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कर्तव्य पथ पर भारतीय सेना के ‘मूक योद्धा’, गणतंत्र दिवस 2026 पर देखने को मिलेगी खास झलक

इस बार के गणतंत्र दिवस समारोह में कुछ अलग ही नजारा देखने को मिलेगा. जी हां यह पहला मौका होगा जब इंडियन आर्मी की रिमाउंट एंड वेटरनरी कोर का दस्ता डबल हंप ऊंट और जांस्कार घोड़े के साथ दिखेगा. ये ईस्टर्न लद्दाख की मुश्किल परिस्थितियों में सैनिकों की मदद करते हैं.

Author Written By: Pawan Mishra Updated: Dec 31, 2025 12:45

इस बार के गणतंत्र दिवस समारोह में कुछ अलग ही नजारा देखने को मिलेगा. जी हां यह पहला मौका होगा जब इंडियन आर्मी की रिमाउंट एंड वेटरनरी कोर का दस्ता डबल हंप ऊंट और जांस्कार घोड़े के साथ दिखेगा. ये ईस्टर्न लद्दाख की मुश्किल परिस्थितियों में सैनिकों की मदद करते हैं.

पहली बार ड्रोन गिराने के लिए ट्रेंड ईगल भी परेड का हिस्सा होंगे. गणतंत्र दिवस 2026 पर इस बार कर्तव्य पथ पर एक खास और भावनात्मक नजारा देखने को मिलेगा. भारतीय सेना के पशु दस्ते पहली बार इतने बड़े और संगठित रूप में परेड में शामिल होंगे. ये पशु न केवल सेना की ताकत दिखाएंगे, बल्कि यह भी बताएंगे कि देश की रक्षा में उनके योगदान को कितनी अहम जगह दी जाती है.

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इस विशेष दस्ते में दो बैक्ट्रियन ऊंट, चार ज़ांस्कर पोनी, चार शिकारी पक्षी (रैप्टर्स), भारतीय नस्ल के 10 सेना के कुत्ते और सेना में पहले से काम कर रहे 6 पारंपरिक सैन्य कुत्ते शामिल होंगे. दस्ते की अगुवाई करेंगे बैक्ट्रियन ऊंट, जिन्हें हाल ही में लद्दाख के ठंडे रेगिस्तानी इलाकों में तैनात किया गया है. ये ऊंट बहुत ठंडे मौसम और 15,000 फीट से ज्यादा ऊंचाई पर आसानी से काम कर सकते हैं. ये 250 किलो तक का सामान ढो सकते हैं और कम पानी-चारे में लंबी दूरी तय करते हैं. इससे सेना को दूरदराज और कठिन इलाकों में रसद पहुंचाने में बड़ी मदद मिलती है.

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इसके बाद कदम से कदम मिलाकर चलेंगी ज़ांस्कर पोनी, जो लद्दाख की एक दुर्लभ और स्वदेशी नस्ल हैं. आकार में छोटी होने के बावजूद इनमें जबरदस्त ताकत और सहनशक्ति होती है. ये पोनी माइनस 40 डिग्री तापमान और बहुत ऊंचाई वाले इलाकों में 40 से 60 किलो वजन लेकर चल सकती हैं. साल 2020 से ये सियाचिन जैसे कठिन क्षेत्रों में सैनिकों के साथ सेवा दे रही हैं और कई बार एक दिन में 70 किलोमीटर तक गश्त करती हैं.

परेड में शामिल चार शिकारी पक्षी (रैप्टर्स) सेना की नई और स्मार्ट सोच को दिखाते हैं. इनका इस्तेमाल निगरानी और हवाई सुरक्षा से जुड़े कामों में किया जाता है, जिससे सेना के अभियान ज्यादा सुरक्षित बनते हैं.

आपको बता दें कि ये ड्रोन को मार गिराने वाले चील हैं. जिन्हें इस तरह ट्रेंड किया गया है जो पलभर में लपक कर ड्रोन को नीचे गिरा सकते हैं.

इस परेड का सबसे भावुक हिस्सा होंगे भारतीय सेना के कुत्ते, जिन्हें प्यार से ‘मूक योद्धा’ कहा जाता है. इन कुत्तों को मेरठ स्थित रिमाउंट एंड वेटरनरी कॉर्प्स केंद्र में ट्रेंड किया जाता है. ये आतंकवाद विरोधी अभियानों, विस्फोटक और बारूदी सुरंगों की पहचान, खोज-बचाव कार्यों और आपदा राहत में सैनिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करते हैं. कई बार इन कुत्तों ने अपनी जान की परवाह किए बिना सैनिकों की जान बचाई है.

आत्मनिर्भर भारत के तहत सेना अब मुधोल हाउंड, रामपुर हाउंड, चिप्पीपराई, कोम्बई और राजापलायम जैसी भारतीय नस्लों के कुत्तों को भी बड़े स्तर पर शामिल कर रही है. यह भारत की अपनी क्षमताओं पर बढ़ते भरोसे का साफ संकेत है.

गणतंत्र दिवस 2026 पर जब ये पशु कर्तव्य पथ से गुजरेंगे, तो वे यह याद दिलाएंगे कि देश की रक्षा सिर्फ हथियारों से नहीं होती. सियाचिन की बर्फीली चोटियों से लेकर लद्दाख के ठंडे रेगिस्तान तक, इन पशुओं ने चुपचाप लेकिन मजबूती से अपना फर्ज निभाया है. ये सिर्फ सहायक नहीं हैं, बल्कि भारतीय सेना के सच्चे साथी और चार पैरों पर चलने वाले वीर योद्धा हैं.

First published on: Dec 31, 2025 12:45 PM

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