Who is Lieutenant Jatin Kumar: लेफ्टिनेंट जतिन कुमार युवाओं के लिए दृढ़ता और उम्मीद का पर्याय बन चुके हैं। दो बार रिजेक्ट होने के बाद भी उन्होंने अपने सपने का पीछा नहीं छोड़ा। इसके बाद इस साल उन्हें आईएमए की पासिंग आउट परेड में प्रतिष्ठित स्वाॅर्ड ऑफ ऑनर और प्रेसिडेंट सिल्वर मेडल अपने नाम किया। इससे पहले वे आईएमए में एंट्र्री के लिए संघर्ष कर रहे थे। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार लेफ्टिनेंट ने बताया मुझे दो बार आईएमए ने रिजेक्ट कर दिया, लेकिन मैंने उम्मीद नहीं खोई।
लेफ्टिनेंट ने आगे बताया मेरे पिता का सपना था, मैं एक आर्मी ऑफिसर बनूं। ग्यारह साल पहले जब मैं सैनिक स्कूल में पढ़ाई कर रहा था, तो मैंने भी देश की सेवा का सपना देखा था और आज वह सच हो गया। यह मेरे परिवार के लिए एक श्रद्धांजलि है। उनके पिता एक सेवानिवृत्त हवलदार थे, जो 2018 तक सेना में सेवारत थे।
पिता के सपने को पूरा किया
बता दें कि हरियाणा के पलवल के रहने वाले जतिन कुमार बचपन से ही सैन्य अधिकारी बनने का सपना देखते थे। आईएमए द्वारा दो बार रिजेक्ट होने के बाद भी उन्होंने अपने सपने को कभी अपनी आंखों से ओझल नहीं होने दिया। लेफ्टिनेंट ने बताया उनके पिता उनके सपने को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जतिन कुमार अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता को देते हैं।
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जानें क्या है स्वॉर्ड ऑफ ऑनर
स्वॉर्ड ऑफ ऑनर आईएमए में किसी कैडेट को मिलने वाला सर्वोच्च पुरस्कारों में से एक है। यह पुरस्कार उस कैडेट को दिया जाता है, जो प्रशिक्षण, अनुशासन और नेतृत्व में उत्कृष्ट प्रदर्शन करता है। यह सम्मान ईमानदारी, दृढ़ता और नेतृत्व के मूल मूल्यों का प्रतीक है, जो सैन्य सेवा को परिभाषित करता है। यह सम्मान याद दिलाता है कि एक सैन्य अधिकारी की यात्रा हमेशा चुनौतियों से भरी होती है।
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