---विज्ञापन---

महाभारत में भाई-बहन का विवाह! सब जानते हुए खामोश रहे कृष्ण, क्यों नहीं किया विरोध?

Mahabharata Story: महाभारत में ऐसी-ऐसी कथाएं, ऐसे-ऐसे प्रसंग हैं, जिन्हें पढ़कर और सुनकर हर कोई हैरत में पड़ जाता है। इसमें एक कथा ऐसी भी मिलती है कि जिसमें भाई और बहन में शादी होती है। जबकि भगवान कृष्ण सब कुछ जानते थे। आइए जानते हैं, ये सब जानते हुए वे खामोश क्यों रहे, उन्होंने इस शादी का विरोध क्यों नहीं किया?

Edited By : Shyam Nandan | Updated: Jul 12, 2024 13:56
Share :

Mahabharata Story: हिंदू धर्म में भाई और बहन की आपस में शादी नहीं हो सकती है। लेकिन महाभारत में एक कथा ऐसी मिलती है, जिसमें एक ममेरे भाई और फुफेरी बहन की शादी हुई थी। यह बात केवल आपको ही नहीं सबको अचरज में डाल देता है कि आखिर यह कैसे संभव है। सबसे बड़ी बात यह कि ये सब जानते हुए भगवान कृष्ण कैसे चुप रह गए? आइए जानते हैं, इससे जुड़ी सारी बातें।

महाभारत के दो सबसे प्रमुख पात्र

श्रीकृष्ण और अर्जुन महाभारत के दो सबसे प्रमुख पात्र हैं। वे दोनों केवल सखा या मित्र नहीं थे, बल्कि करीबी रिश्तेदार भी थे। महाभारत के प्रसंगों से पता चलता है कि अर्जुन की मां कुंती यदुवंशी राजा शूरसेन की पुत्री थीं। भगवान कृष्ण के पिता वसुदेव जी कुंती के छोटे भाई थे। इस तरह कुंती भगवान श्रीकृष्ण, उनके बड़े भारी बलराम और सुभद्रा की बुआ थी और अर्जुन और कृष्ण आपस में ममेरे-फुफेरे भाई थे। ये रिश्ता आज भी बहुत करीबी माना जाता है।

---विज्ञापन---

कुंती की कहानी

कुंती का एक नाम पहले पृथा था और वे यदुवंशी राजा शूरसेन की पुत्री और वसुदेव और सुतसुभा की बड़ी बहन थी। बाद में निःसंतान नागवंशी महाराज कुंतीभोज ने राजा शूरसेन से कुंती को गोद ले लिया था और उसका नाम पृथा से कुंती रख दिया। कुंती हस्तिनापुर के नरेश महाराज पांडु की पहली पत्नी थीं। यही कारण है कि अर्जुन को अपनी मां के नामों से पार्थ और कौन्तेय कहा जाता है।

द्रौपदी से भी अधिक सुभद्रा से था प्रेम

महाभारत की कहानी के अनुसार अर्जुन ने कई विवाह किए थे। द्रौपदी के बाद उन्होंने भगवान कृष्ण की बहन सुभद्रा से विवाह किया था। अर्जुन और सुभद्रा रिश्ते में ममेरे-फुफेरे भाई-बहन थे। कहते हैं अर्जुन द्रौपदी से ज्यादा सुभद्रा से प्यार करते थे। उनके लिए सुभद्रा से विवाह करना आसान नहीं था। यह बात भगवान श्रीकृष्ण भी जानते थे और उन्होंने सखा अर्जुन की इस संबंध में सहायता भी की।

---विज्ञापन---

इसलिए भगवान कृष्ण ने दिया साथ

सुभद्रा वसुदेव और रोहिणी की संतान थीं। इस प्रकार वे भगवान श्रीकृष्ण की सगी बहन न होकर सौतेली बहन हुईं। लेकिन फिर भी परिवार के लोग इसके लिए राजी नहीं थे। इसलिए सुभद्रा के स्वयंवर में अर्जुन ने श्रीकृष्ण के कहने पर सुभद्रा का हरण करने की सलाह दी और साथ ले जाने के लिए अपना रथ भी दिया था।

दरअसल, भगवान श्रीकृष्ण त्रिकालदर्शी थे। वे जानते थे कि सुभद्रा के गर्भ से ही अभिमन्यु जन्म तय है और उसका पुत्र पांडव वंश को आगे बढ़ाएगा। इसलिए वे इस विवाह के पक्ष में थे। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह कि भगवान कृष्ण कुंती को सौहार्द्रवश बुआ बोलते थे, जबकि महाराज कुंतीभोज द्वारा गोद ले लिए जाने के बाद कुंती का वंश परिवर्तन हो गया था और उनका संबंध वसुदेव जी के वंश के साथ नहीं रह गया था।

ये भी पढ़ें: Rath Yatra 2024: भगवान जगन्नाथ की मौसी कौन हैं; जिनके घर गुंडिचा मंदिर में 9 दिन ठहरेंगे महाप्रभु

ये भी पढ़ें: शादी के दिन बारिश लाएगी जीवन में तबाही या खुशहाली, जानें क्या कहती हैं मान्यताएं

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

HISTORY

Written By

Shyam Nandan

First published on: Jul 12, 2024 06:15 AM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें