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सरसों के भाव में तेजी मंदी का दौर, जाने कितने तक जाएगा सरसों का भाव

  रूस युक्रेन के युद्ध के बाद भारत में खाद्य तेलों का आयात बहुत प्रभावित हुआ है। भारत मे सबसे ज्यादा खाद्य तेल का आयात इंडोनेशिया से और उसके बाद मलेशिया से होता है, लेकिन विश्व संकट के कारण इन देशों ने खाद्य तेलो के आयात में कमी कर दी है। वहीं  मौसमी कारणों की […]

Edited By : Manish Shukla | Updated: Aug 9, 2022 16:03
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Groundnut Oil

 

रूस युक्रेन के युद्ध के बाद भारत में खाद्य तेलों का आयात बहुत प्रभावित हुआ है। भारत मे सबसे ज्यादा खाद्य तेल का आयात इंडोनेशिया से और उसके बाद मलेशिया से होता है, लेकिन विश्व संकट के कारण इन देशों ने खाद्य तेलो के आयात में कमी कर दी है। वहीं  मौसमी कारणों की वजह फसल कमजोर होने के कारण अमेरिका और ब्राजील जैसे देशों से सोयाबीन तेलों के आयात में कमी देखी जा रही है। रूस युक्रेन से भारत को सूरजमुखी का तेल का आयात करता था, जो वर्तमान में बंद है। अभी के दौर में सभी खाद्य तेलो में सूरजमुखी का तेल सबसे महंगा तेल है। हालांकि बाकि  खाद्य तेलों की कीमत भी कम नहीं है। सभी खाद्य तेल में सबसे सस्ता होने के कारण सरसों की मांग में तेजी आ रही है, लेकिन सरसो  की आवक की स्थिति 6 से 7 लाख तक के सीमित दायरे में बने होने के कारण, सरसों के मंडी भाव में कभी तेजी तो कभी गिरावट देखने को मिल रही है।

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वर्तमान में देखा जाए तो सरसों में तेजी और मंदी का दौर  एक साथ बना हुआ है। एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार सरसों का ताज़ा भाव ₹6500 बाजार में आ चुका है, चूंकि आवक सामान्य स्थिति में है। माना जा रहा है कि जैसे ही आवक में थोड़ी कमी होगी, सरसो के भाव बढ़ने के कगार पर होंगे, भाव ₹7000 तक भी जाने का अनुमान है। वही दूसरी ओर देखेंगे तो सरसो तेल के खपत वाले बड़े-बड़े प्लांट में स्टॉक की वजह से कुछ समय के लिए सरसो तेल की खरीददारी में कमी आई है, इसके कारण भी किसी-किसी मंडी में ₹50 से ₹100 की  गिरावट देखा जा रहा है, लेकिन यें गिरावट लंबे समय तक नहीं रहेगी, क्योंकि बाजार में जितनी मांग है, उतनी सप्लाई नहीं हो पा रही है। व्यापारियों  के पास तो सरसों तेल का स्टॉक ज्यादा नहीं है। कुछ किसानों के पास सरसो की उपलब्धता है, लेकिन वो भी मंडी भाव में खाद्य तेलों के बढ़ती कीमत को देखकर सरसो के बढ़ते भाव पर नजर बनाए रखे हैं,  ताकि उन्हें अच्छा लाभ मिल सके।

विदेशी स्तर की बात करें तो सोयाबीन की फसल मौसमी कारणों से काफी प्रभावित हुई है, इसलिए माना जा सकता है कि विदेशों में भी सरसों तेल की मांग भारत से ही पूरा हो पायेगा, ऐसी स्थिति में भी सरसो  के भाव बढ़ने की पूरी संभावना है।

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Written By

Manish Shukla

First published on: Aug 09, 2022 04:03 PM

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