रांची: देश में मानसिक रोगियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। लोगों में दिन-ब-दिन स्ट्रेस बढ़ रहा है और ये तनाव यहां तक बढ़ता जा रहा है कि रोगी आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं। देश के लोगों का मानसिक स्वास्थ्य खराब होने की वजह क्या? न्यूज 24 ने रांची के अस्पताल से माहौल जानने की कोशिश की।
पारिवारिक दिक्कतें बड़ा कारण
आंकड़ों पर नजर डालें, तो एक तिहाई लोगों में आत्महत्या का बड़ा कारण पारिवारिक दिक्कतें सामने आया है। जबकि 25 फीसदी आर्थिक रूप से संपन्न न होने पर दिहाड़ी मजदूरों ने आत्महत्या की थी। बात आत्महत्या तक सीमित नहीं है, माना ये जा रहा है कि आने वाले दिनों में स्थिति और विकराल हो सकती है।
सिज्रोफेनिया के मरीजों का इलाज चुनौतीपूर्ण
राजीव रंजन से बातचीत में जूनियर रेजीडेंट अनुरूपा ने बताया कि सिज्रोफेनिया के मरीजों को ट्रीट करना काफी मुश्किल होता है। इसके अलावा कई केस डिप्रेशन, एंजायटी और साइकोसिस के अन्य केस सामने आ रहे हैं। इन केसेज को काउंसलिंग, दवा और पारिवारिक मदद से सॉल्व किया जा सकता है। सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ साइकेट्रिक के डायरेक्टर प्रोफेसर वासुदेव दास ने बताया कि ओपीडी में मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। अगली महामारी मानसिक बीमारी से संबंधित होगी।
कई बार तो हम पेशेंट को बेड भी नहीं दिला पा रहे हैं। इनमें कई किशोर भी शामिल हैं। डॉ दास के अनुसार, सामाजिक व्यवस्था ने भी काफी माहौल बदला है। आजकल लोग न्यूक्लियर फैमिली में काफी अलग-थलग और अकेलेपन का शिकार हो रहे हैं। इन परिस्थितियों से निकलना जरूरी है।
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‘माहौल क्या है’ में आप मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े इस मुद्दे पर पूरी बात आप इस वीडियो में सुन सकते हैं।
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