भारत में वन्य जीवों के संरक्षण के लिए निरंतर टाइगर रिजर्व बनाए जा रहे हैं लेकिन इसके बावजूद पिछले तीन वर्षों में रहस्यमय तरीके से करीब 100 बाघ लापता हो गए हैं। इस मामले की जांच चल रही है और जांच एजेंसियों के निशाने पर शिकारी और तस्कर हैं। लेकिन ये शिकारी और तस्कर अब पारंपरिक नहीं रहे, बल्कि आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। द इंडियन एक्सप्रेस ने इस संबंध में एक बड़ा खुलासा किया है।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, देशभर में फैले शिकारियों के नए नेटवर्क ने 2022 से 2025 के बीच कम से कम 100 बाघों का शिकार किया है। यह नेटवर्क डिजिटल भुगतान करता है, हवाला के जरिए लेन-देन करता है और नेपाल-म्यांमार के रास्ते बाघों के अंगों की तस्करी करता है। इस मामले की जांच पांच राज्यों की टीमें, चार केंद्रीय एजेंसियां और इंटरपोल कर रही हैं। अब तक कई लोगों को गिरफ्तार भी किया जा चुका है।
क्यों खतरनाक हो गया ये गिरोह?
रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि अब शिकारियों का नेटवर्क तेज और अत्यधिक संगठित हो गया है। वे तकनीक का कुशलता से इस्तेमाल कर रहे हैं और कम लोगों के साथ काम कर रहे हैं, जिससे पकड़ में आने का जोखिम कम हो गया है। ट्रांसपोर्टरों का उपयोग बढ़ने से सप्लाई की प्रक्रिया तेज हो गई है। बताया जा रहा है कि यह नेटवर्क अब ड्रग्स और हथियारों की तस्करी करने वाले गिरोहों के संपर्क में आ गया है, जिससे यह और खतरनाक हो गया है।
महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में वन अधिकारियों और वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (WCCB) ने इस मामले में पिछले कुछ हफ्तों में दर्जन भर से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। जांच में यह सामने आया है कि यह नेटवर्क म्यांमार सीमा के जरिए बाघों की तस्करी में शामिल है। इस मामले की जांच CBI, DRI और ED जैसी केंद्रीय एजेंसियां भी कर रही हैं।
एक बाघ की कितनी कीमत?
एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, एक बाघ की कीमत 8-12 लाख रुपये तक होती है। जांच में करीब 90 बाघों के अवैध व्यापार का मामला सामने आया है। अगर अन्य तस्करी मार्गों को भी जोड़ा जाए, तो यह संख्या 100 से अधिक हो सकती है।
2022 के आंकड़ों के अनुसार, भारत में कुल 3,682 बाघ हैं और देशभर में 58 टाइगर रिजर्व मौजूद हैं। इनमें से केवल 8 ऐसे हैं, जहां 100 या उससे अधिक बाघ हैं। रिपोर्ट में राजस्थान के रणथंभौर टाइगर रिजर्व का उदाहरण दिया गया है, जहां कोविड के बाद से 40 बाघ लापता हो चुके हैं। वन्यजीव जीवविज्ञानी डॉ. धर्मेंद्र खांडल के अनुसार, इनमें 14 नर और 6 मादा बाघ शामिल हैं। 20 बाघ अलग-अलग कारणों से मारे गए, लेकिन बाकी का कोई पता नहीं चला।
जांच एजेंसियों ने सोनू सिंह बावरिया को जुलाई 2023 में महाराष्ट्र से गिरफ्तार, लेकिन छूट गया। अजीत सियालाल परधी को जुलाई 2024 में मध्य प्रदेश से गिरफ्तार किया गया लेकिन वह भी छूट गया। इसके बाद दोनों जांच एजेंसियों को चकमा देते रहे।
इस सिंडिकेट के शिकारी अब आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं। वे इंटरनेट और सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं, बैंक खातों में डिजिटल भुगतान स्वीकार करते हैं और फ्लाइट टिकट भी आसानी से बुक कर लेते हैं।
शिकारियों के नए तस्करी रूट
खाल और हड्डियों को सीधे पूर्वोत्तर नहीं भेजा जाता, बल्कि पहले ट्रांसपोर्टरों के जरिए वह भेज देते। फिर ट्रेन या फ्लाइट से शिकारी गुवाहाटी पहुंचते। वहां से शिलांग होते हुए म्यांमार, चीन, वियतनाम और लाओस तक सप्लाई की जाती है। इस पूरी प्रक्रिया का भुगतान हवाला के जरिए किया जाता है।
अधिकारियों के अनुसार, इस तस्करी नेटवर्क ने कोविड महामारी के बाद एक नई रणनीति अपनाई। हरियाणा के पिंजौर से सोनू बावरिया और मध्य प्रदेश के कटनी से अजीत परधी ने हाथ मिलाया और इस गिरोह को और सशक्त किया। मेघालय और मिजोरम के दलालों के जरिए बाघों के अंगों को म्यांमार पहुंचाया गया, जहां से वे चीन के रुइली, वियतनाम के हेकौ सीमा और लाओस तक भेजे गए।