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Garud Puran: मृत्युलोक की अदालतों से कितनी अलग है यमराज की अदालत? यहां कैसे सुनाई जाती है सजा?

Garud Puran: हम सभी जानते हैं कि धरतीलोक पर अपराधियों को सजा देने के लिए कई अदालतें बनी हुई है। इन अदालतों में आरोपियों को बचाव के लिए वकील की सुविधा भी दी जाती है लेकिन क्या आप जानते हैं मृत्यु के बाद जब आत्मा यमराज की अदालत में जाती है तो यमराज कैसे ये निर्णय लेते है की कौन सी आत्मा स्वर्ग जाएगी और कौन सी नरक?

Edited By : News24 हिंदी | Updated: Sep 9, 2024 19:20
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garud puran katha

Garud Puran: गरुड़ पुराण में जीवन के बाद होने वाली सारी घटनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया।  इस पुराण में आत्मा को यमलोक में किस तरह अदालती कार्रवाई से होकर गुजरना पड़ता है उसकी पूरी प्रक्रिया भी बताई गई है। इस लेख में जानेंगे की यमलोक की अदालत कैसी है और वहां आत्माओं को सजा कैसे दी जाती है?

कैसा है यमलोक?

गरुड़ पुराण में बताया गया है यमराज की अदालत में देवता भी यमराज की मर्जी के बिना प्रवेश नहीं कर सकते। यमराज की सेवा में लगे लोगों को यमदूत कहा जाता है।  अदालत के दरवाजे पर पहरा दे रहे दूतों को धर्म ध्वज के नाम से जाना जाता है। यमलोक में चार द्वार बने हुए हैं। ये चारों द्वार उत्तरी  द्वार, दक्षिणी द्वार, पश्चिमी द्वार और पूर्वी द्वार के नाम से जाने जाते हैं ।

पूरब के दरवाजे से ऋषि-मुनि,योगी और सिद्ध पुरुषों की आत्मा को प्रवेश दिया जाता है। इसे स्वर्ग द्वार भी कहा जाता है।  जो भी आत्माएं इस द्वार से यमलोक में प्रवेश करती है उसका स्वागत अप्सराओं द्वारा किया जाता है। वहीं पश्‍च‍िमी द्वार से ऐसी आत्मा को प्रवेश कराया जाता है जो जीवित रहते धर्म की रक्षा की हो,दान पुण्य किया हो या जिसकी मृत्यु किसी तीर्थ स्थान पर हुआ हो।

दक्षिणी द्वार से यमराज की अदलात में वैसी आत्माओं को लाया जाता है जो जीवित रहते पाप ही पाप किया हो। इसलिए दक्षिणी द्वार को नरक का द्वार भी कहा जाता है।  जबकि उत्तरी द्वार से वैसी आत्माओं को लाया जाता है जो अपने जीवनकाल में माता-पिता की सेवा की हो,सदैव सत्य का साथ दिया हो और जिसने कभी भी हिंसा न की हो।।

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कैसे दी जाती है सजा?

पूर्वी द्वार से जो भी आत्माएं यमलोक में आती है उसे यमराज के अदालत में हाजिर नहीं होना पड़ता है। उसे सीधा स्वर्ग भेज दिया जाता है।  वहीं बाकी के तीन द्वार से जो भी आत्माएं यमलोक में प्रवेश करती है उन्हें अदालत में यमराज के सामने हाजिर होना पड़ता है। अदालत में यमराज अपने सिंहासन पर विराजमान होते हैं। दूतों द्वारा आत्मा को लेकर यमराज के सामने कठघरे में खड़ा कर दिया जाता है।

उसके बाद चित्रगुप्त जी महाराज उस आत्मा के कर्मों का लेखा-जोखा यमराज को एक वकील की तरह बताते हैं। फिर यमराज उसके पुण्य और पाप कर्मो की तुलना करते हैं।  यदि पुण्य की मात्रा अधिक होती है तो उस आत्मा को सुख भोगने के लिए स्वर्ग भेज दिया जाता है और जब पुण्य की मात्रा समाप्त हो जाती है तो उसे पाप की मात्रा के बराबर नरक का कष्ट सहना पड़ता है।

वहीं जिस मृतात्मा के लेखा-जोखा में पाप की मात्रा अधिक पाई जाती है उसे पहले नरक का कष्ट भोगना पड़ता है। उसके बाद उसे स्वर्ग में सुख भोगने के लिए भेजा जाता है। कुछ आत्माएं ऐसी भी होती है जो जीवित रहते हुए रेप-हत्या जैसे जघन्य अपराध करते हैं उन्हें मृत्यु के बाद तामिस्र नामा के नरक में लाखों वर्षों तक कष्ट भोगना पड़ता है।

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डिस्क्लेमर:यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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News24 हिंदी

First published on: Sep 09, 2024 07:20 PM

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