Eligibility Criteria for Government Jobs: सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरियों को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। गुरुवार को कोर्ट ने फैसला सुनाया कि पब्लिक सेक्टर जॉब्स के लिए भर्ती के दौरान अपॉइंटमेंट के क्राइटेरिया में बदलाव नहीं किया जा सकता है। इसको बदलने के लिए विशेष रूप से अनुमति लेनी होगी। इस फैसले को न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में लिया गया । बता दें कि पैनल में कुल 5 न्यायाधीश शामिल हुए। न्यायाधीशों के पैनल ने कहा कि नौकरी की भर्ती विज्ञापन प्रकाशन के साथ शुरू होती है और पदों को भरने के बाद पूरी होती है।
भर्ती में होनी चाहिए पारदर्शिता
न्यायाधीशों की बेंच ने कहा भर्ती प्रक्रिया के शुरुआत में नोटिफाई लिस्ट में रखे जाने वाले एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया को भर्ती प्रक्रिया के बीच में तब तक नहीं बदला जा सकता, जब तक कि मौजूदा नियम इसकी अनुमति न दे या विज्ञापन मौजूदा नियमों के विपरीत न हो। पीठ ने यह भी कहा कि ट्रांसपेरेंसी और गैर-भेदभाव पब्लिक सेक्टर रिक्रूटमेंट की पहचान होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की इस बेंच में न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, पी एस नरसिम्हा, पंकज मिथल और मनोज मिश्रा शामिल थे।
जस्टिस मिश्रा ने फैसला सुनाते हुए कहा कि रिक्रूटमेंट आग्रेनाइजेशन चयन प्रक्रिया को पूरा करने के लिए उपयुक्त प्रक्रिया स्थापित कर सकते हैं, मगर ये प्रक्रिया पारदर्शी, निष्पक्ष और सही होनी चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर वैकेंसी है तो कोई भी अधिकारी लिस्ट में योग्य कैंडिडेट को अनुचित तरीके से नियुक्तियों से वंचित नहीं रख सकता है।
एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया में नहीं होगा बदलाव
न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि मौजूदा नियमों के अधीन रिक्रूटमेंट आग्रेनाइजेशन प्रक्रिया को उसके लॉजिकल एंड तक लाने के लिए उचित प्रक्रिया तैयार कर सकते हैं, बशर्ते कि अपनाई गई प्रक्रिया पारदर्शी, गैर-भेदभाव, गैर-मनमाना हो और उसका उद्देश्य प्राप्त करने के लिए तर्कसंगत संबंध हो।
इस फैसले में सरकारी नौकरी में नियुक्ति के मानदंडों के बारे में एक सवाल का भी समाधान किया गया, जिसका उल्लेख तीन न्यायाधीशों की पीठ ने मार्च 2013 में किया था। पिछली बेंच ने 1965 के एक फैसले का संदर्भ दिया था, जिसमें राज्य द्वारा ‘खेल के नियमों’ में बदलाव न करने के सिद्धांत पर जोर दिया गया था।
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