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American Citizenship पाने वाला पहला भारतीय कौन? कभी आसान नहीं रही नागरिकता

American Citizenship: 20वीं सदी की शुरुआत में अमेरिका की नागरिकता हासिल करना भारतीयों के लिए मुश्किल था। लेकिन एक भारतीय ने कानूनी संघर्ष कर अमेरिका की नागरिकता प्राप्त की और भारतीय प्रवासियों के लिए नया रास्ता खोला। आइए जानते हैं...

Author Edited By : Ashutosh Ojha Updated: Feb 1, 2025 14:29
American Citizenship
American Citizenship

American Citizenship: अमेरिका की नागरिकता हासिल करना हमेशा से आसान नहीं था, खासकर 20वीं सदी की शुरुआत में। उस दौर में भारतीयों को अमेरिकी नागरिकता मिलना लगभग असंभव था। लेकिन एक भारतीय ने इस मुश्किल को चुनौती दी और इतिहास रच दिया। यह कहानी है एक ऐसे शख्स की, जिसने कानूनी लड़ाई लड़कर अमेरिका की नागरिकता पाई और भारतीयों के लिए एक नई राह खोल दी। उनके प्रयासों ने भविष्य में भारतीय प्रवासियों के लिए रास्ते बनाए। लेकिन यह सफर आसान नहीं था। उन्हें कानून, नस्लीय भेदभाव और समाज की सोच से लड़ना पड़ा। तो कौन थे ये पहले भारतीय नागरिक?

पहला भारतीय जिसने अमेरिकी नागरिकता प्राप्त की

अमेरिकी नागरिकता प्राप्त करना कभी आसान नहीं था। 20वीं सदी की शुरुआत में, भिकाजी बलसारा पहले भारतीय बने जिन्होंने अमेरिकी नागरिकता हासिल की। वह मुंबई के एक कपड़ा व्यापारी थे और उन्हें यह नागरिकता पाने के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। उस समय अमेरिका में 1790 का नेचुरलाइजेशन एक्ट लागू था, जिसके अनुसार केवल ‘फ्री व्हाइट पर्सन’ (स्वतंत्र श्वेत व्यक्ति) को ही नागरिकता दी जाती थी। बलसारा ने अदालत में यह तर्क दिया कि आर्यन नस्ल के लोग, जिनमें काकेशियन और इंडो-यूरोपियन शामिल हैं, श्वेत माने जा सकते हैं।

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कानूनी लड़ाई और ऐतिहासिक फैसला

1906 में न्यूयॉर्क की सर्किट कोर्ट में भिकाजी बलसारा का केस पेश किया गया। अदालत ने उनके तर्क को खारिज कर दिया क्योंकि अगर उन्हें नागरिकता दी जाती तो अन्य अरब, हिंदू और अफगान नागरिक भी अमेरिकी नागरिकता की मांग कर सकते थे। हालांकि, अदालत ने उन्हें उच्च न्यायालय में अपील करने की अनुमति दी। 1910 में, न्यूयॉर्क के साउथ डिस्ट्रिक्ट के जज एमिल हेनरी लाकोम्ब ने बलसारा को नागरिकता दे दी। इस फैसले के बाद, एक अन्य भारतीय एके मजूमदार को भी अमेरिकी नागरिकता प्राप्त हुई।

1917 का इमिग्रेशन एक्ट और बदलाव

1917 में आए इमिग्रेशन एक्ट के बाद भारतीयों का अमेरिका में प्रवेश और मुश्किल हो गया। हालांकि, पंजाबी समुदाय के लोग मैक्सिको के रास्ते अमेरिका पहुंचे और उन्होंने कैलिफोर्निया के इंपीरियल वैली में अपनी पहचान बनाई। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भारतीयों के लिए अमेरिकी दरवाजे दोबारा खुले। 1946 के लूसे-सेलर एक्ट ने हर साल 100 भारतीयों को अमेरिका आने की अनुमति दी। 1952 में मैक्कैरेन-वॉल्टर एक्ट के तहत यह संख्या 2,000 कर दी गई। 1965 के बाद भारतीयों का अमेरिका में आव्रजन तेजी से बढ़ने लगा और 1990 के दशक तक यह संख्या 40,000 वार्षिक हो गई।

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IT सेक्टर और भारतीय प्रवास

21वीं सदी में भारत से अमेरिका जाने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ी। इसका सबसे बड़ा कारण था IT सेक्टर का उछाल। बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे और चेन्नई जैसे शहरों से बड़ी संख्या में लोग अमेरिका में नौकरी के लिए गए। आज भारतीय मूल के लोग अमेरिका की बड़ी कंपनियों में शीर्ष पदों पर हैं। इसके अलावा, बड़ी संख्या में भारतीय छात्र भी अमेरिका में उच्च शिक्षा के लिए जाते हैं। हर साल करीब 5 लाख भारतीय छात्र अमेरिका में पढ़ाई के लिए आवेदन करते हैं।

First published on: Feb 01, 2025 02:29 PM

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