भारत के इतिहास में जलियांवाला बाग का नाम एक काले अध्याय के रूप में जाना जाता है, जब जनरल डायर ने निर्दोष लोगों पर गोलियां चलवाईं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एशिया की पहली बियर का नाम भी इसी जनरल डायर से जुड़ा है? यह कहानी सिर्फ एक बियर की नहीं, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति की है जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में गहरी छाप छोड़ी। आइए जानते हैं एशिया और भारत की पहली बीयर की दिलचस्प कहानी।
एशिया की पहली बियर
एशिया की पहली बियर का नाम “लायन” है, और इसका एक अनोखा इतिहास है, जो ब्रिटिश भारत और जलियांवाला बाग के विलेन जनरल डायर से जुड़ा है। इसे 1855 में कर्नल रेजिनाल्ड एडवर्ड हैरी डायर के पिता एडवर्ड अब्राहम डायर ने स्थापित किया था। एडवर्ड डायर ने हिमालय के कसौली में ‘डायर ब्रुअरीज’ के नाम से एशिया का पहला बियर ब्रुअरी बनाई। ब्रिटिश अधिकारियों और सैनिकों की गर्मी से राहत के लिए लायन बियर सबसे पसंदीदां बियर बन गई थी।
किसने खरीदी बियर ब्रुअरी
जल्द ही यह ब्रुअरी कसौली से सोलन शिफ्ट कर दी गई, जहां नदियों की ताजा पानी की उपलब्धता भरपूर मात्रा में थी। बाद में, जनरल डायर ने भारत के अन्य हिस्सों जैसे शिमला, मुर्री (पाकिस्तान), मंडले और क्वेटा में भी ब्रुअरीज की स्थापना की। इसके बाद एच. जी. मीकिन नामक एक और ब्रिटिश इंटरप्रेन्योर ने 1887 में शिमला और सोलन की ब्रुअरीज को खरीदा और भारत के अन्य क्षेत्रों में विस्तार किया।
क्यों मोहन मीकिन केवल एक बियर कंपनी नहीं है
आज की प्रमुख भारतीय कंपनियों में से एक, मोहन मीकिन, का गठन एडवर्ड डायर और एच. जी. मीकिन के संयुक्त प्रयासों से हुआ था। स्वतंत्रता के बाद, नरेंद्र नाथ मोहन ने इस कंपनी का अधिग्रहण किया और इसे “मोहन मीकन ब्रुअरीज” के नाम से एक नई पहचान दी। धीरे-धीरे, इस कंपनी ने बियर के अलावा ब्रेकफास्ट सीरियल, जूस और मिनरल वाटर जैसे अन्य प्रोडक्ट भी बनाना शुरू किया। 1982 में, इसका नाम बदलकर मोहन मीकन लिमिटेड रखा गया ताकि इसे केवल बियर निर्माता के रूप में न देखा जाए।
ओल्ड मॉन्क रम
मोहन मीकिन का सबसे फेमस प्रोडक्ट “ओल्ड मॉन्क रम” है, जो एक ब्लैक रिच रम है और कई दशकों से इसकी लोकप्रियता बरकरार है। लायन बियर, जो कभी एशिया की पहली बियर के रूप में जानी जाती थी, आज भी उत्तरी भारत में उपलब्ध है, और इसकी लोकप्रियता धीरे-धीरे फिर से बढ़ रही है।
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