Uttarkashi Tunnel Rescue, उत्तरकाशी: उत्तराखंड के उत्तरकाशी से मंगलवार को बड़ी मंगलकारी खबर आई है। पिछले 17 दिन से सुरंग में मौत के बीच लड़ाई लड़कर रहे मजदूरों के परिवार और इन्हें बचाने में लगे लोगों की मेहनत रंग लाई है। देर शाम इन्हें इन मजदूरों को बाहर लाया जा चुका है। फिलहाल इन्हें उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इसके लिए उत्तराखंड के उत्तरकाशी सुरंग में 17 दिन से फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए दिन-रात रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया। इन मजदूरों के बाहर आने के इंतजार में टनल के आसपास डेरा जमाकर बैठे इनके परिजनों के दिलों की धड़कनें पल-पल बढ़ जा रही थी तो उम्मीद की हवा फिर से शांत कर दे रही थी।
Uttarkashi Tunnel Rescue: All 41 Trapped Workers Successfully Rescued After 17 Days Agony #UttarkashiRescue #UttarakhandTunnelRescue #UttarakhandTunnel pic.twitter.com/468C7dFSPX
---विज्ञापन---— News24 English (@News24eng) November 28, 2023
दिवाली के दिन हुआ था हादसा
गौरतलब है कि देवभूमि उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में चार धाम प्रोजेक्ट के तहत ब्रह्माखाल-यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर सिल्कयारा टनल का निर्माण चल रहा है। लगभग 853.79 करोड़ रुपए की लागत से बन रही कुल लंबाई 4.5 किलोमीटर लंबी इस टनल के बन जाने से होने से धरासू से यमुनोत्री की दूरी 26 किलोमीटर कम होगी आने-जाने में एक घंटे का समय बचेगा। प्रोजेक्ट 2018 में पास हुआ था और 2022 तक इस सुरंग को बनाने की डेडलाइन थी, लेकिन कोरोना काल के कारण सुरंग नहीं बन पाई और अब जब इसे बनाने का काम शुरू किया गया तो हादसा हो गया। 12 नवंबर 2023 दिवाली वाले दिन की सुबह करीब साढ़े 5 बजे अचानक लैंडस्लाइड हुआ और निर्माणाधीन सुरंग पर मलबा गिर गया और आंशिक रूप से धंस जाने के बाद से 41 मजदूर अंदर ही फंस गए। इन मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए जद्दोजहद जारी है। 17 नवंबर को चट्टान आने के बाद ड्रिलिंग रोकनी पड़ी थी। इसके बाद टनल के प्रवेश द्वार से एक बार फिर ऑगर मशीन से ड्रिलिंग शुरू हुई, लेकिन बावजूद इसके इन्हें निकाला जाना अभी मुमकिन नहीं हो पा रहा था।
#UPDATE | Five workers among the 41 workers trapped inside the Silkyara tunnel in Uttarakhand since November 12 have been successfully rescued.
Currently, all the labourers are in the safety tunnel inside the Silkyara tunnel.
— ANI (@ANI) November 28, 2023
Explainer में पढ़ें : टनल में फंसे मजदूरों को बाहर लाने के लिए बचाव दल ने दिन-रात कैसे की जीतोड़ मेहनत और आखिरकार बचा ली 41 जिंदगियां
अमेरिकी मशीन से नहीं चला काम तो स्वदेशी तकनीक ने दिखाया जलवा
मजदूरों की जान सुरक्षित बचाने के लिए अमेरिका लाई गई ऑगर मशीन फेल होने के बाद टनल के अंदर रैट होल माइनिंग की गई। इसी के साथ रैट होल माइनिंग के एक्सपर्टों ने हाथों के औजारों से मलबे को हटाया और पाइपलाइन को अंदर डाला। इसी पाइपलाइन के जरिए मजदूरों को टनल से बाहर लाया गया। इसके अलावा मौके पर मजदूरों के लिए डॉक्टरों की टीम और एंबुलेंस तैनात हैं, ताकि घायल मजदूरों को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया जा सके। इन मजदूरों को एनडीआरएफ टीम ने एक लंबे पाइप के जरिए बाहर निकाला है। इसके लिए सिलक्यारा टनल में 55.3 मीटर लंबे पाइप के साथ दूसरे पाइप को वेल्ड करके जोड़ा गया था।
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कैसे करते हैं रैट-माइनर्स अपना काम?
रैट माइन तकनीक में एक्सपर्ट्स को सुरंग में उतारा जाता है, जिनके हाथों में छोटे-छोटे फावड़े और हथौड़े होते हैं। ये अंदर जो खुदाई करते हैं, उस मलबे को तसले या ट्राली की ममद से बाहर निकाला जाता है। अगर फावड़े काम नहीं देते तो ड्रिलिंग के जरिये खुदाई को अंजाम दिया जाता है। इन टीम मेंबर्स को ऑक्सीजन मास्क, प्रोटेक्टिव ग्लास के साथ अंदर उतारा जाता है। साथ ही हवा का ताजापन बनाए रखने के लिए पाइप में ब्लोअर चलाया जाता है।
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मुख्यमंत्री धामी ने की प्रार्थना
उधर, रेस्क्यू ऑपरेशन के साथ-साथ प्रार्थनाओं का दौर भी लगातार जारी रहा। सेंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने ओडिशा के पुरी में रेत की एक मूर्ति बनाकर अंदर इन मजदूरों की सुरक्षा के लिए प्रार्थना की। मंगलवार काे ऑपरेशन के अंतिम दिन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह मंगलवार को टनल हादसे की साइट पर पहुंचे और रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लिया। उन्होंने बताया था कि मैन्युअल ड्रिलिंग का कार्य पूरा हो गया है। सिलक्यारा टनल में चल रहे बचाव अभियान पर केंद्र और राज्य सरकार की नजरें बनी हुई हैं। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने खुद सुरंग के अंदर फंसे श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए जारी बचाव अभियान का निरीक्षण किया। उन्होंने सुरंग के प्रवेश द्वार पर स्थित बाबा बौखनाग के मंदिर पर पूजा-अर्चना की और सभी मजदूरों के सकुशल बाहर निकलने की प्रार्थना की।