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Religion

Devuthani Ekadashi 2025: 1 या 2 नवंबर किस दिन है देवउठनी एकादशी? यहां दूर करें तारीख को लेकर कन्फ्यूजन

Devuthani Ekadashi Kab Hai: विष्णु भगवान के निद्रा योग में जाने के चार महीने बाद देवउठनी एकादशी आती है. इस दिन भगवान विष्णु चार महीनों की योग निद्रा से जागते हैं. देवउठनी एकादशी से शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है. चलिए जानते हैं कि, देवउठनी एकादशी किस दिन मनाई जाएगी.

Author Written By: Aman Maheshwari Author Published By : Aman Maheshwari Updated: Oct 27, 2025 15:07
Devuthani Ekadashi 2025

Devuthani Ekadashi Date: कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि पर देवउठनी एकादशी मनाई जाती है. इस दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागृत होते हैं. यह एकादशी तिथि काफी खास मानी जाती है. इस दिन से शुभ कार्यों की शुरुआत होती है. देवउठनी एकादशी के साथ ही चातुर्मास का समापन होता है और मांगलिक कार्य शुरू होते हैं. इस साल देवउठनी एकादशी किस दिन मनाई जाएगी चलिए इसकी सटीक तारीख के बारे में जानते हैं.

1 या 2 नवंबर कब है देवउठनी एकादशी?

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देवउठनी एकादशी की तिथि को लेकर लोगों के बीच कन्फ्यूजन की स्थिति बनी हुई है. देवउठनी एकादशी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है. इस तिथि का आरंभ 1 नवंबर को सुबह 9 बजकर 11 मिनट पर हो रहा है जिसका समापन अगले दिन 2 नवंबर को सुबह 7 बजकर 31 मिनट पर होगा. सूर्योदय तिथि को महत्व देते हुए देवउठनी एकादशी 2 नवंबर को मनाई जाएगी.

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देवउठनी एकादशी पर करें इन मंत्रों का जाप

शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्
विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्।

ओम नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:
अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोग निवारणाय
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप
श्री धन्वंतरि स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नम:।।

देवउठनी एकादशी पूजा विधि

देवउठनी एकादशी पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और फिर पीले रंग के साफ वस्त्र धारण करें. भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें. पूजा स्थल की सफाई करके चौकी लगाएं और कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की फोटो स्थापित करें. इसके बाद घी का दीपक और धूप जलाकर भगवान विष्णु की आराधना करें. भगवान को मिठाई और फलों का भोग लगाएं और इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करें.

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.

First published on: Oct 27, 2025 03:07 PM

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