First Ravan Dahan in History: देशभर में बड़ी ही धूमधाम के साथ दशहरे का पर्व मनाया जाता है. इस बार दशहरा 2 अक्टूबर 2025 को है. दशहरे के दिन कई स्थानों पर रावण का पुतला लगाते हैं और इसे जलाते हैं. रावण का पुतला जलाने की परंपरा कापी पुरानी है. क्या आपने सोचा है कि, पहली बार रावण कब और कहां जलाया गया था. चलिए जानते हैं कि, रावण दहन की शुरुआत कब हुई थी.
पहली बार रावण दहन कब हुआ था?
रावण दहन के इतिहास को लेकर पुख्ता प्रमाण तो नहीं हैं. जानकारी और दावो के मुताबिक, पहली बार रावण दहन साल 1948 में हुआ था. लोगों ने रांची शहर में रावण दहन किया था जो उस समय पर बिहार का हिस्सा था. यह रावण दहन भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद पाकिस्तान से आए शरणार्थी परिवारों ने किया था. यहीं से रावण दहन की शुरुआत मानी जाती है.
ये भी पढ़ें – Shardiya Navratri 2025: नवरात्रि के बाद बची पूजा सामग्री का क्या करें? फेंकने की बजाय ऐसे करें इस्तेमाल
तब रावण दहन के लिए छोटे-छोटे आयोजन होते थे. अब यह बड़े रूप में किया जाता है. धीरे-धीरे लोगों की इसमें भागीदारी बढ़ती रही और अब देशभर में हजारों जगह रावण दहन किया जाता है. कई जगहों पर सौ फुट से भी लंबे रावण के पुतले जलाएं जाते हैं. शारदीय नवरात्रि के दौरान रामलीला का मंचर होता है और दशहरे पर रावण जलाया जाता है.
क्यों जलाया जाता है रावण का पुतला?
रामायण के अनुसार, दशहरे के दिन ही भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था. इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. इसे विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है. बुराई के प्रतीक के रूप में रावण दहन किया जाता है. कई जगहों पर रावण के साथ मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले भी जलाएं जाते हैं.
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.