17th Indian Cooperative Congres: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस के अवसर पर 17वीं भारतीय सहकारी कांग्रेस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस दौरान अमित शाह ने कहा कि हकारिता आंदोलन हमारे देश में लगभग 115 वर्ष पुराना है। आजादी के बाद से सहकारिता क्षेत्र के कार्यकर्ताओं की प्रमुख मांग थी कि सहकारिता मंत्रालय को अलग बनाया जाए। पहले सहकारिता का सारा काम कृषि मंत्रालय के अंतर्गत संयुक्त सचिव देखता था और इस वजह से सहकारिता क्षेत्र को बढ़ने में बहुत दिक्कत आती थी, लेकिन पीएम मोदी ने हमारी मांग को पूरा किया।
ऋण वितरण की व्यवस्था में 29% हिस्सा सहकारी आंदोलन का
अमित शाह ने कहा कि स्वतंत्र मंत्रालय बनने से सहकारिता मंत्रालय और सहकारी के क्षेत्र में ढ़ेर सारे परिवर्तन संभव हुए हैं और आगे भी परिवर्तन होते रहेंगे। उन्होंने कहा कि ऋण वितरण की अर्थव्यवस्था में लगभग 29% हिस्सा सहकारी आंदोलन का है। उर्वरक वितरण में 35%, उर्वरक उत्पादन में 25%, चीनी उत्पादन में 35% से अधिक, दूध की खरीद, बिक्री और उत्पादन में सहकारिता का हिस्सा 15% को छू रहा है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मोदी जी के नेतृत्व में सहकारिता के क्षेत्र में कईं सारे पहल किए हैं। सबसे पहले संवैधानिक ढांचे के भीतर राज्य और केंद्र के अधिकारों में खलल डाले बगैर सहकारिता कानून में एक समानता लाने का प्रयास नरेंद्र मोदी सरकार ने किया है।
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दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस के अवसर पर 17वीं भारतीय सहकारी कांग्रेस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। pic.twitter.com/bKZiZpYxR1
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 1, 2023
पूरे देश में PACS को किया स्वीकार
शाह ने कहा कि प्राथमिक कृषि ऋण सोसायटी (PACS) के उनियम और कानून पूरे देश में अलग-अलग थे। इसके अंदर एकवाक्यता लाने के लिए सहकारिता मंत्रालय ने PACS के सभी उपनियमों को बनाकर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को परामर्श के लिए भेजा है। 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने इसे स्वीकार कर लिया है।
उन्होंने बताया कि सितंबर के बाद देश के 85% PACS एक ही उनियम से चलेंगे। अभी देश में 85,000 PACS हैं। हमने लक्ष्य रखा है कि अगले 3 साल में देश के हर गांव में एक PACS होगा। इसका मतलब देश में 3 लाख से अधिक PACS होगा।
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