उत्तर प्रदेश के अयोध्या में आज का दिन बेहद खास रहा. लंबे इंतजार के बाद राम मंदिर पूरी तरह तैयार हो चुका है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद अयोध्या आकर 161 फीट ऊंचे मुख्य शिखर पर भगवा धर्म ध्वज फहरा दिया है. इस दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ समेत देशभर की बड़ी हस्तियां मौजूद रहीं. लेकिन क्या आपको पता है कि इस मंदिर को बनाने में कितने करोड़ का सोना इस्तेमाल किया गया है?
मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने बताया कि राम मंदिर में अब तक 45 किलो शुद्ध सोने का इस्तेमाल किया जा चुका है. इसकी कीमत टैक्स को छोड़कर लगभग 50 करोड़ रुपये आंकी गई है. ये सोना नीचे की मंजिल के सारे दरवाजों और भगवान राम के सिंहासन पर है. इसके अलावा परिसर के शेषावतार मंदिर में भी सोना लगा हुआ है.
राम मंदिर में शुद्ध सोने का कहां-कहां हुआ इस्तेमाल?
CNBC की एक रिपोर्ट के अनुसार, राम मंदिर ट्रस्ट ने जानकारी दी कि 5 जून तक के निर्माण पर कुल 2,150 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. साल 2024-25 के लिए कुल 850 करोड़ रुपये का बजट रखा गया था, जिसमें काफी पैसे बच गए थे. साल 2023-24 में 676 करोड़ रुपये खर्च हुए थे, जबकि कुल कमाई 363 करोड़ रुपये थी. ये पैसे ज्यादातर बैंक के ब्याज और लोगों के दान से आए थे. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय जी ने ये भी जानकारी दी थी कि राम मंदिर के भूतल पर विराजमान रामलला का सिंहासन, 14 मुख्य दरवाजे, 161 फीट ऊंचा मुख्य शिखर और तीनों गुंबदों के शिखर शु्द्ध सोने से पूरी तरह बने हुए हैं.
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की 2024 रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में कुल 22 हजार से 25 हजार टन सोना मौजूद है. इसमें लोगों के घरों का सोना और मंदिरों का सोना दोनों शामिल हैं. उत्तर प्रदेश के मंदिरों में ही करीब 11 क्विंटल (यानी 1,100 किलोग्राम) सोना जमा है. इसमें अयोध्या का राम मंदिर, बनारस का काशी विश्वनाथ मंदिर और सिर्गोवरधन मंदिर का सोना शामिल है.
धर्म ध्वज पर भी लगा है इतना सोना
श्री राम मंदिर पर सजे धर्म ध्वज की बात करें तो ये लोगों के लिए बेहद खास है. इस ध्वज की लंबाई 22 फीट और चौड़ाई 11 फीट है. इस ध्वज के कपड़े का रंग केसरिया और रेश्मी सिल्क का है. इस ध्वज पर एक खास तरह का निशान भी बनाया गया है. जिसमें ऊं, सूर्य, कोविदार वृक्ष बना है.
ANI के अनुसार, अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के ध्वज फहराने के बड़े समारोह से पहले 161 फीट ऊंचे विशाल स्तंभ को असली सोने की परत को चढ़ाया गया था. मुंबई से आए कुशल कारीगरों ने दिन-रात मेहनत कर पतली गोल्ड लीफ चिपका कर इसे तैयार किया है. इस सोने की परत से खंभा दूर से ही सोने की तरह चमक रहा है. इससे पूरा समारोह और भी शानदार रहा. मंदिर के आस-पास पांच कोविंदर के पेड़ भी लगाए गए हैं, जो अयोध्या की पुरानी परंपरा और प्राचीन ध्वज चिह्नों का सम्मान करते हैं.










