ऑपरेशन सिंदूर के बाद उभरा भारत-विरोधी अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क, पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा चलाए गए सैन्य अभियान ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल सीमा पार आतंक के खिलाफ निर्णायक संदेश दिया, बल्कि एक ऐसे अंतरराष्ट्रीय गठजोड़ की परतें भी खोल दीं, जो भारत के खिलाफ छद्म युद्ध छेड़े हुए है। इस गठजोड़ के केंद्र में तुर्की और पाकिस्तान की बढ़ती नजदीकी है, जो अब सिर्फ राजनयिक या सैन्य नहीं, बल्कि वैचारिक, मीडिया और न्यायिक मोर्चों तक फैली हुई है।
हथियारों से लेकर हाइब्रिड वॉर तक: रणनीतिक साझेदारी
तुर्की द्वारा पाकिस्तान को आधुनिक कॉर्वेट जहाज और ड्रोनों की आपूर्ति ने दोनों देशों की रक्षा साझेदारी को नई ऊंचाई दी है। हाल ही में पाकिस्तान को मिले तुर्की-निर्मित ड्रोन भारतीय एजेंसियों के लिए चेतावनी का संकेत हैं।
सूचनात्मक युद्ध: जम्मू कश्मीर पर भारत की नीतियों के खिलाफ दोनों देश सोशल मीडिया और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दुष्प्रचार अभियान चला रहे हैं। TRT World जैसे सरकारी मीडिया चैनलों पर भारत-विरोधी रिपोर्टिंग आम हो चुकी है।
राजनयिक मोर्चा: अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद तुर्की ने संयुक्त राष्ट्र और OIC जैसे मंचों पर पाकिस्तान की लाइन का समर्थन किया और भारत को निशाना बनाया।
एर्दोगन परिवार के इर्द-गिर्द भारत-विरोधी नेटवर्क
TÜGVA और ‘कश्मीर फोरम’: एर्दोगन के बेटे बिलाल एर्दोगन से जुड़ा संगठन TÜGVA, अप्रैल 2025 में कश्मीर पर एक सम्मेलन आयोजित करता है। इसमें भारत-विरोधी भाषण देने वालों में कथित आतंकी संबंध रखने वाले व्यक्तियों को मंच दिया गया।
Stoke White: न्यायिक मोर्चे पर हमला : लंदन स्थित यह संस्था भारत के गृहमंत्री और सैन्य प्रमुख पर ‘युद्ध अपराध’ के आरोप लगाकर अंतरराष्ट्रीय अदालतों का दुरुपयोग करने का प्रयास कर रही है। इसके कर्ता-धर्ता हाकान कामुज़, एर्दोगन परिवार और खुफिया नेटवर्क IHH से गहराई से जुड़े हैं।
ISIS कनेक्शन का आरोप: वर्ष 2014 में बिलाल एर्दोगन पर ISIS को IHH के जरिए सहायता देने का मामला सामने आया था। अब वही नेटवर्क भारत के खिलाफ सक्रिय दिखाई देता है।
Russell Tribunal on Kashmir (RToK) – प्रोपेगैंडा मंच: 2021 में साराजेवो में आयोजित इस मंच में भारत के खिलाफ ‘न्यायिक प्रहसन’ रचा गया।
प्रमुख आयोजक: Kashmir Civitas (डॉ. फरहान चक – मुस्लिम ब्रदरहुड से संबंध)
WKAF (ISI एजेंट गुलाम नबी फई)
Al Jazeera Balkans, CNS, IUS Sarajevo, Nahla NGO आदि। इनमें से अधिकांश संगठनों को तुर्की सरकार से वैचारिक और वित्तीय समर्थन प्राप्त है। तुर्की की सरकारी मीडिया एजेंसियां जैसे TRT World और Anadolu Agency भारत के खिलाफ भ्रामक सामग्री प्रकाशित कर रही हैं। TRT World में कार्यरत पाकिस्तानी पत्रकारों की फौज भारत विरोधी नैरेटिव गढ़ने में लगी है।
प्रमुख नाम:
- बाबा उमर, रियाज उल खालिक, फैसल अजीज खान, शाहरयार मिर्जा आदि।
- ‘इस्लामी पहचान’ के नाम पर वैश्विक ध्रुवीकरण
- तुर्की और पाकिस्तान द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस्लामोफोबिया के बहाने भारत, फ्रांस, UAE और सऊदी अरब के खिलाफ अभियान चलाए गए हैं।
- #BoycottIndianProducts जैसे ट्रेंड 2020 से 2021 के बीच सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहे, जिनके पीछे मुस्लिम ब्रदरहुड और तुर्की समर्थक ग्रुप्स थे।
भारत के खिलाफ बहुस्तरीय छद्म युद्ध
तुर्की और पाकिस्तान का गठजोड़ अब सिर्फ एक कूटनीतिक या सैन्य साझेदारी नहीं, बल्कि भारत के विरुद्ध एक बहुआयामी ‘हाइब्रिड वॉर’ है, जिसमें हथियारों के साथ-साथ मीडिया, न्यायालय, NGOs और वैचारिक मंचों का इस्तेमाल किया जा रहा है। भारत के लिए यह अनिवार्य है कि वह इस खतरे का समग्र रणनीति से उत्तर दे, जिसमें कूटनीतिक प्रतिकार, वैकल्पिक मीडिया नैरेटिव, कानूनी संकल्प और वैश्विक मंचों पर सक्रियता शामिल हो।