Health Tips: मिर्गी एक पुरानी न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, जिसमें बार-बार दौरे पड़ते हैं। इसके कारण हमारा दिमाग सही तरीके से काम नहीं कर पाता है। कई बार तो मिर्गी के मरीज आपने अपने काम पर भी फोकस नहीं कर पाते हैं। इस वजह से तनाव, नींद की कमी और कुछ दवाएं जैसे ट्रिगर स्थिति को बढ़ा सकते हैं और दौरे की संभावना को बढ़ा सकते हैं। इसके साथ ही मिर्गी के दौरे जुड़े मिथकों को समझना भी जरूरी हो जाता है, इस बीमारी से परेशान लोग सही तरीके से मिर्गी के दौरे को मैनेज कर सकें। आइए जानते हैं कि इसे लेकर मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, साकेत के निदेशक और प्रमुख न्यूरोलॉजी डॉ. मुकेश कुमार ने मिर्गी और दौरे के मिथकों का खुलासा करते हुए क्या कहा?
क्या दौरा पड़ने मतलब है चेतना का खो देना?
डॉ. मुकेश कुमार बताते हैं कि तथ्य ये है कि दौरे को आंशिक और गेनेरलीजेड दौरे के रूप में बांटा जाता है। आंशिक दौरे में प्रतिक्रिया का नुकसान या जागरूकता की हानि हो सकती है और गेनेरलीजेड दौरे में सभी अंगों की टॉनिक क्लिनिक में गति होती है।
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मिथक- दौरा और जीभ
डॉक्टर इस मिथक को लेकर कहते हैं कि तथ्य ये है कि दौरे के दौरान शरीर के कई अंगों की अबैलेस हो जाते हैं। दौरे के दौरान, जीभ पीछे की ओर गिर सकती है और आंशिक रूप से घुटन हो सकती है। जीभ काटना और मुंह से खून आना एक आम बात है। घुटन से बचने के लिए, दौरे के दौरान व्यक्ति को एक तरफ करवट बदलने की सलाह दी जाती है।
मिथक- दौरा और मानसिक बीमारी
डॉक्टर कहते हैं कि तथ्य ये है कि ये दौरे स्ट्रेस न्यूरोसिस से जुड़े उद्देश्यपूर्ण घटना के रूप में प्रकट हो सकते हैं। चिंता के कारण होने वाले दौरे में जीभ काटने या यूरिनरी इंकॉन्टीनेंस रूप में नजर नहीं आते हैं और ऐसी घटना को पीएनईएस (साइकोजेनिक नॉन एपिलेप्टिक फॉर्म सीजर) कहा जाता है और ये पैरोक्सिस्मल या नॉन-स्पेसिफिक मोटर घटना के साथ लंबे समय तक रहते हैं।
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Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारी पर अमल करने से पहले विशेषज्ञों से राय अवश्य लें। News24 की ओर से जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।