माता-पिता, पितरों और पूर्वजों के प्रति कर्ज को पितृ ऋण कहा जाता है. वंश को बढ़ाने के लिए पितृ ऋण को चुकाना जरूरी होता है.
- पितृ ऋण का कैसे करें पता?
कुंडली में सूर्य ग्रह के साथ राहु ग्रह, शनि ग्रह या केतु ग्रह की युति का बनना पितृ ऋण का संकेत होता है. इसके अलावा सूर्य पर राहु ग्रह, शनि ग्रह या केतु ग्रह की दृष्टि पड़ना और पंचमेश की अष्टम में स्थिति होना भी इस ऋण का संकेत है. वहीं, जिनकी कुंडली के आठवें भाव में सूर्य स्थित होता है, उन्हें भी पितृ ऋण का सामना करना पड़ता है.
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- पितृ ऋण के कारण होती हैं ये समस्याएं
पितृ ऋण के कारण संतान का सुख नहीं मिलता है, बल्कि बार-बार गर्भपात होता है. वहीं, संतान हो जाता है तो वो हर समय बीमार रहता है. इसके अलावा पितृ ऋण के कारण संतान बुरी संगत में फंस जाता है और उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं रहती है. साथ ही समाज और परिवार में मान-सम्मान नहीं मिलता है.
बार-बार नौकरी छूटना, हर काम में असफलता मिलना, परिवारवालों पर दुर्घटनाओं का साया रहना और बार-बार अनहोनी का शिकार होना भी पितृ ऋण के कारण होता है.
- पितृ ऋण से बचने के उपाय
जिन लोगों के ऊपर पितृ ऋण चढ़ा होता है, उन्हें अमावस्या तिथि पर किसी मंदिर में दूध, चीनी, सफेद कपड़े और धन का दान करना चाहिए. इसी के साथ श्राद्ध पक्ष में श्राद्ध करें और घर में पितृ दोष निवारण यंत्र स्थापित करें. इसके अलावा 108 दिन तक पीपल के पेड़ में जल चढ़ाएं, वृक्ष की परिक्रमा करें और दीपक जलाएं।
पितृ ऋण से मुक्ति पाने के लिए ग्रहण के समय दान, नवरात्रि के दौरान घर में दुर्गा सप्तशती का पाठ और पितृपक्ष के दौरान गया, त्र्यंबकेश्वर या हरिद्वार में पिंडदान करना चाहिए. इसी के साथ श्रीमद्भागवत, गरुड़ पुराण या रामचरितमानस का पाठ करें, गाय को हरा चारा खिलाएं, वृक्षारोपण या जल का दान करें, जरूरतमंदों को भोजन और कपड़ों का दान करें और बरगद, पीपल व तुलसी के पौधे लगाएं।
यदि आप अन्य 3 ऋण के बारे में जानना चाहते हैं तो उसके लिए ऊपर दिए गए वीडियो को देख सकते हैं.
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.