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BJP ने क्यों खेला बिहार के मंत्री नितिन नबीन पर दांव? कार्यकारी अध्यक्ष बनाने के पीछे क्या है ‘रणनीति’

भाजपा के संसदीय बोर्ड ने रविवार को बिहार के कैबिनेट मंत्री और पांच बार के विधायक नितिन नबीन को पार्टी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष चुना है.

Author Edited By : Arif Khan
Updated: Dec 15, 2025 09:33
नबीन ने अपने सियासी सफर की शुरुआत ABVP से की थी.

भाजपा ने बिहार के कैबिनेट मंत्री और पांच बार के विधायक नितिन नबीन को पार्टी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष चुना है. यह फैसला भाजपा के संसदीय बोर्ड में रविवार को लिया गया. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रहेंगे. लेकिन रिपोर्ट्स की मानें तो नबीन को जनवरी में पार्टी की कमान सौंपी जा सकती है. जेपी नड्डा ने 2020 की शुरुआत में पार्टी की कमान संभाली थी. बतौर भाजपा अध्यक्ष नड्डा का कार्यकाल जनवरी 2023 तक था, फिर 2024 के लोकसभा चुनाव तक बढ़ा दिया गया था. नबीन भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष पद पर पहुंचने वाले सबसे कम उम्र के नेता हैं. अगर वह जनवरी महीने में अध्यक्ष चुने जाते हैं, तो उस पद पर पहुंचने वाले भी सबसे कम उम्र के होंगे. इसके साथ ही बिहार से कोई नेता पहली बार भाजपा पार्टी अध्यक्ष के पद पर होगा.

युवाओं को तवज्जो

पार्टी के साथ-साथ आरएसएस भी चाहता था कि युवा नेता को इस पद पर नियुक्त किया जाए. नबीन की उम्र केवल 45 साल है. इनसे पहले अमित शाह सबसे कम उम्र के भाजपा अध्यक्ष बने थे. जब अमित शाह को पार्टी की कमान सौंपी गई थी, तब उनकी उम्र 49 साल थी. इस कदम के पीछे देखा जा सकता है कि पार्टी चाहती है कि अगली पीढ़ी को आगे लाया जाए. इनको पद सौंपकर भाजपा युवाओं पर फोकस करना चाहती है. पार्टी चाहती है कि युवाओं को ज्यादा से ज्यादा पार्टी के साथ जोड़ा जाए. नबीन को सरकार और संगठन दोनों का अनुभव है. नबीन की आक्रामक शैली और युवाओं के मुद्दों को समझने वाला माना जाता है.

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संगठन का तजुर्बा

कायस्थ समुदाय से ताल्लुक रखने वाले नितिन नबीन को संगठन के लिए अच्छा काम करने के लिए पार्टी में जाना जाता है. वह 2010 से बांकीपुर के विधायक हैं और पहली बार 2021 में कैबिनेट मंत्री बने. अभी नीतीश कुमार सरकार में सड़क निर्माण के साथ-साथ नगर विकास एवं आवास मंत्री हैं. इससे पहले उन्होंने विधि एवं न्याय विभाग संभाला था. इन्हें पीएम मोदी और अमित शाह दोनों का भरोसेमंद माना जाता है.

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पार्टी कार्यकर्ताओं को मैसेज

इस नियुक्ति के जरिए भाजपा ने पार्टी के कार्यकर्ताओं को भी एक मैसेज दिया है. इसके जरिए मैसेज दिया है कि अगर कोई पार्टी के लिए मन लगाकर काम करता है तो उसे पार्टी की कमान तक मिल सकती है. इस नियुक्ति ने कार्यकर्ताओं में एक जोश भरने का काम किया है.

सियासी परिवार से ताल्लुक

नबीन के पिता दिवंगत नवीन किशोर सिन्हा खुद भी विधायक रह चुके हैं. उनके पिता ने 1995 से लगातार चार बार पटना पश्चिम विधानसभा सीट जीती थी. पिता के निधन के बाद नबीन ने भी इसी सीट से उपचुनाव जीता था.

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ABVP से सियासी सफर

नबीन ने अपने सियासी सफर की शुरुआत कॉलेज के दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से की थी. जब वह 25 साल के थे, तब अचानक उनके पिता का निधन हो गया. पिता के निधन के वक्त नबीन बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से पढ़ाई कर रहे थे. लेकिन उन्होंने पढ़ाई बीच में छोड़ दी और पिता की सीट से उपचुनाव लड़ा, जिसमें जीत हासिल की. 2008 में परिसीमन के बाद से नबीन बांकीपुर सीट से 2010 से चुनाव जीतते आ रहे हैं.

First published on: Dec 15, 2025 09:33 AM

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