Pitru Paksha 2025: हिंदू धर्म में पिंडदान का विशेष महत्व होता है। यह एक ऐसा अनुष्ठान है, जिसे लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए करते हैं। पिंडदान में चावल, जौ, तिल और आटे से बने पिंडों को विधि-विधान से पूर्वजों को अर्पित किया जाता है। बिहार का गया जिला पिंडदान के लिए सबसे प्रसिद्ध स्थान है, लेकिन इसके अलावा भारत में कई अन्य पवित्र स्थान हैं, जहां पिंडदान किया जाता है। आइए, जानते हैं उन प्रमुख स्थानों के बारे में, जहां पिंडदान करने से पितरों को मुक्ति मिलती है।
हरिद्वार, उत्तराखंड
हरिद्वार गंगा नदी के तट पर बसा एक पवित्र तीर्थ स्थल है। यहां नारायणी शिला के पास पिंडदान किया जाता है। मान्यता है कि हरिद्वार में पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है। यहां गंगा के घाटों पर तर्पण और पिंडदान का विशेष महत्व है।
वाराणसी (काशी), उत्तर प्रदेश
वाराणसी, जिसे काशी भी कहा जाता है, भगवान शिव की नगरी है। यहां गंगा के घाटों, खासकर मणिकर्णिका और दशाश्वमेध घाट पर पिंडदान करने की परंपरा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, काशी में पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है। यह स्थान आध्यात्मिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
बद्रीनाथ, उत्तराखंड
बद्रीनाथ चार धामों में से एक है और पिंडदान के लिए भी पवित्र स्थान है। यहां नारायण शिला पर पिंडदान करने की मान्यता है। कहा जाता है कि बद्रीनाथ में पिंडदान करने से पूर्वजों को बैकुंठ धाम में स्थान मिलता है। यह स्थान हिमालय की गोद में होने के कारण और भी खास है।
जगन्नाथ पुरी, ओडिशा
जगन्नाथ पुरी एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, जो भगवान जगन्नाथ के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। यहां महानदी और भार्गवी नदी के तट पर पिंडदान किया जाता है। पितृपक्ष में लोग यहां पिंडदान करने आते हैं, जिससे उनके पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।
मथुरा, उत्तर प्रदेश
मथुरा भगवान श्रीकृष्ण की नगरी है और पिंडदान के लिए भी महत्वपूर्ण स्थान है। यमुना नदी के तट पर बने ध्रुव घाट पर पिंडदान और तर्पण की परंपरा है। मान्यता है कि ध्रुव घाट पर पिंडदान करने से पूर्वजों को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
प्रयागराज को तीर्थराज के नाम से जाना जाता है, जहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का संगम होता है। इस संगम पर पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। पितृपक्ष में यहां श्राद्ध और तर्पण के लिए विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं।
पुष्कर, राजस्थान
पुष्कर में पवित्र सरोवर और ब्रह्मा जी का मंदिर है। यह स्थान पिंडदान के लिए भी शुभ माना जाता है। पुष्कर के सरोवर के किनारे पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार को सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
कुरुक्षेत्र, हरियाणा
कुरुक्षेत्र को सात पवित्र नदियों का संगम माना जाता है। यहां सन्निहित सरोवर के किनारे पिंडदान करने की परंपरा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कुरुक्षेत्र में पिंडदान करने से पितरों को मुक्ति मिलती है और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
पिंडदान का क्या है महत्व
पिंडदान का अनुष्ठान पितृपक्ष में विशेष रूप से किया जाता है। यह न केवल पूर्वजों की आत्मा को शांति देता है, बल्कि परिवार में सुख, समृद्धि और शांति भी लाता है। मान्यता है कि पवित्र स्थानों पर पिंडदान करने से पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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