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DRDO की ‘प्रलय’ चीन-पाकिस्तान के लिए कितनी खतरनाक? सफल परीक्षण से सेना ने दिया संदेश

Pralay Missile Test: दुश्मन की खेमे में 'प्रलय' लाने के लिए प्रलय मिसाइल का सफल परीक्षण कर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने आज एक बार फिर अपनी ताकत का लोहा मनवा लिया. इससे भारतीय सेना की रक्षा शक्ति को और ज्यादा मजबूती मिली.

Author Written By: Pawan Mishra Updated: Dec 31, 2025 19:20
DRDO Pralay Missile Test

Pralay Missile Test: ओडिशा के चंदीपुर एकीकृत परीक्षण क्षेत्र (ITR) में डीआरडीओ ने दुश्मनों को सख्त संदेश देते हुए दो प्रलय मिसाइलों का सफल सैल्वो लॉन्च किया. सुबह करीब 10:30 बजे किए गए इस परीक्षण के दौरान एक ही लॉन्चर से एक के बाद एक मिसाइलें दागी गईं. दोनों मिसाइलों ने निर्धारित ट्रैजेक्टरी का पालन करते हुए सभी उड़ान उद्देश्यों को पूरा किया, जिसकी पुष्टि ट्रैकिंग सेंटरों, सेंसर शिप्स और टेलीमेट्री डेटा से हुई. यह पहला मौका था जब एक सॉल्वो से एक के बाद एक प्रलय मिसाइल दागे गए है. प्रलय ने अपने सटीक टारगेट को हिट करके पाकिस्तान और चीन को यह संदेश दे दिया है कि हमसे ना टकराना.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने टीम को दो बधाई

डीआरडीओ सूत्र के मुताबिक मिसाइल के फ्लाइट को मॉनिटर करने के लिए इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज अलग-अलग ट्रैकिंग सेंसर शिप और अन्य जगहों से लिए गए थे. इस सफल परीक्षण के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ की सभी टीम को बधाई दिया है. आपको बता दे कि प्रलय मिसाइल शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल है. जिसने भारतीय मिसाइल तकनीक में नई दिशा को अपनी धार् दी है. यह मिसाइल DRDO ने विकसित की है.यह मिसाइल तेजी से सटीक मार करने के लिए डिजाइन की गई है. प्रलय एक सतह से सतह तक मार करने वाली शॉर्ट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल है.

प्रलय मिसाइल की खूबियां

प्रलय मिसाइल की मारक क्षमता 150 से 500 किलोमीटर के करीब है. यह एक कैनिस्टर मोबाइल सिस्टम है. आसानी से लॉन्च करना और तेजी से अपनी जगह बदलना इसकी एक और खासियत है. इसकी पेलोड क्षमता 500 से 1000 किलोग्राम तक के विस्फोटक लेकर आसानी से दुश्मन पर बरसा सकता है. यह लॉन्च किए जाने के बाद हवा में ही अपनी दिशा बदलकर मनूवरिंग कर सकता है. इससे यह मिसाइल दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को भी चुनौती दे सकता है. इसकी रफ्तार 1 से 1.6 मैक के करीब है. यह इंटरनल नेविगेशन सिस्टम से लैस है. इस मिसाइल का वजन 5 टन है. यह कंवेशनल के साथ-साथ न्यूक्लियर हथियार ले जाने में भी सक्षम है.

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लद्दाख में तनाव के दौरान किया गया परीक्षण

DRDO की तरफ से कई ऐसे प्रोजेक्ट जारी हैं, जो भारतीय सेना की ताकत में बेतहाशा इजाफा करने वाले हैं. प्रलय पर काम तेजी से शुरू किया गया और इसका पहला ट्रायल उस वक्त किया गया जब भारत और चीन के बीच लद्दाख में तनाव चरम पर था. यह परीक्षण 22 दिसंबर 2021 को किया गया था. दूसरा ट्रायल ठीक एक दिन बाद 23 दिसंबर को किया गया. दोनों परीक्षण में यह पूरी तरह से खरा उतरा. तीसरा परीक्षण साल 2023 में किया गया था. चौथा ट्रायल जुलाई 2025 में किया गया.

First published on: Dec 31, 2025 07:20 PM

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