Laxmi Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi: भगवान विष्णु को जगत का पालनहार माना जाता है, जिनकी पत्नी मां लक्ष्मी हैं. हिंदू धर्म में मां लक्ष्मी को प्रमुख देवियों में से एक माना गया है, जिन्हें धन, भाग्य, समृद्धि, सौंदर्य, संप्रभुता और प्रचुरता की देवी के रूप में भी सम्मानित किया जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो लोग नियमित रूप से मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं, उनके जीवन में सुख और समृद्धि सदा बनी रहती है. साथ ही व्यक्ति को धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है. देवी को खुश करने के लिए कई लोग पूजा के दौरान उनकी आरती भी करते हैं, जो उपासना की ही एक विधि है.
खासकर, धनतेरस, दिवाली और भाई दूज पर मां लक्ष्मी की आरती की जाती है. इस बार 20 अक्टूबर 2025, वार सोमवार को दिवाली का पर्व मनाया जाएगा, जबकि 19 अक्टूबर को छोटी दिवाली और 18 अक्टूबर को धनतेरस का पर्व मनाया जाएगा. इसके अलावा शुक्रवार के दिन भी मां लक्ष्मी की आरती करना शुभ रहता है क्योंकि ये दिन उन्हीं को समर्पित है. आइए अब जानते हैं मां लक्ष्मी की आरती के बारे में.
श्री लक्ष्मी माता की आरती (Laxmi Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi)
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
मैया तुम ही जग-माता।।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
मैया सुख सम्पत्ति दाता॥
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
मैया तुम ही शुभदाता॥
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
मैया सब सद्गुण आता॥
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
मैया वस्त्र न कोई पाता॥
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
मैया क्षीरोदधि-जाता॥
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।
मैया जो कोई जन गाता॥
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता। ऊं जय लक्ष्मी माता।।
दोहा
महालक्ष्मी नमस्तुभ्यम्, नमस्तुभ्यम् सुरेश्वरि।
हरिप्रिये नमस्तुभ्यम्, नमस्तुभ्यम् दयानिधे।।
पद्मालये नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं च सर्वदे।
सर्व भूत हितार्थाय, वसु सृष्टिं सदा कुरुं।।
सब बोलो लक्ष्मी माता की जय, लक्ष्मी नारायण की जय।।
मां लक्ष्मी की आरती करने के बाद घर के सभी सदस्यों को आरती दें और फिर घर के कोन-कोने में उसे घुमाएं. इससे घर का वातावरण शुद्ध होगा और नकारात्मकता से छुटकारा मिलेगा.
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