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किताबें हमेशा चौकोर ही क्यों होती हैं, गोल या तिकोनी क्यों नहीं? जानें इसके पीछे की दिलचस्प वजह

आपने कभी सोचा है कि किताबें हमेशा चौकोर ही क्यों होती हैं? गोल या तिकोनी किताबें क्यों नहीं होतीं? इसके पीछे कई दिलचस्प कारण छिपे हुए हैं। आइए जानते हैं कि आखिर क्यों किताबों का आकार हमेशा चौकोर ही होता है।

Author Edited By : Ashutosh Ojha Updated: Dec 10, 2024 13:34
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प्राचीन समय से लेकर आज तक, पढ़ने और लिखने के तरीकों में काफी बदलाव हुए हैं। डिजिटल युग में, जहां एक छोटी-सी स्क्रीन पर बड़ी-बड़ी किताबों का संग्रह आसानी से ले जाया जा सकता है, फिर भी पारंपरिक किताबों की बात करें तो उनका आकार हमेशा चौकोर ही होता है। जबकि आसपास कई चीजें गोल या अन्य आकार की होती हैं, किताबों के मामले में चौकोर शेप को ही क्यों अपनाया गया? आइए जानें इसके पीछे की मुख्य वजहें।

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पढ़ने में आसानी

किताबों का चौकोर आकार पढ़ने को बेहद आसान बनाता है। पढ़ते समय, हम अक्सर एक हाथ से किताब पकड़ते हैं और दूसरे हाथ से पन्ने पलटते हैं। चौकोर आकार इस प्रक्रिया को सरल बनाता है और पर्याप्त जगह प्रदान करता है। इसके अलावा, चौकोर किताबों को खोलना और बंद करना भी बेहद सुविधाजनक होता है।

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किताबें रखने में आसानी

चौकोर किताबें स्टोर करने में काफी आसान होती हैं। इनका आकार ऐसा होता है कि इन्हें आसानी से एक-दूसरे के ऊपर रखा जा सकता है, जिससे जगह बचती है। अगर किताबें चौकोर हों, तो अलमारी या शेल्फ में ज्यादा किताबें रखी जा सकती हैं। इसके अलावा, चौकोर आकार के कारण किताबों को ढूंढना और निकालना भी बहुत सरल हो जाता है, क्योंकि ये एक समान आकार में होती हैं।

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किताबें बनाना बहुत आसान और सस्ता

चौकोर किताबें बनाना बहुत आसान और सस्ता होता है। ज्यादातर कागज चौकोर आकार में होते हैं, जिससे किताब बनाने में कागज की बर्बादी कम होती है। चौकोर किताबों का उत्पादन भी सस्ता होता है, इसलिए ये किताबें सस्ती और किफायती होती हैं।

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ऐतिहासिक कारण

चौकोर किताबों का उपयोग इतिहास के हिसाब से भी सही था। पुराने समय में, जब किताबें हाथ से लिखी जाती थीं, तब रेक्टेंगुलर आकार सबसे बेहतर माना जाता था। इस आकार के कागज पर लिखना आसान था और कई कागजों को जोड़कर किताब बनाना भी सरल था। इस कारण से चौकोर किताबों का चलन हुआ।

First published on: Dec 10, 2024 01:34 PM

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