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Opinion

‘सांस्कृतिक भारत का पुनरुत्थान: मोदी सरकार के 11 साल में विरासत को मिला नया जीवन’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 11 सालों में कई बड़े काम किए गए। सरकार ने अयोध्या, काशी और उज्जैन जैसे प्राचीन धार्मिक एवं सांस्कृतिक स्थलों का कायाकल्प किया। इससे उन्हें दुनियाभर में विशेष पहचान मिली है।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Shabnaz Updated: Jun 3, 2025 12:30
BJP Government

कुमार गौरव, नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीते 11 वर्षों में भारत सरकार ने ‘विरासत भी, विकास भी’ के मंत्र को नीति और व्यवहार में रूपांतरित कर भारतीय संस्कृति, धरोहर और परंपराओं के संरक्षण, संवर्धन और प्रचार-प्रसार को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। संस्कृति मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 2014 से 2025 तक का कालखंड भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण की एक स्वर्णिम गाथा बन चुका है।

प्रमुख सांस्कृतिक स्थलों का पुनरुद्धार

सरकार ने अयोध्या, काशी और उज्जैन जैसे प्राचीन धार्मिक एवं सांस्कृतिक स्थलों का कायाकल्प करते हुए उन्हें वैश्विक मानचित्र पर विशेष पहचान दिलाई।

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काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर (वाराणसी)- गंगा घाटों से मंदिर परिसर तक का सौंदर्यीकरण और संपर्क।
महाकाल लोक (उज्जैन)- महाकालेश्वर मंदिर का भव्य पुनर्विकास, पर्यटक सुविधाओं का विस्तार।
राम मंदिर (अयोध्या)- जनवरी 2024 में श्रीरामलला के भव्य मंदिर का उद्घाटन।
केदारनाथ, सोमनाथ, कामाख्या सहित देशभर के तीर्थस्थलों का जीर्णोद्धार एवं अधोसंरचना विकास।

धार्मिक पर्यटन-कनेक्टिविटी को बढ़ावा

सांस्कृतिक स्थलों तक पहुंच को सुगम बनाने के लिए बुनियादी ढांचे में बड़ा निवेश किया गया।

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चारधाम महामार्ग परियोजना- 825 में से 616 किलोमीटर मार्ग पूर्ण।
हेमकुंड साहिब रोपवे- ₹2730 करोड़ की लागत से तीर्थयात्रियों के लिए आसान पहुंच।
बौद्ध सर्किट और करतारपुर कॉरिडोर- विभिन्न धार्मिक पथों को जोड़ने की ऐतिहासिक पहल।

सांस्कृतिक ‘सॉफ्ट पावर’ का विस्तार

भारत की सांस्कृतिक कूटनीति ने योग, संगीत, शास्त्रीय कलाओं और परंपराओं को वैश्विक मंचों पर स्थापित किया।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस- अब 23.4 करोड़ लोगों का विश्वस्तरीय सांस्कृतिक पर्व।
G-20 सांस्कृतिक समागम- भारत की सांस्कृतिक विविधता का अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन।
AYUSH और आयुर्वेद- 35 देशों में 39 केंद्र, WHO सहयोग, 9वां आयुर्वेद दिवस 150 देशों में।

समावेशी सांस्कृतिक संरक्षण

भारत सरकार ने विविध धर्मों और परंपराओं के संरक्षण के लिए समावेशी दृष्टिकोण अपनाया। प्रसाद योजना के तहत मंदिरों के साथ मस्जिदों, चर्चों, दरगाहों और मठों का विकास किया गया। वहीं, स्वदेश दर्शन और HRIDAY कार्यक्रम के जरिए विरासत शहरों और पर्यटन स्थलों का सांस्कृतिक पुनरुद्धार किया गया।

धरोहरों की वापसी

केंद्र सरकार की दृढ़ राजनयिक पहल से 2014 से अब तक 642 प्राचीन मूर्तियां और धरोहर वस्तुएं भारत लौटाई गईं, जिनमें से 578 अकेले अमेरिका से वापस आईं। यह अब तक का सर्वाधिक आंकड़ा है। मोदी सरकार में राष्ट्र निर्माताओं और नायकों को भी श्रद्धांजलि देने के लिए पहल की गई। ऐतिहासिक स्मारकों और राष्ट्रीय स्थलों के निर्माण के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम, सैन्य बलों और पूर्व प्रधानमंत्रियों को सम्मानित किया गया। सरकार की तरफ से प्रधानमंत्री संग्रहालय, राष्ट्रीय युद्ध स्मारक, जलियांवाला बाग, जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय, भारत मंडपम और नया संसद भवन, सांस्कृतिक प्रतीकों का समकालीन रूप दिया गया है ।

भारत की सांस्कृतिक एकता का उत्सव भी मोदी सरकार के ग्यारह साल में मनाया गया है। इसमें काशी-तमिल संगमम, उत्तर और दक्षिण भारत की सांस्कृतिक सेतु का काम कर रहा है। वहीं, महाकुंभ 2025 के आयोजन में रिकॉर्ड 66 करोड़ श्रद्धालुओं की भागीदारी ने भारतीय एकता का अप्रतिम उदाहरण प्रस्तुत किया है।

वक्फ पारदर्शिता और डिजिटल क्रांति

2025 में वक्फ (संशोधन) अधिनियम लागू कर देशभर की वक्फ संपत्तियों का डिजिटलीकरण किया गया, जिससे पारदर्शिता और प्रशासनिक जवाबदेही सुनिश्चित हुई। वहीं, वेव्स 2025 के जरिए वैश्विक सांस्कृतिक और मीडिया मंच तैयार किया गया। भारत अब वैश्विक मीडिया व मनोरंजन का केंद्र बन रहा है। वेव्स शिखर सम्मेलन जो 1 से 4 मई 2025 को आयोजित किया गया था, उसमें सौ से अधिक देशों ने भागीदारी की और 1300 करोड़ के व्यावसायिक सौदे हुए, जिसके 8000 करोड़ के MOU महाराष्ट्र सरकार सरकार के साथ दुनिया भर के कई प्रतिष्ठित संस्थानों ने किए। इस कार्यक्रम में एडोब, गूगल, एनवीडीए जैसी वैश्विक कंपनियों की साझेदारी रही।

सांस्कृतिक समावेशन और डिजिटल डॉक्यूमेंटेशन

‘राष्ट्रीय सांस्कृतिक डिजिटल डेटाबेस’ के माध्यम से 2 लाख से अधिक कलाकारों, सांस्कृतिक संस्थाओं और विरासत स्थलों का डिजिटल विवरण तैयार किया गया। डिजिटल इंडिया अभियान के साथ सांस्कृतिक डॉक्यूमेंटेशन का अभूतपूर्व विस्तार किया गया। इतना ही नहीं, लोककलाओं, युवा भागीदारी और GI टैग में भी इन ग्यारह सालों में काफी काम हुआ। एक भारत श्रेष्ठ भारत और विरासत का उत्सव जैसे अभियानों से सांस्कृतिक एकता को मजबूत करने का प्रयास किया गया। 100 से अधिक लोककलाओं और पारंपरिक शिल्पों को GI टैग भी मिला, जिससे कारीगरों की आजीविका में सुधार हुआ है।

संग्रहालयों और सांस्कृतिक स्थलों के आधुनिकीकरण का भी प्रयास हुआ है, आजादी का अमृत महोत्सव संग्रहालय (लाल किला) में तैयार किया गया। वहीं, संगीत संग्रहालय (बनारस) को विकसित किया गया, साथ ही 500 से अधिक स्मारकों का संरक्षण किया गया। इससे संस्कृति को आधुनिक संदर्भ में जीवंत करने के पहल के तौर पर किया गया है।

विरासत और विकास का संतुलित मार्ग

भारत सरकार की सांस्कृतिक नीति के तहत भारत की विरासत केवल अतीत का गौरव नहीं, बल्कि भविष्य का मार्गदर्शन भी है। इस विचारधारा को जीवंत करने का प्रयास किया गया है। ‘विरासत भी, विकास भी’ अब एक नारा नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय दृष्टिकोण बन चुका है, जहां अतीत की सांस्कृतिक संपदा को आधुनिकता की रोशनी में संरक्षित, संवर्धित और वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत किया जा रहा है।

First published on: Jun 03, 2025 11:26 AM

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