Himachal Pradesh Shimla Dhami Pathar Mela: पत्थर मेला हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से करीब 30 किलोमीटर दूर धामी गांव में होता है. यहां पर धामी के हलोग में पत्थरों का अनोखा मेला लगता है. यहां पर इस पत्थर मेले की परंपरा सदियों से चली आ रही है. पत्थर मेले के दौरान पत्थरों का मेला यानी खेल होता है. यह पत्थर मेला दिवाली के अगले दिन होता है. इस दौरान दो समुदाय के लोग इकट्ठा होते हैं और दोनों के बीच खूब जमकर पत्थरबाजी होती है. दोनों पक्ष के लोग एक-दूसरे पर पत्थर बरसाते हैं.
हिमाचल प्रदेश धामी का पत्थर मेला
आज मंगलवार के दिन धामी में पत्थर मेला देखने को मिला. इस पत्थर मेले के दौरान दोनों तरफ से पत्थरों की जमकर बरसात हुई. पत्थरों की बारिश का यह सिलसिला तब तक जारी रहा, जब तक कि एक पक्ष लहूलुहान नहीं हो गया. बता दें कि, इस मेले की शुरुआत राजपरिवार के नरसिंह पूजन के साथ होती है. सालों से चली आ रही इस परंपरा में सैंकड़ों की संख्या में लोग धामी चौराहे के आसपास एकत्रित हुए.
ये भी पढ़ें – Bhai Dooj 2025: भाई दूज पर बहन को न दें ये 5 गिफ्ट, अशुभ माने जाते हैं ऐसे तोहफे, रिश्तों पर पड़ता है असर
क्या है मान्यता?
हिमाचल प्रदेश के पत्थर मेले में धामी रियासत के राजा शाही अंदाज में मेले वाले स्थान पर पहुंचे. यहां पर हर साल भद्रकाली को नर बलि दी जाती थी. एक बार धामी रियासत की रानी ने सती होने से पहले नर बलि को बंद करने का हुक्म दिया था. इसके बाद से पशु बलि शुरू कर दी. इसके बाद पशु बली को भी बंद कर दिया गया.
इसके बाद यहां पर पत्थर का मेला शुरू किया गया. इस पत्थर मेले में किसी के चोट लगने के बाद व्यक्ति का खून निकलता है तो उस खून से मां भद्रकाली के चबूतरे पर तिलक लगाया जाता है. पत्थर मेले के बारे में राजवंश और यहां के लोग दावा करते हैं कि आज तक पत्थर लगने से किसी की जान नहीं गई है. इस दौरान यदि राज परिवार में किसी की मौत हो जाती है तो पहले मेले की रस्म निभाई जाती है, उसके बाद दाह संस्कार किया जाता है.
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है और केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।