Same Sex Marriage vs Heterosexual Marriage: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार समलैंगिक शादी (Same Sex Marriage) के मामले में अहम फैसला दिया। कोर्ट ने सेम सेक्स मैरिज को मान्यता नहीं दी है, हालांकि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कई अहम टिप्पणियां की हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इन टिप्पणियों के बीच में विषमलैंगिक जोड़ों (स्त्री और पुरुष) को लेकर भी कुछ बात कही है।
भेदभाव के लिए संविधान का उल्लंघन
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने मंगलवार को समलैंगिक विवाह पर अपने फैसले में कहा कि कानून यह नहीं मान सकता कि केवल विषमलैंगिक जोड़े (स्त्री और पुरुष) ही अच्छे माता-पिता हो सकते हैं। सीजेआई ने फैसले में कहा कि गोद लेने के नियम समलैंगिक जोड़ों के खिलाफ भेदभाव के लिए संविधान का उल्लंघन हैं।
"स्पेशल मैरिज एक्ट में बदलाव करने का अधिकार केवल संसद के पास है"
◆ "समलैंगिक साथ रह सकते हैं, लेकिन विवाह को मान्यता नहीं दी जा सकती"
---विज्ञापन---◆ सर्वोच्च अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा#SupremeCourt | Justice Bhat | CJI Chandrachud | #SameSexMarriage pic.twitter.com/GccsOP8IBQ
— News24 (@news24tvchannel) October 17, 2023
बच्चों को गोद लेने का नियम भी याद दिलाया
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) का परिपत्र (जो समलैंगिक जोड़ों को गोद लेने से बाहर करता है) संविधान के अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है। उन्होंने आगे कहा कि CARA विनियमन 5(3) अप्रत्यक्ष रूप से असामान्य संघों के खिलाफ भेदभाव करता है। एक समलैंगिक व्यक्ति केवल व्यक्तिगत क्षमता में ही गोद ले सकता है। इसका समलैंगिक समुदाय के खिलाफ भेदभाव को मजबूत करने का प्रभाव है।
क्या आपको पता है LGBTQIA का फु़लफ़ॉर्म..?
◆ कमेंट सेक्शन में दें जवाब…#LGBTQIA | #SameSexMarriage | LGBTQIA pic.twitter.com/oTJC2n1o5F
— News24 (@news24tvchannel) October 17, 2023
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि यह साबित करने के लिए रिकॉर्ड पर कोई तथ्य नहीं है कि केवल एक विवाहित विषमलैंगिक जोड़ा (स्त्री और पुरुष) ही एक बच्चे को स्थिरता दे सकता है। हालांकि इसके अलावा भी सुप्रीम कोर्ट ने कई अहम टिप्पणियां की हैं।