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Religion

देवशयनी एकादशी पर न करें ये काम, हो सकता है नुकसान

Devshayani Ekadashi 2025: देवशयनी एकादशी को हरिशयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। देवशयनी एकादशी पर कुछ कार्यों को करने से बचना चाहिए। माना जाता है कि इन कामों को करने से कई प्रकार की भविष्य में आपको समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Mohit Tiwari Updated: Jul 5, 2025 21:56
Devshayani Ekadashi 2025
Credit- pexels

Devshayani Ekadashi 2025: देवशयनी एकादशी, जिसे हरिशयनी या आषाढ़ी एकादशी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। यह आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। 2025 में यह पर्व 6 जुलाई को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु चार मास के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं, इन 4 महीनों को चातुर्मास कहा जाता है। इस अवधि में कई शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है और इस समय पर भक्तों को कुछ विशेष नियमों का पालन करना होता है। मान्यता है कि इस दिन कुछ कार्यों को करने से बचना चाहिए, क्योंकि ये भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने में बाधा डाल सकते हैं।

चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं भगवान विष्णु

देवशयनी एकादशी का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है। इस दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में शेषनाग की शय्या पर विश्राम के लिए चले जाते हैं और चार महीने बाद कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी, यानी देवप्रबोधिनी एकादशी को जागते हैं। इस अवधि को चातुर्मास कहा जाता है, जो भक्ति, तप, दान और आत्मसंयम का समय माना जाता है। देवशयनी एकादशी के दिन लोग उपवास, भजन-कीर्तन और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। हालांकि इस दिन कुछ कार्यों को करने से बचना चाहिए, ताकि भगवान की कृपा बनी रहे और नकारात्मक प्रभावों से बचा जा सके। आइए जानते हैं कि देवशयनी एकादशी पर कौन से काम नहीं करने चाहिए?

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देवशयनी एकादशी पर न करें ये कार्य

देवशयनी एकादशी के दिन और चातुर्मास के दौरान कुछ कार्यों को शास्त्रों में निषिद्ध माना गया है। ये कार्य न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से अनुचित हैं, बल्कि ये मन और आत्मा की शुद्धि में भी बाधक हो सकते हैं।

मांस-मदिरा का सेवन

इस दिन मांस, मछली, अंडा और मदिरा जैसे तामसिक भोजन का सेवन पूरी तरह वर्जित है। एकादशी का उपवास सात्विकता और शुद्धता का प्रतीक है। मांस-मदिरा का सेवन न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि यह मन को भी अशांत करता है। इस दिन सात्विक भोजन जैसे फल, दूध, साबुदाना और कुट्टू का आटा ही ग्रहण करना चाहिए।

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तामसिक सब्जियों का सेवन

देवशयनी एकादशी के दिन कुछ सब्जियां जैसे प्याज, लहसुन, बैंगन और मशरूम खाने से बचना चाहिए। ये तामसिक प्रकृति की मानी जाती हैं और उपवास के दौरान इनके सेवन से मन की शुद्धि प्रभावित हो सकती है। इसके बजाय, हल्का और सात्विक भोजन करें।

बाल और नाखून काटना

शास्त्रों के अनुसार, एकादशी के दिन बाल, नाखून या दाढ़ी-मूंछ काटना अशुभ माना जाता है। ऐसा करने से सकारात्मक ऊर्जा का क्षय होता है और धार्मिक कार्यों का पुण्य प्रभावित हो सकता है। यदि आवश्यक हो, तो यह कार्य एकादशी से पहले या बाद में करें।

चावल और अनाज का सेवन

देवशयनी एकादशी के दिन चावल और अन्य अनाज जैसे गेहूं, जौ या दाल खाने से परहेज करना चाहिए। मान्यता है कि चावल खाने से एकादशी के व्रत का पुण्य कम हो जाता है। इसके बजाय, उपवास के लिए सात्विक खाद्य पदार्थों का सेवन करें। जो लोग पूर्ण उपवास नहीं कर सकते, वे फलाहारी भोजन ले सकते हैं।

झगड़ा करना

इस पवित्र दिन किसी का अपमान करना, लड़ाई-झगड़ा करना या किसी को दुख पहुंचाना अशुभ माना जाता है। एकादशी का दिन दया, करुणा और प्रेम का प्रतीक है। इस दिन सभी के साथ प्रेम और सम्मान का व्यवहार करें।

पेड़-पौधों को नुकसान पहुंचाना

एकादशी के दिन पेड़-पौधों को काटना, पत्तियाम तोड़ना या पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले कार्यों से बचना चाहिए। विशेष रूप से तुलसी के पौधे को इस दिन नहीं तोड़ना चाहिए, क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। इसके बजाय, तुलसी की पूजा करें और उनकी देखभाल करें।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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First published on: Jul 05, 2025 08:20 PM

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