Telangana High Court Judgement In Girl Suicide Case: कोई कहे कि मैं मर जाऊंगा, आप कहो कि जाओ मर जाओ और वह मर गया तो यह उसे सुसाइड करने के लिए उकसाने की कैटेगरी में नहीं आता है। ऐसे मामले में धारा 306 के तहत केस दर्ज नहीं किया जा सकता। तेलंगाना हाईकोर्ट ने सुसाइड करने के लिए उकसाने से संबंधित केस में फैसला सुनाते हुए यह टिप्पणी की। केस 2009 से चल रहा था।
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हाईकोर्ट ने उम्रकैद सजायाफ्ता को बरी किया
जस्टिस के लक्ष्मण और जस्टिस के सुजाना की बेंच ने केस का निपटारा किया और उम्रकैद की सजा काट रहे शख्स को बरी किया। जजों ने टिप्पणी की कि पीड़ित ने कुछ ऐसा नहीं कहा था या कुछ ऐसा करने के लिए प्रेरित नहीं किया था, जो जानलेवा हो, गलत हो। उसे सिर्फ इतना कहा कि जाओ मर जाओ। ऐसा कहना कोई अपराध नहीं है। न अपराध की श्रेणी में आएगा।
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युवक ने शादी कराने से कर दिया था इनकार
इसलिए हाईकोर्ट ने सेशन कोर्ट के फैसले के खिलाफ फैसला सुनाते हुए व्यक्ति को बरी कर दिया। उसे सेशन कोर्ट ने धोखाधड़ी करने और सुसाइड के लिए उकसाने तथा SCST एक्ट के तहत दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। उस पर शादी से इनकार करने का आरोप लगा था। पीड़िता ने मरने की धमकी दी तो उसने का दिया कि जाओ मर जाओ।
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रेप के आरोप गलत, सहमति से संबंध बनाए
बताया जा रहा है कि युवक के मुंह से यह सुनने के बाद लड़की ने जहरीला पदार्थ खा लिया और उसकी मौत हो गई। आरोप लगा कि युवक ने लड़की से रेप भी किया था, जबकि युवक के अनुसार दोनों ने सहमति से शारीरिक संबंध बनाए थे। विवाद हुआ तो उसने शादी करने का वादा कर दिया। बाद में वह मुकर गया और लड़की ने जहर खाकर जान दे दी।
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शादी से इनकार कर देना भी अपराध नहीं है
हाईकोर्ट का कहना है कि केस में युवक के खिलाफ ज्यादा सबूत हाथ नहीं लगे थे। सेशन कोर्ट ने उसे सिर्फ यह देखते हुए दोषी करार दे दिया कि युवक ने कहा मर जाओ और लड़की ने जहर खा लिया, जबकि ऐसे कहना अपराध नहीं। किसी का शादी से इनकार कर देना भी अपराध नहीं है। आत्महत्या के लिए उकसाने वाला नहीं है। इसलिए युवक को बरी किया जाता है।