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लघुकथा: शर्तों वाली भक्ति

Short Story: राघव और माधव जब छोटे थे, तभी से आध्यात्मिक मार्ग की ओर अग्रसर थे। यह सब कुछ अनायास नहीं आया। यह राघव और माधव के पारिवारिक माहौल का असर था। शाम के समय सभी लोग दस मिनट ही सही साथ में भगवान का स्मरण जरूर करते थे। हर समय अपने प्रत्येक कार्य को […]

Edited By : Dilip Chaturvedi | Updated: Nov 11, 2022 18:52
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लघुकथा
लघुकथा: शर्तों वाली भक्ति

Short Story: राघव और माधव जब छोटे थे, तभी से आध्यात्मिक मार्ग की ओर अग्रसर थे। यह सब कुछ अनायास नहीं आया। यह राघव और माधव के पारिवारिक माहौल का असर था। शाम के समय सभी लोग दस मिनट ही सही साथ में भगवान का स्मरण जरूर करते थे। हर समय अपने प्रत्येक कार्य को ईश्वर को ही समर्पित कर देते थे। अपनी हर समस्या को हल करने के लिए ईश्वर पर ही आस्था रखते थे।

ईश्वर के प्रति उनका विश्वास अनूठा था। ईश्वर की कहानी और भक्तों के चरित्र के द्वारा ही मां बच्चों को नवीन शिक्षा दिया करती थी। इसलिए बच्चों में एकाग्रता बहुत अच्छी थी, क्योंकि वे मंत्रों का उच्चारण भी करते थे। ईश्वर के अस्तित्व में विश्वास भी बहुत करते थे। आध्यात्मिक यात्रा की ओर पूरा परिवार अग्रसर था।

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एक दिन राघव ने मां से प्रश्न किया कि यदि हम भगवान की पूजा, प्रार्थना करेंगे, तो क्या भगवान हमारी सारी इच्छाएं पूरी कर देंगे। हम जो मांगेंगे वह हमें मिल जाएगा, तब मां ने समझाया कि भक्ति किसी शर्त पर नहीं करनी चाहिए। भक्ति निष्काम भाव से करनी चाहिए। तुम्हें इतना अच्छा शरीर, घर-परिवार और सुख भगवान ने बिना किसी शर्त के दिया है। तुम हर चीज अपनी इच्छा के अनुरूप कर सकते हो। खाना-पीना, घूमना-फिरना, मनोरंजन, क्रियाकलाप, ईश्वरीय आराधना यह सब ईश्वर की ही कृपा है।

हमेशा याद रखना भगवान को किसी भी बंधन में मत बांधना। उन्हें कुछ क्षण के लिए ही सही, परंतु हृदय से पुकारों और स्मरण करों। वे जगत के माता-पिता है। तुम्हारी बात तो वे तुम्हारे बिना बोले ही समझ जाएंगे। प्रभु को अपना समझकर याद करों और हर कार्य उन पर छोड़ दो। ईश्वर में दृढ़ विश्वास रखों। हमेशा अच्छी सोच और अच्छे विचारों से खुद को सम्पन्न बनाओं। ईश्वर ने मनुष्ययोनि में हमेशा संघर्ष किया और धर्म के लिए नए कीर्तिमान स्थापित किए। प्रभु ने दुनिया को धैर्य का पाठ सिखाया।

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गलतियां भगवान ने भी की और उनमें संशोधन भी किया। रिश्तों के अनेक उदाहरण भगवान ने मनुष्ययोनि में भक्तों के लिए रखे। सत्य के लिए अपनों का भी विरोध किया और सत्य की लड़ाई में स्वयं ने भी अनेकों चुनौतियां स्वीकार की। भक्ति कभी भी किसी शर्त पर मत करो, क्योंकि अगर तुम शर्त रखोगे कि मेरी यह मनोकामना पूरी होगी, तब यह पूजा करूंगा, यह पाठ करूंगा। जो भो करो भगवान के प्रति प्रेम और पूर्ण विश्वास से करों।

इस लघुकथा से क्या सीख मिलती है?

इस लघुकथा से यह शिक्षा मिलती है कि बच्चों को शर्तों पर जीने की आदत मत डालिए। न ही उन्हें किसी शर्त पर भक्ति या आध्यात्मिकता से जोड़ें। यदि वे जीवन को शर्तों पर जीएंगे, तो जीवन में शांति और सुकून हासिल नहीं कर पाएंगे। हर परिवर्तन को समय के अनुरूप स्वीकार कर आगे बढ़ना ही हमारे लिए सही है। भक्ति तो हमें ईश्वर के अस्तित्व और चीजों के होनें में विश्वास और दृढ़ता प्रदान करती है। आध्यात्मिक मार्ग की ओर बढ़ते वक्त केवल हृदय में प्रेम होना चाहिए न कि इच्छित फल प्राप्ति की अभिलाषा।

डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)

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Dilip Chaturvedi

First published on: Nov 11, 2022 06:48 PM
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