---विज्ञापन---

Amla Navami 2024: आंवला नवमी पर इस विधि से करें श्री हरि की पूजा, सभी इच्छाएं होंगी पूरी!

Amla Navami 2024: भगवना विष्णु को समर्पित आंवला नवमी के दिन का सनातन धर्म के लोगों के लिए विशेष महत्व है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करना भी शुभ माना जाता है। चलिए धर्म की अच्छी-खासी जानकारी रखने वाली नम्रता पुरोहित से जानते हैं आंवला नवमी से जुड़ी जरूरी बातों के बारे में।

Edited By : Nidhi Jain | Updated: Nov 9, 2024 08:20
Share :
Amla Navami 2024
आंवला नवमी 2024

Amla Navami 2024: सनातन धर्म के लोगों के लिए आंवला नवमी का खास महत्व है। वैदिक पंचांग के अनुसार, हर साल आंवला नवमी का पर्व कार्तिक मास में आने वाली शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और उनके सबसे प्रिय फल आंवले के पेड़ की पूजा करना शुभ माना जाता है। भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए कुछ लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो लोग आंवला नवमी का व्रत रखते हैं, उन्हें संतान के उत्तम स्वास्थ्य, लंबी आयु और सौंदर्य का आशीर्वाद भगवान विष्णु से मिलता है। साथ ही उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। चलिए धर्म की अच्छी-खासी जानकारी रखने वाली नम्रता पुरोहित से जानते हैं आंवला नवमी की सही तिथि, महत्व और पूजा विधि के बारे में।

---विज्ञापन---

2024 में आंवला नवमी कब है?

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार नवमी तिथि का आरंभ 9 नवंबर 2024 को देर रात 10:45 से हो रहा है, जिसका समापन अगले दिन 10 नवंबर को रात 9:01 पर होगा। उदयातिथि के आधार इस बार 10 नवंबर 2024, दिन रविवार को आंवला नवमी का पर्व मनाया जाएगा। इस साल आंवला नवमी का दिन बेहद खास है, क्योंकि इस दिन रवि योग और दुर्लभ शिव वास का महासंयोग बन रहा है। देश के कई राज्यों में आंवला नवमी को अक्षय नवमी के नाम से भी जाना जाता है।

ये भी पढ़ें- Gopashtami 2024: श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा करना जरूरी! जानें गोपाष्टमी का महत्व

---विज्ञापन---

आंवला नवमी की पूजा विधि

  • आंवला नवमी के दिन प्रात: काल में उठें।
  • स्नान आदि कार्य करने के बाद शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  • आंवले के वृक्ष की पूजा करें। पूर्व मुखी होकर आंवले के वृक्ष में जल अर्पित करें।
  • वृक्ष की जड़ों में दूध डालकर उसे सींचे।
  • धूप-दीप और कपूर से वृक्ष की आरती करें।
  • आंवले के वृक्ष पर कलावा बांधे। हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर 7 या 108 बार वृक्ष की परिक्रमा करें।
  • पूजा-अर्चना के बाद आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन पकाएं और वहीं बैठकर भोजन ग्रहण करें।

आंवला नवमी क्यों मनाई जाती हैं?

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार धन की देवी मां लक्ष्‍मी धरती पर भ्रमण करने के लिए आई थी। उस दौरान उन्हें भगवान विष्णु और शिव की साथ में पूजा करने की इच्छा हुई। उन्होंने भ्रमण के दौरान देखा कि तुलसी और बेल ऐसे पौधे हैं, जिनमें औषधिय गुण पाए जाते हैं। जबकि तुलसी विष्णु जी और बेल भोलेनाथ को पसंद है। तब उन्होंने आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु और शिव जी का वास मानते हुए उसकी पूजा की।

माता लक्ष्‍मी की पूजा से देवता खुश हुए और मां लक्ष्मी के हाथों से बनाया हुआ भोजन आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर किया। इसलिए आंवला नवमी के दिन घर में आंवले का पौधा लगाना और नियमित रूप से उसकी पूजा करना शुभ माना जाता है।

ये भी पढ़ें- Shukra Gochar 2024: शुक्र गोचर से ये 3 राशियां होंगी परेशान, अस्पताल के लगाने पड़ेंगे चक्कर!

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

HISTORY

Written By

Nidhi Jain

First published on: Nov 09, 2024 08:20 AM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें