Old Mahadev Temple: केरल को यूं ही “भगवान का अपना देश” नहीं कहा जाता, हरी-भरी वादियों से इस भूमि में बसे है पुथूर गांव जहां स्थित है रहस्यमयी नीरपुथूर महादेव मंदिर। माना जाता है कि यह अद्भुत मंदिर लगभग 3000 साल पुराना है और अपनी अनोखी आभा से यहां आने वाले हर इंसान को मोहित कर देता है। यह पुराना मंदिर अपने अद्भुत शिवलिंग के लिए मशहूर है जो इसे खास बनाता है। सालभर पानी से घिरी यह पवित्र जगह श्रद्धालुओं को आस्था और मन की शांति का अनुभव कराती है।
1) नीरपुथूर महादेव मंदिर की अनोखी खासियत
यह मंदिर केवल एक पूजा स्थल नहीं बल्कि इतिहास और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम है। इसके गर्भगृह में स्थित शिवलिंग हमेशा जल में रहता है जिससे यहां का वातावरण शांत और दिव्य बना रहता है। यही सुंदरता इसे श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए एक आकर्षक जगह बनाती है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के हिसाब से यह भव्य मंदिर तीन हजार सालों से ज्यादा पुराना है। इसकी पुरानी वास्तुकला और परंपराएं समय की कसौटी पर खरी उतरी हैं जो इसे इतिहास और आस्था का एक अमूल्य प्रतीक बनाती हैं।
2) स्वयंभू शिव
आउटलुक ट्रैवलर के हिसाब से इस मंदिर की सबसे अद्भुत खासियत है यहां विराजमान स्वयंभू शिव। संस्कृत में “स्वयंभू” का मतलब है “स्वयं प्रकट हुआ” मतलब यह शिवलिंग किसी इंसान ने स्थापित नहीं किया बल्कि खुद धरती से प्रकट हुआ है। यही वजह है कि यह मंदिर भक्तों के लिए ज्यादा आस्था और रहस्य की जगह बनी हुई है। इस मंदिर का दिव्य वातावरण श्रद्धालुओं को गहरी आध्यात्मिक एहसास कराता है जहां वे न केवल अपनी आस्था से जुड़ते हैं बल्कि अपनी संस्कृति का भी अनुभव करते हैं। मलबार देवस्वम बोर्ड द्वारा संचालित यह मंदिर सभी भक्तों को भक्ति की एक पवित्र यात्रा पर आमंत्रित करता है।
3) कैसे पहुंचें नीरपुथूर महादेव मंदिर?
इस पवित्र मंदिर तक पहुंचना बेहद आसान है। यदि आप हवाई मार्ग से आना चाहते हैं तो सबसे पास कालीकट अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा मंदिर से 60 किमी दूर सबसे सही रहेगा। अगर आप रेल यात्रा पसंद करते हैं तो तीरूर रेलवे स्टेशन मंदिर से लगभग 60.7 किमी की दूरी पर स्थित है। दुसरी तरफ सड़क से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए पेरिन्थलमन्ना KSRTC बस डिपो मात्र 25.9 किमी दूर है। यह यात्रा आपको न सिर्फ आध्यात्मिक शांति देगी बल्कि केरल की खूबसूरत वादियों और इसकी संस्कृति से भी रूबरू कराएगी।
नीरपुथूर महादेव मंदिर एक ऐसी अद्भुत धार्मिक यात्रा है जो आपकी आस्था को केरल की पुरानी संस्कृति और आध्यात्मिकता से भी जोड़ती है। इस मंदिर का दिव्य वातावरण स्वयंभू शिवलिंग और पुरानी वास्तुकला इसे एक अनोखी जगह बनाता हैं। अगर आप आध्यात्मिक शांति और सुंदरता का अनुभव करना चाहते हैं तो यह मंदिर आपकी यात्रा सूची में जरूर शामिल होना चाहिए।
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