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ऑफिस में क्यों जरूरी है मनोवैज्ञानिक? जानें 3 बड़े कारण

Psychologist in Office Importance: कई बार ऑफिस में कर्मचारी काम के बोझ, लॉन्ग शिफ्ट और किसी भी काम में समर्थन न मिलने की वजह से परेशान होने लगते हैं, जिसका असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। ऐसे में जरूरी है कि हर ऑफिस में मनोवैज्ञानिक हो। आज हम आपको बताएंगे कि ऑफिस में मनोवैज्ञानिक के होने से कर्मचारियों और ऑफिस को क्या फायदा होता है।

Edited By : Nidhi Jain | Updated: Feb 25, 2024 10:45
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Psychologist in Office Importance

Psychologist in Office Importance: हर इंसान का इमोशनली, शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत होना बहुत जरूरी है। नहीं तो इससे व्यक्ति की सेहत पर बुरा असर पड़ता है। खासतौर पर वर्किंग लोगों को तो अपनी सेहत पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए, नहीं तो आगे चलकर इसका असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी हो सकता है।

दरअसल, ऑफिस में कई बार व्यक्ति अपने काम से इतना नहीं थकता जितना कि ऑफिस पॉलिटिक्स से परेशान हो जाता है, जिसका असर उसके मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। इसके अलावा काम के बोझ, लॉन्ग शिफ्ट और सहकर्मियों से किसी भी काम में समर्थन न मिलने की वजह से भी लोग परेशान हो जाते हैं। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि ऑफिस की तरफ से ही कर्मचारियों के लिए मनोवैज्ञानिक की क्लास रखी जाए। जहां उनके मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात हो। इससे कर्मचारियों के साथ-साथ ऑफिस को भी फायदा होता है। आज हम आपको ये बताएंगे कि ऑफिस में मनोवैज्ञानिक की क्लास होने से कर्मचारियों को क्या-क्या फायदा होता है।

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परेशानियों का मिलेगा हल

अगर हर ऑफिस में कर्मचारियों के लिए मनोवैज्ञानिक की क्लास होने लगेंगी तो इससे कर्मचारी अपनी सभी परेशानियां खुलकर उनके सामने रख सकेंगे। इससे होगा ये कि जब उनकी परेशानियों का हल निकल जाएगा तो इससे वो और अच्छे से अपना काम कर पाएंगे।

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कर्मचारियों का बढ़ेगा मनोबल

जब किसी ऑफिस में मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जाती है, तो इससे ऑफिस का वातावरण सकारात्मक बनाता है। साथ ही इससे कर्मचारी स्वस्थ महसूस करते हैं, जिससे उनका मनोबल बढ़ता है और वो अपने काम के प्रति और ज्यादा वफादार होते हैं।

रचनात्मकता में होगी वृद्धि

जब कर्मचारियों को अपना काम, काम नहीं बोझ लगने लगता है, तो इससे वातावरण खराब होता है। ऐसे में वह मानसिक रूप से भी स्वस्थ महसूस नहीं करते हैं। इसके अलावा इससे उनका मनोबल भी गिरने लगता है। ऐसे में जरूरी है कि कोई उनकी बातों को सुने और उनका समाधान दें। मनोवैज्ञानिक कर्मचारियों के मन की स्थिती को अच्छे से समझते है जिससे उनका सही मार्गदर्शन होता है। इससे स्टाफ के बीच अपनापन बढ़ता है और वो अपने विचारों को साझा करने में शर्माते नहीं है। इससे कार्य में रचनात्मक बढ़ती है।

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Written By

Nidhi Jain

First published on: Feb 25, 2024 09:22 AM

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