Supplements Side Effects: लोग हमेशा इस दुविधा में रहे हैं कि ट्रेडिशनल सप्लीमेंट्स फायदेमंद है या सिर्फ पैसे की बर्बाद कर रही है। आज के समय में लोग पोषण की कमी को पूरा करने के लिए सप्लीमेंट्स बेहतर ऑप्शन समझते हैं। ओमरे वेलनेस की संस्थापक नितिका मंघरामणि बताती हैं कि सप्लीमेंट्स पैसे कमाने का जरिया बनता जा रहा। वैसे तो ये कई बार आपके लिए फायदेमंद भी होते तो कुछ मामलों में नुकसानदायक भी होते हैं। इसमें विटामिन और खनिजों से लेकर जड़ी-बूटियों और प्रोटीन तक होते हैं जो आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत बनते हैं, एनर्जी के लेवल को बढ़ाते है और शरीर हेल्दी रखते हैं।
क्या कहता है सर्वे?
नितिका मंघरामणि बताती हैं कि एक सर्वे के अनुसार, 70 प्रतिशत आबादी प्रतिदिन एक सप्लीमेंट लेती है, 54 प्रतिशत एक या दो सप्लीमेंट लेते हैं, जबकि 29 प्रतिशत चार या उससे ज्यादा सप्लीमेंट लेते हैं। हालांकि, यह पूछना सही है कि क्या सप्लीमेंट वास्तव में उतने ही प्रभावी हैं जितना वे दावा करते हैं, या क्या हम केवल अपने पैसे बर्बाद कर रहे हैं।
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ट्रेडिशनल सप्लीमेंट्स की सीमाएं
ट्रेडिशनल सप्लीमेंट्स आमतौर पर गोली या कैप्सूल के रूप में पोषक तत्व की कमी को पूरा करने के लिए तैयार किया जाता है। जबकि उनका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि विटामिन, खनिज और अन्य सभी एक्टिव तत्व शरीर की कोशिकाओं तक पहुंचें। उनके पोषक तत्व प्रभावशीलता को सीमित करती है।
पाचन- पेट में जाने के बाद कैप्सूल और गोली में मौजूद पोषक तत्व डिसबैंडेड हो जाते हैं। इस चरण में ये पाचन एंजाइमों और पेट के एसिड के संपर्क में आते हैं, जिसका पहला काम खाने के कणों को अलग-अलग करना होता है।
पोषक तत्वों का डिसॉलूशन- डाइजेशन सिस्टम में जाने के बाद कई पोषक तत्व पेट के एसिड को खत्म कर देते हैं या अन्य केमिकल के साथ मिल जाते हैं, जिससे पोषक तत्वों की कमी हो जाती है।
सीमित अब्सॉर्प्शन- जब तक पोषक तत्व खून में पहुंचते हैं, तब तक ये केवल 10 से 20 प्रतिशत ही अब्सॉर्प्शन होते हैं, जबकि बाकी अपशिष्ट के रूप में बाहर आ जाते हैं।
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Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारी पर अमल करने से पहले विशेषज्ञों से राय अवश्य लें। News24 की ओर से जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।