अमर देव पासवान, कोलकाता
पश्चिम बंगाल में वक्फ कानून को लेकर विवाद लगातार गहराता जा रहा है। जहां एक तरफ मुस्लिम संगठनों की ओर से इस कानून का खुलकर विरोध हो रहा है, वहीं अब इस विरोध की आड़ में फैली हिंसा के पीछे SDPI (सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया) की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। सोशल मीडिया और वाट्सएप ग्रुप्स के जरिए विरोध को हवा देने और बड़ी संख्या में लोगों को एकजुट करने की कोशिशें सामने आई हैं। खासकर मुर्शिदाबाद में हालात बेहद बिगड़े जहां हिंसा, आगजनी और हत्या की वारदातें हुईं। इसके बाद केंद्र सरकार को वहां अर्धसैनिक बलों की तैनाती करनी पड़ी।
SDPI के जरिए आंदोलन को मिली धार
राज्य के कई हिस्सों में SDPI की अगुवाई में मुस्लिम संगठनों ने रैलियां और सभाएं कीं। मुर्शिदाबाद में 26 फरवरी को SDPI के बैनर तले बड़ी कांफ्रेंस का आयोजन हुआ जिसके बाद विरोध और तेजी से बढ़ा। सोशल मीडिया और वाट्सएप के जरिये भीड़ को इकट्ठा किया गया। जैसे ही वक्फ कानून पास हुआ, अगले ही दिन से मुर्शिदाबाद में हिंसा भड़क उठी।
हिंसा का तांडव: पुलिस, रेलवे और आम लोगों पर हमला
विरोध प्रदर्शन के नाम पर पथराव, आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आईं। पुलिस और आम लोगों को निशाना बनाया गया, रेलवे संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। समशेरगंज, सूती और रघुनाथगंज जैसे इलाके हिंसा की चपेट में आ गए। कुछ इलाकों में दो लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुए।
हिंदू समुदाय को बनाया गया निशाना
प्रदर्शन के नाम पर खासतौर पर हिंदू समुदाय के घरों और लोगों को निशाना बनाया गया। एक परिवार के दो लोगों की चाकू मारकर हत्या कर दी गई। कई घरों में लूटपाट और आगजनी की गई। इस वजह से लगभग 500 लोग मुर्शिदाबाद छोड़कर मालदा में शरण लेने को मजबूर हो गए।
राजनीति और कार्रवाई दोनों जारी
भाजपा ने हिंसा प्रभावितों के लिए कंट्रोल ऑफिस और हेल्पलाइन शुरू की है। वहीं विपक्षी दल इसे सरकार की नाकामी बता रहे हैं। हाईकोर्ट में याचिका दायर होने के बाद अब केंद्रीय बल तैनात किए गए हैं। वहीं, सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि PFI पर प्रतिबंध लगने के बाद उसके कई सदस्य अब SDPI में सक्रिय हो गए हैं और वे पूरे देश में अल्पसंख्यक समुदाय को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं।