Why KCR lost Kamareddy Seat: तेलंगाना में जीत की हैट्रिक लगाने का सपना देख रहे मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव का सपना रविवार को चकनाचूर हो गया। सत्ता तो गंवाई ही, KCR खुद भी एक सीट पर हार गए। यही नहीं इस सीट पर कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के दावेदार ए. रेवंत रेड्डी भी हार गए।
हर कोई हैरान है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ कि दो-दो दिग्गज एक ही सीट पर हार गए। पूरे प्रदेश में बीजेपी को 8 सीट मिली, उनमें से एक यही कामारेड्डी सीट है। इस सीट पर बीजेपी के कटिपल्ली वेंकट रमन रेड्डी करीब 6700 वोट से जीत गए। मगर इस हॉट सीट पर जीत के असली हीरो वो नहीं हैं।
इस सीट पर जो गेम हुआ, शायद उसका अंदाजा खुद सीएम केसीआर भी नहीं भांप पाए। सभी का ध्यान अपने प्रमुख प्रतिद्वंद्वियों को हराने में लगा रहा, जबकि निर्दलीय और छोटी पार्टी के उम्मीदवार बड़ा खेल गए। आखिर ये गेम कैसे हुआ है, चलिए हम आपको बताते हैं।
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‘चक्रव्यूह’ में फंसे KCR
दरअसल केसीआर ऐसे चक्रव्यूह में फंस गए, जिससे बाहर निकलने का रास्ता उन्होंने ढूंढा ही नहीं। कामारेड्डी सीट पर उनके खिलाफ 1-2 नहीं बल्कि करीब 35 निर्दलीय या छोटे दल के उम्मीदवार खड़े हो गए। रोचक बात यह है कि इनमें से 32 को तो 500 वोट भी नहीं मिले। सात उम्मीदवार तो 100 का आंकड़ा भी नहीं छू पाए। लेकिन अगर इन सभी वोटों को जोड़ा जाए तो करीब 11 हजार वोट इन्होंने काट दिए। सीएम केसीआर इस सीट पर 6700 वोट से हारे जबकि अगले मुख्यमंत्री पद की दावेदारी पेश कर रहे रेवंत रेड्डी 11,736 वोटों से हारे। मतलब छोटे खिलाड़ियों ने बड़ा खेल कर दिया।
दूसरी सीट पर नहीं चला दांव
के. चंद्रशेखर राव की पारंपरिक सीट गजवेल पर भी यह चक्रव्यूह रचा गया। लेकिन वह इस सीट पर पहले भी दो बार विधायक रहे हैं और इस बार भी जनता ने उन पर भरोसा जताया। हालांकि उनके खिलाफ 40 निर्दलीय या छोटी पार्टी के उम्मीदवार खड़े थे। यहां सबसे कम वोट मामिदी नारायण रेड्डी को मिले, उन्हें महज 39 वोट ही मिले।
बेटी को भी दे चुके हैं झटका
केसीआर की बेटी के. कविता भी इस भंवर में फंस चुकी हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें निजामाबाद लोकसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ा था।