Makeup History: मेकअप का ट्रेंड आज से नहीं, बल्कि सदियों पहले से है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मेकअप प्रोडक्ट का आविष्कार अनजाने में हुआ था. जी हां, दुनियाभर में कई ब्यूटी प्रोडक्ट्स हैं, जिनमें से कुछ की कीमत तो आम आदमी की बजट से भी बाहर है. मेकअप का वैश्विक बाजार अरबों रुपये का है, भारत समेत दुनिया के कई देश इसके बड़े उपभोक्ता हैं. हालांकि मेकअप का इस्तेमाल करने वाले लोगों को भी मालूम नहीं है कि इसे फैशन के लिए नहीं, बल्कि इंसानों के सर्वाइवल के लिए बनाया गया था. आज के समय ये सिर्फ मॉडर्न फैशन का टूल बनकर रह गया है, आइए जानते हैं आखिर अनजाने में कैसे हुई थी मेकअप की शुरुआत?
जंगल से फैशन रैंप तक कैसे पहुंचा मेकअप?
दरअसल, हजारों साल पहले मानव विकास के दौरान अर्ली ह्यूमंस जंगलों में छिपने के लिए चेहरे पर नेचुरल पिग्मेंट्स लगाते थे, जैसे- रेड क्ले, ऐश और डस्ट समेत कई चीजें. इसके अलावा सूरज की तेज रोशनी से बचने के लिए भी कई लोग अपनी आंखों के नीचे और चेहरे पर अलग-अलग तरह के कलरफुल पिग्मेंट्स लगाते थे. इससे उन्हें कीट-पतंग और डस्ट जैसी चीजों से सुरक्षा मिलती थी. ऐसा भी माना जाता था कि बुरी आत्माओं को दूर रखने के लिए भी ऐसे मेकअप का इस्तेमाल किया जाता था. वहीं, इजिप्ट जैसी जगहों पर मेकअप द्वारा अपनी पहचान साबित करने का एक ट्रेडिशन था, जिससे अलग-अलग वर्ग के ट्राइब्स को पहचाना जाता था.
चर्च ने कर दिया था बैन
हालांकि बदलते समय के साथ-साथ मेकअप को सजावट के लिए भी इस्तेमाल किया जाने लगा. इस बीच डार्क एज में चर्च ने मेकअप को धार्मिक दृष्टि से गलत मानकर प्रतिबंधित कर दिया. इसके बाद ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ ने मेकअप का इस्तेमाल अपने चेहरे पर दाग को छिपाने के लिए किया, लेकिन 20वीं सदी की शुरुआत में फिल्मों में मेकअप का चलन तेजी से बढ़ा, कई एक्ट्रेसेस सुंदर दिखने के लिए मेकअल प्रोडक्ट लगाने लगीं. फिल्मों में मेकअप के आने से इसका मतलब ही बदल गया, दुनियाभर में लोगों ने इसका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया. आम लोग भी एक्ट्रेसेस की तरह दिखने के लिए मेकअप का अपनी दिनचर्या में इस्तेमाल करने लगे. भारत में भी फिल्मों में मेकअप के ट्रेंड ने यहां भी इसका बाजार तैयार कर दिया.










