Relationship Tips: स्लीप डिवोर्स तब होता है जब जोड़े अपनी नींद को हेल्दी बनाने के लिए अलग-अलग सोना पसंद करते हैं। यह चलन तब लोकप्रिय हुआ है जब लोगों को एहसास हुआ है कि खराब नींद उनके हेल्थ और रिश्तों पर नेगेटिव असर डालती है। 2023 में आयोजित AASM (अमेरिकन अकादमी ऑफ स्लीप मेडिसिन) स्लीप प्रायोरिटी नेशन सर्वे से पता चला है कि लगभग आधे (42 प्रतिशत) अमेरिकी लोग सोने के लिए साथी की सुविधा के अनुसार अपनी नींद की रुटीन में बदलाव नहीं करते हैं।
सर्वे में आया सामने
सर्वे में सामने आया कि एक तिहाई वयस्क (33 प्रतिशत) अपने साथी के शेड्यूल के अनुरूप अपने सोने का समय या तो पहले या बाद में बदल लेते हैं। पुरुष (25 प्रतिशत) महिलाओं (8 प्रतिशत) की तुलना में तीन गुना ज्यादा साइलेंट अलार्म का इस्तेमाल करते हैं ताकि वे अपने साथी को परेशान न करें। 55 से 64 साल की उम्र के ज्यादा वृद्ध अमेरिकी (60 प्रतिशत) अपने साथी के लिए अपनी नींद के रुटीन को नहीं बदलते हैं।
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मिलेनियल्स में नींद के समय में बदलाव करने की सबसे ज्यादा संभावना होती है, जिनमें से 40 प्रतिशत लोग अपनी इच्छा से पहले या बाद में सोने चले जाते हैं और 24 प्रतिशत कभी-कभी दूसरे कमरे में सोते हैं। जेनएक्स में 29 प्रतिशत लोग सोने के समय में बदलाव करते हैं और 19 प्रतिशत कभी-कभी अलग सोते हैं। बेबी बूमर्स और साइलेंट जनरेशन द्वारा अपनी नींद में बदलाव करने की संभावना कम है, जिनमें से 65 प्रतिशत और 75 प्रतिशत ने कहा कि वे कोई समायोजन नहीं करते हैं।
नींद और तलाक का संबंध
अलग-अलग सोने से खर्राटे, अनिद्रा या बेमेल नींद के शेड्यूल जैसी परेशानियों से बचने में मदद मिलती है, जिससे बेहतर आराम मिलता है। यह रिश्तों में तनाव को भी कम कर सकता है, क्योंकि ये नींद की कमी के कारण होने वाले झगड़ों को रोकता है। अलग-अलग सोने की से अधिक व्यक्तिगत जगह मिलता है, जिससे हर कोई आराम से सो सकता है। जब हम किसी भी रिश्ते को समय-समय पर स्पेस देते हैं, तो तलाक की संभावना कम हो जाती है।
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