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लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पास होने के क्या मायने? NDA को कितना फायदा?

लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक बिल बहुमत के साथ पारित हो गया है। बिल के पक्ष में 288 वोट पड़े, वहीं, विपक्ष में 232 वोट आए। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू की ओर से लोकसभा में यह विधेयक पेश किया गया। चर्चा के बाद रिजिजू ने कहा कि विपक्ष बेवजह के आरोप लगा रहा है।

Author Edited By : Parmod chaudhary Updated: Apr 3, 2025 07:38
Waqf Amendment

लोकसभा में बुधवार को वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पारित हो गया है। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू की ओर से यह विधेयक पेश किया गया, जिसके पक्ष में 288 और विपक्ष में 232 वोट आए। बिल को लेकर लोकसभा में 12 घंटे तक चर्चा की गई। चर्चा के दौरान रिजिजू ने कहा कि विपक्ष सरकार पर गलत आरोप लगा रहा है। ऐसा नहीं करना चाहिए। बिल में जितने भी प्रावधान लाए गए हैं, सभी मुस्लिम हित में हैं। वहीं, विपक्ष ने कहा कि गैर मुस्लिम को शामिल करने को लेकर बिल में जो फैसला लिया गया है, वह गलत है। बिल के समर्थन में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि वोट बैंक की राजनीति की वजह से डर का झूठ फैलाया जा रहा है। यह विधेयक मुस्लिमों के धार्मिक मामलों और उनकी दान की गई संपत्तियों में दखल देगा, यह बात गलत है।

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वक्फ संशोधन बिल के पास होने से भारतीय जनता पार्टी (BJP) की अगुआई वाली एनडीए सरकार को फायदा होगा, राजनीतिक मामलों के जानकार ऐसा मानकर चल रहे हैं। इसी साल दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद एनडीए बिहार विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति तैयार कर रही है। माना जा रहा है कि इस चुनाव में बीजेपी वक्फ बोर्ड से प्रताड़ित गरीब मुस्लिमों को अपनी तरफ करने खींचने के प्रयास में है। बीजेपी मानकर चल रही है कि अयोध्या में राम मंदिर और महाकुंभ के सफल आयोजन के बाद हिंदुत्व की पिच पर वह मजबूत है। विपक्ष जितना वक्फ बोर्ड के मुद्दे को भुनाएगा, हिंदू वोटर बीजेपी के साथ उतना ही जुड़ेंगे।

केंद्र सरकार की शक्तियां

किरेन रिजिजू ने अनुसार सरकार किसी का हक छीनना नहीं, देना चाहती है। बिल उन लोगों के लिए लाया गया है, जिनको उनका हक कभी नहीं मिल पाया। नए वक्फ अधिनियम के अनुसार राज्य सरकारें कभी भी वक्फ खातों का ऑडिट कर सकती हैं। केंद्र सरकार को यह अधिकार दिया गया है कि वह वक्फ पंजीकरण, खातों और लेखा परीक्षा पर नियम बना सकती है। शिया वक्फ 15 फीसदी से अधिक होने की स्थिति में अब शिया और सुन्नी के अलग-अलग वक्फ बोर्ड बनाने होंगे। इसके अलावा नए अधिनियम में बोहरा और अगाखानी वक्फ बोर्ड को भी स्वीकृति दी गई है।

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Parmod chaudhary

First published on: Apr 03, 2025 07:11 AM

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