पूजा समाप्त होने के बाद गोवर्धन पर्वत को कुछ देर तक उसी स्थान पर रहने दें. रात में गोबर को एक जगह पर एकत्र करके उसके ऊपर सफेद सींकें लगाएं और सरसों के तेल का दीपक जलाएं. अगले दिन गोबर को कच्चे घर की लिपाई या खेतों में खाद के तौर पर इस्तेमाल करें. इसके अलावा गोबर को घर में मौजूद गमलों में भी डाल सकते हैं.
Govardhan Puja Shubh Muhurat, Puja Vidhi Live Updates: हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है. यह सामान्य तौर पर दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है. इस साल अमावस्या तिथि दो दिन होने के कारण गोवर्धन पूजा का पर्व 22 अक्टूबर यानी आज मनाया जा रहा है. गोवर्धन पूजा के दिन भक्त गोबर से गोवर्धन पर्वत की प्रतिमा बनाकर पूजा करते हैं. भगवान को अन्नकूट का भोग लगाया जाता है. गोवर्धन पूजा प्रकृति और ईश्वर के आभार का प्रतीक है. यह प्रकृति के प्रति सम्मान का धर्म सिखाती है.
आज मनाई जा रही है गोवर्धन पूजा जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और गोवर्धन पूजन का महत्व
Govardhan Puja 2025: आज है गोवर्धन पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और गोवर्धन पूजन का महत्व
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गोवर्धन पूजा के दिन जरूर करें भगवान श्रीकृष्ण जी की आरती
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है और केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।
शास्त्रों में बताया गया है कि गोवर्धन पूजन में इस्तेमाल की गई पूजा सामग्री को कुछ समय के लिए घर के मंदिर में रखें. फिर किसी शुभ दिन उन्हें पवित्र नदी में प्रवाहित कर दें.
यदि आपकी कोई इच्छा है जो पूरी नहीं हो रही है तो आज रात “ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः॥” मंत्र का 108 बार जाप करें. मंत्र जाप करने के बाद अपनी मनोकामना को 3 बार बोलें और गलतियों के लिए माफी मांगें. इस उपाय से आपकी वो इच्छा जल्द पूरी हो सकती है.
|| दोहा ||
बन्दहुँ वीणा वादिनी धरि गणपति को ध्यान |
महाशक्ति राधा सहित, कृष्ण करौ कल्याण ||
सुमिरन करि सब देवगण, गुरु पितु बारम्बार |
बरनौ श्रीगिरिराज यश, निज मति के अनुसार ||
|| चौपाई ||
जय हो जय बंदित गिरिराजा | ब्रज मण्डल के श्री महाराजा ||
विष्णु रूप तुम हो अवतारी | सुन्दरता पै जग बलिहारी ||
स्वर्ण शिखर अति शोभा पावें | सुर मुनि गण दरशन कूं आवें ||
शांत कंदरा स्वर्ग समाना | जहाँ तपस्वी धरते ध्याना ||
द्रोणगिरि के तुम युवराजा | भक्तन के साधौ हौ काजा ||
मुनि पुलस्त्य जी के मन भाये | जोर विनय कर तुम कूं लाये ||
मुनिवर संघ जब ब्रज में आये | लखि ब्रजभूमि यहाँ ठहराये ||
विष्णु धाम गौलोक सुहावन | यमुना गोवर्धन वृन्दावन ||
देख देव मन में ललचाये | बास करन बहुत रूप बनाये ||
कोउ बानर कोउ मृग के रूपा | कोउ वृक्ष कोउ लता स्वरूपा ||
आनन्द लें गोलोक धाम के | परम उपासक रूप नाम के ||
द्वापर अंत भये अवतारी | कृष्णचन्द्र आनन्द मुरारी ||
महिमा तुम्हरी कृष्ण बखानी | पूजा करिबे की मन में ठानी ||
ब्रजवासी सब के लिये बुलाई | गोवर्धन पूजा करवाई ||
पूजन कूं व्यंजन बनवाये | ब्रजवासी घर घर ते लाये ||
ग्वाल बाल मिलि पूजा कीनी | सहस भुजा तुमने कर लीनी ||
स्वयं प्रकट हो कृष्ण पूजा में | मांग मांग के भोजन पावें ||
लखि नर नारि मन हरषावें | जै जै जै गिरिवर गुण गावें ||
देवराज मन में रिसियाए | नष्ट करन ब्रज मेघ बुलाए ||
छाया कर ब्रज लियौ बचाई | एकउ बूंद न नीचे आई ||
सात दिवस भई बरसा भारी | थके मेघ भारी जल धारी ||
कृष्णचन्द्र ने नख पै धारे | नमो नमो ब्रज के रखवारे ||
करि अभिमान थके सुरसाई | क्षमा मांग पुनि अस्तुति गाई ||
त्राहि माम मैं शरण तिहारी | क्षमा करो प्रभु चूक हमारी ||
बार बार बिनती अति कीनी | सात कोस परिकम्मा दीनी ||
संग सुरभि ऐरावत लाये | हाथ जोड़ कर भेंट गहाए ||
अभय दान पा इन्द्र सिहाये | करि प्रणाम निज लोक सिधाये ||
जो यह कथा सुनैं चित लावें | अन्त समय सुरपति पद पावैं ||
गोवर्धन है नाम तिहारौ | करते भक्तन कौ निस्तारौ ||
जो नर तुम्हरे दर्शन पावें | तिनके दुख दूर ह्वै जावे ||
कुण्डन में जो करें आचमन | धन्य धन्य वह मानव जीवन ||
मानसी गंगा में जो नहावे | सीधे स्वर्ग लोक कूं जावें ||
दूध चढ़ा जो भोग लगावें | आधि व्याधि तेहि पास न आवें ||
जल फल तुलसी पत्र चढ़ावें | मन वांछित फल निश्चय पावें ||
जो नर देत दूध की धारा | भरौ रहे ताकौ भण्डारा ||
करें जागरण जो नर कोई | दुख दरिद्र भय ताहि न होई ||
श्याम शिलामय निज जन त्राता | भक्ति मुक्ति सरबस के दाता ||
पुत्रहीन जो तुम कूं ध्यावें | ताकूं पुत्र प्राप्ति ह्वै जावें ||
दण्डौती परिकम्मा करहीं | ते सहजहिं भवसागर तरहीं ||
कलि में तुम सक देव न दूजा | सुर नर मुनि सब करते पूजा ||
|| दोहा ||
जो यह चालीसा पढ़ै, सुनै शुद्ध चित्त लाय ।
सत्य सत्य यह सत्य है, गिरिवर करै सहाय ||
क्षमा करहुँ अपराध मम, त्राहि माम् गिरिराज |
श्याम बिहारी शरण में, गोवर्धन महाराज ||
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।।
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज, तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।।
तोपे पान चढ़े, तोपे फूल चढ़े, तोपे चढ़े दूध की धार।।
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज, तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।।
तेरे गले में कंठा साज रेहेओ, ठोड़ी पे हीरा लाल।।
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज, तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।।
तेरे कानन कुंडल चमक रहेओ, तेरी झांकी बनी विशाल।।
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज, तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।।
तेरी सात कोस की परिकम्मा, चकलेश्वर है विश्राम।।
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज, तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।।
गिरिराज धारण प्रभु तेरी शरण।।
आज गोवर्धन पूजा के दो शुभ मुहूर्त हैं. पहले मुहूर्त सुबह था, जिसका समापन हो गया है. वहीं, अब दूसरे मुहूर्त का आरंभ हो चुका है. गोवर्धन पूजा के दूसरे शुभ मुहूर्त का आरंभ दोपहर 3 बजकर 29 मिनट से हुआ है, जो शाम को 5 बजकर 44 मिनट तक रहेगा.
॥ दोहा ॥
बंशी शोभित कर मधुर,नील जलद तन श्याम।
अरुण अधर जनु बिम्बा फल,पिताम्बर शुभ साज॥
जय मनमोहन मदन छवि,कृष्णचन्द्र महाराज।
करहु कृपा हे रवि तनय,राखहु जन की लाज॥
॥ चौपाई ॥
जय यदुनन्दन जय जगवन्दन।
जय वसुदेव देवकी नन्दन॥
जय यशुदा सुत नन्द दुलारे।
जय प्रभु भक्तन के दृग तारे॥
जय नट-नागर नाग नथैया।
कृष्ण कन्हैया धेनु चरैया॥
पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो।
आओ दीनन कष्ट निवारो॥
वंशी मधुर अधर धरी तेरी।
होवे पूर्ण मनोरथ मेरो॥
आओ हरि पुनि माखन चाखो।
आज लाज भारत की राखो॥
गोल कपोल, चिबुक अरुणारे।
मृदु मुस्कान मोहिनी डारे॥
रंजित राजिव नयन विशाला।
मोर मुकुट वैजयंती माला॥
कुण्डल श्रवण पीतपट आछे।
कटि किंकणी काछन काछे॥
नील जलज सुन्दर तनु सोहे।
छवि लखि, सुर नर मुनिमन मोहे॥
मस्तक तिलक, अलक घुंघराले।
आओ कृष्ण बाँसुरी वाले॥
करि पय पान, पुतनहि तारयो।
अका बका कागासुर मारयो॥
मधुवन जलत अग्नि जब ज्वाला।
भै शीतल, लखितहिं नन्दलाला॥
सुरपति जब ब्रज चढ़यो रिसाई।
मसूर धार वारि वर्षाई॥
लगत-लगत ब्रज चहन बहायो।
गोवर्धन नखधारि बचायो॥
लखि यसुदा मन भ्रम अधिकाई।
मुख महं चौदह भुवन दिखाई॥
दुष्ट कंस अति उधम मचायो।
कोटि कमल जब फूल मंगायो॥
नाथि कालियहिं तब तुम लीन्हें।
चरणचिन्ह दै निर्भय किन्हें॥
करि गोपिन संग रास विलासा।
सबकी पूरण करी अभिलाषा॥
केतिक महा असुर संहारयो।
कंसहि केस पकड़ि दै मारयो॥
मात-पिता की बन्दि छुड़ाई।
उग्रसेन कहं राज दिलाई॥
महि से मृतक छहों सुत लायो।
मातु देवकी शोक मिटायो॥
भौमासुर मुर दैत्य संहारी।
लाये षट दश सहसकुमारी॥
दै भिन्हीं तृण चीर सहारा।
जरासिंधु राक्षस कहं मारा॥
असुर बकासुर आदिक मारयो।
भक्तन के तब कष्ट निवारियो॥
दीन सुदामा के दुःख टारयो।
तंदुल तीन मूंठ मुख डारयो॥
प्रेम के साग विदुर घर मांगे।
दुर्योधन के मेवा त्यागे॥
लखि प्रेम की महिमा भारी।
ऐसे श्याम दीन हितकारी॥
भारत के पारथ रथ हांके।
लिए चक्र कर नहिं बल ताके॥
निज गीता के ज्ञान सुनाये।
भक्तन हृदय सुधा वर्षाये॥
मीरा थी ऐसी मतवाली।
विष पी गई बजाकर ताली॥
राना भेजा सांप पिटारी।
शालिग्राम बने बनवारी॥
निज माया तुम विधिहिं दिखायो।
उर ते संशय सकल मिटायो॥
तब शत निन्दा करी तत्काला।
जीवन मुक्त भयो शिशुपाला॥
जबहिं द्रौपदी टेर लगाई।
दीनानाथ लाज अब जाई॥
तुरतहिं वसन बने नन्दलाला।
बढ़े चीर भै अरि मुँह काला॥
अस नाथ के नाथ कन्हैया।
डूबत भंवर बचावत नैया॥
सुन्दरदास आस उर धारी।
दयादृष्टि कीजै बनवारी॥
नाथ सकल मम कुमति निवारो।
क्षमहु बेगि अपराध हमारो॥
खोलो पट अब दर्शन दीजै।
बोलो कृष्ण कन्हैया की जै॥
॥ दोहा ॥
यह चालीसा कृष्ण का, पाठ करै उर धारि।
अष्ट सिद्धि नवनिधि फल, लहै पदारथ चारि॥
आज गोवर्धन पूजा के दिन बन रहा चतुर्ग्रही योग
आज गोवर्धन पूजा के दिन तुला राशि में बुध, मंगल, चंद्रमा और सूर्य राशि के विराजमान होने से चतुर्ग्रही योग बन रहा है. आज इस शुभ योग का मेष, कर्क, कन्या, तुला और कुंभ राशि के जातको को लाभ मिलेगा. इसके साथ ही इन राशि वालों पर भगवान श्रीकृष्ण की विशेष कृपा रहेगी. आप इसके बारे में विस्तार से नीचे दिये लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं.
आप गोवर्धन पूजा के बाद गोबर को कच्चे घर की लिपाई के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके उपले बनाकर इस्तेमाल कर सकते हैं और खेतों में खाद के तौर पर डाल सकते हैं. अगर आप शहरों में रहते हैं और इन जगहों पर इसका इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं तो इस गोबर को खाद बनाकर गमले में डालें. आप घर और छत पर रखे गमलों में इसे डाल सकते हैं.
भगवान श्रीकृष्ण जी की आरती (Krishna Ji Ki Aarti Lyrics)
आरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला
श्रवण में कुण्डल झलकाला,नंद के आनंद नंदलाला
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली
लतन में ठाढ़े बनमाली भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक
चंद्र सी झलक, ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की, आरती कुंजबिहारी की…॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं।
गगन सों सुमन रासि बरसै, बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग ग्वालिन संग।
अतुल रति गोप कुमारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
जहां ते प्रकट भई गंगा, सकल मन हारिणि श्री गंगा।
स्मरन ते होत मोह भंगा, बसी शिव सीस।
जटा के बीच,हरै अघ कीच, चरन छवि श्रीबनवारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥ ॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू
हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद, कटत भव फंद।
टेर सुन दीन दुखारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
आरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
इंद्रदेव का अहंकार तोड़ने के लिए श्रीकृष्ण ने रची थी गोवर्धन लीला, जरूर पढ़ें गोवर्धन पूजा की कथा
प्राचीन काल में दिवाली के अगले दिन कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को इंद्र देव की पूजा करने की परंपरा थी. यह पूजा खासकर गोकुल और ब्रज क्षेत्र में की जाती थी. एक बार भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुल के लोगों से कहा कि, इंद्र देव की पूजा से कोई लाभ नहीं है हमें पेड़ों-पशुओं और पर्वत की पूजा करनी चाहिए. लोगों ने भगवान कृष्ण के कहने पर गोवर्धन की पूजा की और इस बात पर इंद्र देव नाराज हो गए. इंद्र देव ने नाराज होकर खूब वर्षा की. भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुलवासियों और पशुओं की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाया और इसके नीचे सभी लोगों ने शरण ली. भगवान श्रीकृष्ण ने इस प्रकार उन्होंने सभी की रक्षा की. यह सब देखकर इंद्र का घमंड चूर-चूर हो गया. इंद्र देव को इससे लज्जित होकर क्षमा याचना करनी पड़ी.
आज गोवर्धन पूजा के दिन अपने प्रियजनों और परिवार वालों को यहां से भेजें गोवर्धन पूजा के मैसेजेस, शुभकामनाएं और शेयर करें कोट्स, स्टेटस और फोटोज...
ॐ अन्नपूर्णायै नमः
ॐ गोवर्धनाय नमः
ॐ गोकुलेश्वराय नमः
ॐ धनधान्यवृद्धये नमः
ॐ नमो गोवर्धनाय:
ॐ नमो गोवर्धनाय नमः
ॐ गोवर्धनाय वंदे जगत्प्रभवे
गोर्वधन महाराज जी की आरती (Govardhan Maharaj Ji Ki Aarti Lyrics)
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े,
तोपे चढ़े दूध की धार।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरी सात कोस की परिकम्मा,
और चकलेश्वर विश्राम
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरे गले में कण्ठा साज रहेओ,
ठोड़ी पे हीरा लाल।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरे कानन कुण्डल चमक रहेओ,
तेरी झांकी बनी विशाल।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
गिरिराज धरण प्रभु तेरी शरण।
करो भक्त का बेड़ा पार
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
“गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक. विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव”
“ॐ श्रीकृष्णः शरणं मम”
“कृं कृष्णाय नमः”
"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय"
“ॐ देवकीनंदनाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि. तन्नो कृष्णः प्रचोदयात्"
गोवर्धन पूजा के लिए सामग्री (Govardhan Puja Complete Samagri List)
गाय का गोबर
मिट्टी के दीपक
घी या तेल
रुई की बत्तियां
गंगाजल
गोवर्धन पर्वत की फोटो
आम के पत्ते
नारियल
सुपारी और सिक्के
कपूर
अगरबत्ती
फूल माला
रोली, हल्दी और चावल
पंचामृत
फल
सूखे मेवे
कृष्ण जी की प्रतिमा
गोवर्धन पूजा कथा की किताब
गोवर्धन पूजा विधि (Govardhan Puja Vidhi)
आज गोवर्धन पूजा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर घर-आंगन की सफाई करें. घर के आंगन में या घर के मुख्य द्वार के पास गोबर से गोवर्धन पर्वत की प्रतिमा बनाएं. इसके आस-पास बछड़े और ग्वालिन की मूर्तियां रखें या गोबर से प्रतिमा बनाएं. इसे फूलों से अच्छे से सजाएं. इसके बाद रोली, खीर, बताशे, चावल, जल, पान, केसर, दूध, फूल और दीपक अर्पित करें. गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा लगाएं और पूजा करें. अन्नकूट और छप्पन भोग भगवान को अर्पित करें इसके बाद इसे प्रसाद के तौर पर खाएं.
गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्त (Govardhan Puja Shubh Muhurat)
गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 30 मिनट पर शुरू होगा जिसका समापन सुबह 8 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगा. इसके अलावा शाम के समय पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर को 3 बजकर 29 मिनट से शाम को 5 बजकर 44 मिनट कर रहेगा. आप इन शुभ मुहूर्त के दौरान गोवर्धन पूजा कर सकते हैं. आज दिन प्रीति योग और लक्ष्मी योग का निर्माण हो रहा है यह योग पूजा और मांगलिक कार्य के लिए शुभ होते हैं. गोवर्धन पूजा से भगवान कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है.










