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Nirjala Ekadashi 2025: यदि निर्जला एकादशी का व्रत टूट जाए, तो क्या करें? जानिए 7 सरल उपाय

Nirjala Ekadashi 2025: निर्जला एकादशी सभी एकादशियों में सबसे कठिन मानी गई है। यदि कभी मजबूरी में निर्जला एकादशी का व्रत टूट भी जाए तो परेशान न हों। यहां बताए गए उपायों को अपनाकर आप भगवान विष्णु से क्षमा प्राप्त कर सकते हैं और अपना व्रत फिर से स्थापित कर सकते हैं। आइए जानते हैं, क्या है ये खास लेकिन सरल उपाय?

Author Edited By : Shyamnandan Updated: May 29, 2025 11:31
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Nirjala Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत को अत्यंत पुण्यदायक और मोक्ष देने वाला माना गया है। सालभर की सभी 24 एकादशियों में से निर्जला एकादशी को सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसमें जल तक ग्रहण नहीं किया जाता, इसीलिए इसे “निर्जला एकादशी” कहा जाता है। 2025 में यह व्रत 7 जून को आने की संभावना है। आइए जानते हैं, निर्जला एकादशी कैसे करते हैं और यदि कभी मजबूरी में निर्जला एकादशी का व्रत टूट भी जाए तो क्या करें?

निर्जला एकादशी व्रत कैसे करें?

  • व्रत की पूर्व संध्या पर हल्का सात्विक भोजन करें।
  • एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
  • दिनभर भगवान विष्णु का नाम स्मरण करें और जल तक ग्रहण न करें।
  • द्वादशी के दिन व्रत का पारण करें और ब्राह्मणों या ज़रूरतमंदों को भोजन कराकर और फिर खुद भोजन करें।

अगर व्रत टूट जाए तो क्या करें?

व्रत करते समय शारीरिक कमजोरी, अनजाने में कुछ खा लेना या पानी पी लेना जैसी वजहों से व्रत टूट सकता है। ऐसी स्थिति में घबराएं नहीं। शास्त्रों में इसका समाधान बताया गया है। आइए जानें आसान और प्रभावशाली उपाय।

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1. मानसिक शुद्धता लाएं: अगर व्रत किसी भी कारण से टूट गया हो तो स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें। यह शुद्धता और संकल्प के नवीनीकरण का प्रतीक है।

2. क्षमा-याचना करें: भगवान विष्णु की क्षमा-याचना करें और श्री हरि विष्णु के समक्ष बैठकर यह मंत्र श्रद्धापूर्वक बोलें:

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“मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन।
यत्पूजितं मया देव परिपूर्ण तदस्तु मे॥
ॐ श्री विष्णवे नमः। क्षमा याचनाम् समर्पयामि॥”

3. पंचामृत से अभिषेक करें: भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र का पंचामृत (दूध, दही, शहद, शक्कर, घी) से अभिषेक करें। यह एक पवित्र और भक्तिपूर्ण क्रिया मानी जाती है।

4. तुलसी की माला से मंत्र जाप करें: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का कम से कम 11 माला तुलसी की माला से जाप करें। यह आत्मशुद्धि और पुनर्प्रायश्चित्त का सर्वोत्तम उपाय है।

5. एक माला का हवन करें: मंत्र जाप के बाद एक माला से हवन करना श्रेष्ठ माना जाता है। आप घर पर घी, कपूर और हवन सामग्री से छोटा सा हवन कर सकते हैं।

6. दान और सेवा करें: गौ माता, ब्राह्मण और कन्याओं को भोजन कराएं। इसके अलावा विष्णु मंदिर में पीले वस्त्र, फल, मिष्ठान्न, चने की दाल, हल्दी, केसर, धार्मिक ग्रंथ आदि का दान करें।

7. भविष्य में संकल्प लें: भगवान से प्रार्थना करें कि आप आगे से व्रत विधिवत रूप से पूर्ण करें। मन में यह दृढ़ संकल्प लें कि ऐसी भूल दोबारा न हो।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: May 29, 2025 11:31 AM

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