Kolkata Rape Muder Case: कोलकाता रेप मर्डर केस में आरोपी संजय रॉय के बारे में जो शुरुआती जानकारियां निकलकर सामने आईं, उनमें कहा गया था कि आरोपी अस्पताल में पुलिस का वॉलंटियर था, वह अस्पताल में ही रहता था। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आरोपी संजय रॉय बैड कैरेक्टर्स की लिस्ट में भी शामिल था। बता दें कि पुलिस स्थानीय स्तर पर बैड कैरेक्टर्स की एक पूरी लिस्ट रखती है। इस लिस्ट में वो लोग शामिल होते हैं, जिनका व्यवहार खराब होता है। जो आदतन अपराधी होते हैं, जो चेन स्नेचिंग, लूटपाट, मोबाइल चोर, रेप और हत्या जैसे मामलों में शामिल होते हैं। ऐसे लोगों को पुलिस बैड कैरेक्टर के तौर पर नामित करती है। थानों में इनका रिकॉर्ड रखा जाता है।
आरोपी संजय रॉय का कैरेक्टर
मीडिया में आई खबरों के मुताबिक कोलकाता केस का आरोपी रेड लाइट एरिया में जाता था, शराब पीता था, उस पर महिलाओं को छेड़ने के आरोप थे। उसके खिलाफ पत्नी के साथ मारपीट के मामले दर्ज थे। मोबाइल में अश्लील वीडियो देखता था। और पुलिस के साथ रेगुलर संपर्क में था। रिपोर्ट्स के मुताबिक आरोपी अस्पताल में वॉलंटियर के तौर पर काम करता था, यानी कोई पुलिस वाला अस्पताल में भर्ती होता था, उसके अटेंडेंट के तौर पर संजय रॉय होता था। वह खाना, पानी और दवाएं लाने का काम करता था।
संजय रॉय पर आरोप हैं कि 9 अगस्त की दरम्यानी रात को उसने कोलकाता स्थित आरजी कर अस्पताल में पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनी महिला डॉक्टर की रेप के बाद बेरहमी से हत्या कर दी थी। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि आरोपी संजय रॉय का जिस तरीके का कैरेक्टर रहा है, संभव है कि वह पुलिस की बैड कैरेक्टर्स की लिस्ट में रहा हो।
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कौन लगाता है बैड कैरेक्टर्स पर मुहर
रिपोर्ट्स के मुताबिक बैड कैरेक्टर्स की पहचान थाना स्तर पर एसएचओ करता है। वह एक सूची के जरिए बैड कैरेक्टर्स की पहचान की सिफारिश करता है। इस सिफारिश पर अंतिम मुहर जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक या पुलिस उपायुक्त करता है। इसके बाद बैड कैरेक्टर का नाम बैड कैरेक्टर की लिस्ट में दर्ज कर लिया जाता है।
बैड कैरेक्टर्स की तीन लिस्ट होते हैं। पहली लिस्ट ऐसी होती है जिनमें एक्टिव बैड कैरेक्टर्स होते हैं। जो आए दिन अपराध में शामिल होते रहते हैं। दूसरी कैटेगिरी में वो लोग होते हैं, जो क्राइम की दुनिया से दूर जा चुके होते हैं, लेकिन उनके अपराध में शामिल होने की आशंका होती है। तीसरी कैटेगिरी में वो लोग होते हैं जो पहले अपराधी रहे होते हैं, लेकिन अब अपराध करने की हालत में नहीं होते हैं।
डीसीपी और एसएसपी बैड कैरेक्टर्स की लिस्ट की जांच करता है और जो बैड कैरेक्टर, गुड कैरेक्टर में आ जाता है, उसका नाम लिस्ट से बाहर कर दिया जाता है। बैड कैरेक्टर्स पुलिस के मुखबिर भी होते हैं। ये पुलिस को अवैध धंधों के बारे में जानकारी देते रहते हैं। जब किसी बड़ी आपराधिक घटना पर बवाल होता है तो पुलिस पर दबाव ज्यादा होता है, ऐसे में यही बैड कैरेक्टर्स काम आते हैं, इनमें से कई को कुछ समय के लिए लॉकअप में रखा जाता है, ताकि मामला शांत हो सके।