वक्फ संसोधन अधिनियम को लेकर देश के कई राज्यों में लेकर बवाल जारी है। हालांकि, मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है और दो दिन इस पर सुनवाई की गई है। इसी बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे का एक बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि कानून अगर सुप्रीम कोर्ट ही बनाएगा तो संसद भवन को बंद कर देना चाहिए। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर एक पोस्ट में यह लिखा है।
क्या बोले निशिकांत दुबे?
झारखंड की गोड्डा सीट से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने एक्स पर लिखा, ‘कानून यदि सुप्रीम कोर्ट ही बनाएगा तो संसद भवन बंद कर देना चाहिए।’ इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून पर सुनवाई से पहले केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था कि मुझे पूरा भरोसा है कि सुप्रीम कोर्ट विधायी मामले में दखल नहीं देगा। हमें एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिएय़ अगर कल सरकार न्यायपालिका में दखल देती है तो अच्छा नहीं होगा। शक्तियों का बंटवारा अच्छी तरह से परिभाषित है, इसलिए विधायिका और न्यायपालिका को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए।
क़ानून यदि सुप्रीम कोर्ट ही बनाएगा तो संसद भवन बंद कर देना चाहिये
— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) April 19, 2025
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इससे पहले जेपीसी के अध्यक्ष रहे भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के अंतरिम आदेश से पहले बड़ा ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि अगर कानून में एक भी गलती निकली, तो वे सांसद पद से इस्तीफा दे देंगे।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने क्या कहा?
वक्फ अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई को लेकर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति एन्क्लेव में छठे राज्यसभा इंटर्नशिप कार्यक्रम के समापन समारोह में बोलते हुए न्यायपालिका के खिलाफ कड़ी टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि हम ऐसी स्थिति नहीं बना सकते जहां आप भारत के राष्ट्रपति को निर्देश दें और किस आधार पर? संविधान के तहत आपके पास एकमात्र अधिकार अनुच्छेद 145(3) के तहत संविधान की व्याख्या करना है। वहां, 5 न्यायाधीश या उससे ज्यादा होने चाहिए। अनुच्छेद 142 लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ एक परमाणु मिसाइल बन गया है।
‘वक्फ को बचाना नहीं खत्म करना चाहती है सरकार’
वहीं, सुप्रीम कोर्ट में दो दिन की सुनवाई के बाद असदुद्दीन ओवैसी ने भी वक्फ अधिनियम को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी। असदुद्दीन ओवैसी सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश पर करीब से नजर रखी हुए हैं, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में जो याचिकाएं दायर की गई हैं उनमें से एक याचिका एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी की भी है। शुक्रवार को ओवैसी ने कहा कि केंद्र सरकार वक्फ को कमजोर करने की कोशिश कर रही है, जो संघवाद के विरुद्ध है। यह कानून वक्फ की जमीन को बर्बाद करने के लिए लाया गया है। वक्फ कानून पर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ‘हमारी पार्टी और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का यह रुख रहा है कि यह काला कानून असंवैधानिक है क्योंकि यह मौलिक अधिकारों का हनन करता है। हम अंतरिम आदेश को सावधानी से देख रहे हैं क्योंकि इस कानून में 40-45 संशोधन हैं। उन्होंने आगे कहा कि ‘जब भारत सरकार वक्फ को कमजोर करने वाले नियम बनाती है तो यह संघवाद के खिलाफ होगा। इस कानून में कई धाराएं हैं जो वक्फ को कमजोर करती हैं। इसके खिलाफ हमारी कानूनी लड़ाई और विरोध-प्रदर्शन जारी रहेगा।