Home Vastu Tips: भारतीय वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर का वास्तु घर में रहने वाले हर सदस्य को प्रभावित करता है। इस शास्त्र में कुछ ऐसे स्थानों के बारे में जिक्र मिलता है, जहां व्यक्ति को घर का निर्माण नहीं कराना चाहिए। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि बंद गली का आखिरी घर लेना वास्तु के हिसाब से कितना सही है? बंद गली का आखिरी घर खुशियों का द्वार है या परेशानियों का रास्ता?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, यदि आप किसी तिराहे या चौराहे पर बने घर की खरीदारी करने की सोच रहे हैं, तो आपको सावधान रहने की जरूरत है। वास्तु शास्त्र के अनुसार ऐसे स्थानों पर एक प्रकार की रहस्य ऊर्जा जो प्रायः नकारात्मक ऊर्जा होती है, अधिक रहती है।
नकारात्मक ऊर्जा
वास्तु एक्सपर्ट का मानना है कि ऐसे घरों में नकारात्मक ऊर्जा आसानी से जमा हो सकती है क्योंकि उसके बाहर निकलने का रास्ता सीमित होता है। ऐसे घरों में रहने वाले लोग हमेशा मानसिक रूप से परेशान रहते हैं। यही कारण है कि अंतिम स्थान पर जहां सड़क या रास्ता समाप्त होता है, या गली के अंतिम छोर पर भी मकान नहीं बनाना चाहिए।
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अंतिम छोर पर वास्तु दोष
ऐसे स्थानों पर भी वास्तु दोष होता है। बंद गली में ऊर्जा का प्राकृतिक प्रवाह बाधित होता है, जिससे घर में ऊर्जा का ठहराव हो सकता है। यह ठहराव जीवन में प्रगति में बाधा या स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है। मान्यता है कि इन पर सकारात्मक ऊर्जा बाधित हो जाती है और तरक्की की राह में भी बाधा आती है।
अवसाद और अकेलापन
ऊर्जा के ठहराव के कारण घर के निवासियों में अवसाद, अकेलापन या बेचैनी की भावना बढ़ सकती है। पारिवारिक कलह और आपसी क्लेश का वातावरण बना रह सकता है।
आर्थिक समस्याएं
वास्तु एक्सपर्ट का मानना है कि कुछ मामलों में, यह आर्थिक स्थिरता को भी प्रभावित कर सकता है। इसी तरह तिराहे पर बने घरों पर भी वास्तु दोष रहता है।
बंद गली के मकान के लिए वास्तु उपाय
- मुख्य द्वार की दिशा: यदि संभव हो, तो घर का मुख्य द्वार उत्तर या पूर्व दिशा में रखें, ताकि सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ावा मिल सके।
- घर के सामने हरियाली: मुख्य द्वार के पास तुलसी, मनी प्लांट या बांस के पौधे लगाएं, जो वातावरण को ताजगी देकर ऊर्जा प्रवाह को सक्रिय बनाएगी।
- विंड चाइम्स और फव्वारे का उपयोग: मुख्य द्वार और बालकनी में धातु की विंड चाइम्स लगाने और उत्तर-पूर्व दिशा में छोटा फव्वारारखने से ऊर्जा का प्रवाह संतुलित रहता है।
- सकारात्मक रंगों का प्रयोग: घर की दीवारों पर हल्के, शांत और सकारात्मक रंग जैसे हल्का पीला, आसमानी नीला या हरा रंग लगाएं। ये रंग मानसिक शांति और संतुलन बनाए रखते हैं।
- मुख्य द्वार पर शुभ चिन्ह: दरवाजे पर स्वस्तिक, ॐ या शुभ-लाभ जैसे चिन्ह बनाएं या तोरण और आम के पत्तों की बंदनवार लगाएं। ये चिन्ह नकारात्मक ऊर्जा को रोकने में सहायक माने जाते हैं।
- घर में नियमित पूजा: सुबह और शाम घंटी बजाना, धूप-दीप जलाना, और मंत्र जाप करना ऊर्जा को शुद्ध करता है। इससे नकारात्मकता कम होती है और घर में सकारात्मक वातावरण बना रहता है।
- नमक वाले पानी से पोंछा: सप्ताह में एक या दो बार घर में नमक मिले पानी से पोछा लगाएं। यह नेगेटिव एनर्जी को सोखने का एक प्रभावी तरीका माना जाता है।
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